रक्सौल। (vor desk)। पिछले शनिवार को रक्सौल- बीरगंज मैत्री पुल के समीप नेपाली प्रशासन व सेना द्वारा कोरोना मरीजो के शव को दफनाने का मामला तूल पकड़ गया है।
उच्चस्तरीय निर्देश पर पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी कपिल शीर्षत अशोक इस मामले को ले कर गम्भीर हो गए हैं।उन्होंने रक्सौल प्रशासन को निर्देशित किया है कि 24 घण्टे के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौपी प्रस्तुत की जाए।
यह निर्देश मिलने के बाद रक्सौल की एसडीओ सुश्री आरती ने जांच व कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इसके लिए उन्होंने एक कमिटी का गठन किया है।
जिसमें बीडीओ कुमार प्रशांत, सीओ विजय कुमार, समेत थानाध्यक्ष को शामिल किया गया है।
इस बाबत एसडीओ सुश्री आरती ने बताया कि शीघ्र ही स्थलगत जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
बता दे कि शनिवार की शाम को बीरगंज प्रशासन व सेना की टीम ने बॉर्डर पर पहुंच कर उक्त शव को जेसीबी से गढ़ा खोद कर दफन किया।वहीं, पीपीई किट भी जलाया।जब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आपत्ति जताई, तो,तीखी नोक झोंक भी हुई।
इसको ले कर नेपाल सरकार के विरोध में रक्सौल के वार्ड नंबर 7, 8 और 9 के प्रेम नगर, अहिरवाटोला, , इस्लामपुर,महा दलित बस्ती, गांधीनगर आदि के लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया।जो एसएसबी के समझाने पर शांत हुए।
उधर,बीरगंज में नेपाल सेना ने दो शव को अपने नियंत्रण में ले लिया था।जिनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी।उसमें एक युवक व एक बच्चे का शव भी शामिल था।जिसे मैत्री पुल के निकट दफन किया गया।लेकिन,नेपाली मीडिया को यह कहा गया कि जंगल मे लाश को दफनाया गया है।लेकिन,भारत-नेपाल के प्रमुख सड़क मार्ग के किनारे इन शवों को दफन किया गया।
भारत-नेपाल रिश्ते,अन्तरष्ट्रीय संधि व कैरोना गाइड लाइन के नियम विपरीत शव के जबरदस्ती दफना कर नेपाली सेना व प्रशासन ने जहां आंखे दिखाई,वहीं, सीमावर्ती इलाके में कोरोना फैंलने के खौफ से लोग सहमे हुए हैं।
( रिपोर्ट:लव कुमार)