रक्सौल।( vor desk )।नेपाल ने एक ओर संसद में विवादित नक्शा के मंजूरी के लिए संविधान संसोधन विधेयक पास कर लिया,तो ,लगातार ,दूसरे दिन भी भारत को उकसाने की कवायद की।
शुक्रवार को सीतामढ़ी से लगे सोनवर्षा बॉर्डर पर नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स ने भारतीय नागरिकों पर गोली चला दी थी,जिसमे ,एक भारतीय युवक की मौत हो गई।
वहीं, दूसरे दिन शनिवार को नेपाल सेना व प्रशासन ने रक्सौल बॉर्डर से लगे मैत्री पुल के पास जबरदस्ती कोरोना मरीजो व मेडिकल कचरा को दफना दिया।जब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आपत्ति जताई,तो,आंखे दिखाने लगे।हालांकि,फिर से भारतीय अधिकारियों ने संयम बनाये रखा।
वर्ष 2015 के मधेशी नाकेबन्दी के बाद से ही नो मेंस लैंण्ड पर कूड़ा कचरा,शव व भ्रूण,मेडिकल वेस्टेज आदि फेंका जाता रहा है।इस पर आपत्ति जताई जाती रही।लेकिन,रवैया यथावत रहा।
अब जब बॉर्डर सील है और लॉक डाउन है।बावजूद, नेपाल सेना के देख रेख में इस अमानवीय ,गैर जबाबदेह व भारत नेपाल रिश्ते के खिलाफ इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
बताया गया कि शनिवार की शाम नेपाल सेना के अधिकारी व जवान समेत प्रशासन व मेडिकल टीम रक्सौल-बीरगंज मैत्री पुल के पास पहुंची।फिर जेसीबी से गढ़े खोदे गए।उसमे कोरोना मरीजो का शव दफन कर दिया।जबकि,यह भारत-नेपाल के बीच आवाजाही का मुख्य मार्ग है।अधिकृत ट्रेड रूट भी।
बताया गया कि इसमे बीरगंज के घण्टा घर के पास मिले एक 25 वर्षीय युवक का लावारिश शव व बारा जिला के निजगढ़ के एक बच्चे का शव भी शामिल है।जिसे बीरगंज हेल्थ केयर हॉस्पिटल से नारायणी हॉस्पिटल लाया गया था। जांच रिपोर्ट में दोनों के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हो चुकी है।जिसे नेपाल सेना ने अपने कब्जे में ले लिया था।फिर देर शाम मैत्री पुल के पास गढ़े खोद कर शव को दफन किया गया।
उसमे एम्बुलेंस से लाये गए शव को एक एक कर गढ़े में डाल कर मिट्टी से ढक दिया गया।
बताया गया कि इस वाक्ये की सूचना कुछ क्लिंकर ढोने वाले ट्रक ड्राइवरों ने दी थी।इसके बाद एसएसबी, रक्सौल कस्टम व इमिग्रेशन के अधिकारी वहाँ गए और आपत्ति जताई।लेकिन,उन्होंने अनसुनी कर दी और उल्टा आंखे दिखाने लगे।
।बताया गया कि इस पर दोनों ओर के अधिकारियो में तीखी बहस भी हुई।भारतीय अधिकारियों का कहना था यह कोरोना गाइड लाइन के विरुद्ध शव व मेडिकल वेस्टेज को यहां डाला गया है।जो अनुचित ही नही अमानवीय भी।वहीं, यह भारत नेपाल संधि व मैत्री रिश्ते के खिलाफ है।
आपत्ति के बावजूद,नेपाली सेना के देख रेख में वहां शव दफनाया गया।मेडिकल वेस्टेज को गढ़े में डाला गया।और बाद में सेना के जवान व मेडिकल टीम द्वारा पहने गए पीपीई कीटो को उतार कर उसे पेट्रोल छिड़क कर जलाया गया।साथ ही इसे शव ले कर पहुँचे वाहनों को फायरबिग्रेड टीम द्वारा सैनिटाइज किया गया।उसके बाद वे लौट गए।उनकी संख्या करीब 30-40 बताई गई।
यह साफ नही हो सका कि दफनाने से पहले शव को जलाया भी गया या नही।लेकिन,इस बात की चर्चा रही कि शव चार की संख्या में थी।जिसमें एक बच्चे का भी शव था।ऐसे में यह जांच के बाद ही पता लग सकेगा कि शव वास्तव में दो ही थे,या चार या उससे ज्यादा थे।जलाया गया या केवल दफना दिया गया।
जहां ,यह शव दफन किया गया वह इलाका श्मशान भूमि के पास है।जहां सदियों से रक्सौल के लोग दाह संस्कार करने जाते रहे हैं।यही बगल से सरिसवा नदी गुजरती है।जो रक्सौल शहर से हो कर गुजरती है।ऐसे में यदि सियार व कुत्ते गढ़े से शव को निकाले और नदी में प्रवाहित हुआ,तो,रक्सौल में कोरोना का खतरा बढ़ना तय है।
इधर,रक्सौल के अहिरवा टोला व प्रेम नगर समेत आस पास के सीमाई इलाके के लोग कोरोना संक्रमण फैंलने की आशंका से सहमे हुए हैं।इधर,एसएसबी के सेनानायक प्रियवर्त शर्मा ने बताया इसकी सूचना मिली है। काउंटर पार्ट से बात की जा रही है।