Sunday, October 27

तड़प रही ‘बूढ़ी माई’ को देखने पहुँची रक्सौल अनुमंडल प्रशासन,अब किस्मत बदलने का इंतजार!

रक्सौल।( vor desk )।अपने बेटा पतोहू द्वारा उपेक्षित ‘बूढ़ी माई’ रक्सौल की सड़क पर तड़प रही है।शनिवार को बारिश में भींगने के बाद शाम से अचानक तबियत खराब हो गई।इतनी खराब हो गई कि वह लोटने लगी।कपड़े निकाल कर फेंकने लगी।

इस सूचना के बाद आस पास के लोग मर्माहत हो गए।सूचना मिली तो साहू युवा मंच के संदीप कुमार,दुर्गेश कुमार,दीपक कुमार ,अमित कुमार, आदि पहुँचे और रक्सौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए।डॉ राजीव रंजन ने पहुंच कर जांच की।

बताया गया कि उचित इलाज के अभाव में यूपी के मनकापुर के प्रताप गढ़ निवासी बुढ़िया माई की तबियत दिन ब दिन खराब होती जा रही है।कमर के नीचें पैर में दर्द है।शौच भी कपड़े में कर देती है।कपड़ा बदबू देता है लेकिन, कोई सहयोग नही मिल पाता।

सूत्रों का कहना है कि उक्त महिला को उसके परिजनों ने रक्सौल स्टेशन पर छोड़ दिया।आरपीएफ पोस्ट के पास जीवन गुजारती रही।वहां से हटाया गया तो रामजी चौक पर रहने लगीं।अब मेन रोड में बाटा चौक के पास इधर उधर रहने को विवश है।दर दर की ठोकड ख़ाना किस्मत बन गई है।

लॉक डाउन के क्रम में स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह और उनकी टीम लगातार देख भाल करती रही।सुबह शाम ख़ाना खिलाती रहे।इलाज भी कराते रहे।कपड़े बदलते और नहलाते रहे।लेकिन,शनिवार को बूढ़ी माई की तबियत खराब होने लगी,तो,रणजीत भी पहुंचे।

विवशता यह है कि आखिर बूढ़ी माई का क्या हो?क्या उसे वृद्धा आश्रम में जगह दी जाएगी?क्या सरकार व जनप्रतिनिधि इलाज व व्यवस्था को आगे आएंगे?

फिलहाल,voice of raxaul.comकी खबर के बाद रक्सौल प्रशासन की टीम हालात को देखने पहुंची।

रक्सौल के अनुमण्डल अपर अनुमंडल पदाधिकारी सर्वेश कुमार, निर्वाचन पदाधिकारी सन्तोष कुमार, वार्ड पार्षद रवि गुप्ता आदि पहुँचे।

इस दौरान उपस्थित स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह,साहू युवा मंच के संदीप कुमार,भाजपा नेता कमलेश कुमार आदि ने अविलम्ब उन्हें ओल्ड एज होम में भेजने,इलाज कराने की मांग की।साथ ही इनके परिजनो को बुला कर यथोचित कार्रवाई की मांग की है।

उधर,बुनियाद संस्था की इमराना भी पहुंची,जिन्होंने बुढ़िया माई की स्थिति देखी।

उधर,खबर के बाद ब्लॉक रोड के युवा गोपाल सर्राफ ने भी मदद के हाथ बढाते हुए मदद की पेशकश की।

दिक्कत यह है कि बुढ़िया माई को भले ही ‘भिखमंगी’ का नाम मिल गया है।लेकिन,वह भीख नही लेती,मिले पैसे दुसरो को दे देती है।उसे तो बस थोड़ा सा प्यार,थोड़ी सी जगह चाहिए कि जीवन गुजर जाए।

फिलहाल,खबर के बाद प्रशासन नींद से तो जगी है,लेकिन,बात आश्वासन से आगे नही बढ़ सकी है।फिलहाल, रात में कॉकरोच से घिरी तड़प रही थी।लेकिन,दिन में कड़ी धूप और यत्र तत्र भटकते ,रोते बीत रही है।देखना है कि होता क्या है….!

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