रक्सौल।(vor desk )।एक ओर पूरी दुनियां के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के उपचार के लिए वैक्सीन की खोज करने में लगे हुए हैं ।तो,दूसरी ओर कोरोना के नाम पर अंधविश्वास भी फैलने लगा है।रक्सौल व सीमा पार नेपाल के बीरगंज समेत सीमाई इलाके में महिलाएं ‘कोरोना पूजा’ में जुटी हुई हैं।यही नही बरसात में भी वे छाता लगा कर पूजा अर्चना में जुटी हुई हैं।
बताया गया है कि रक्सौल के कुछ गांवों की महिलाएं ‘कोरोना माई’ की पूजा नौ लड्डू और नौ लौंग,नौ पान का पता, नौ सुपारी,नौ फूल समेत अन्य पूजा सामग्री चढ़ा कर रही हैं।इसमे रक्सौल शहर भी अछूता नही है।मौजे में रेलवे पोखरा के किनारे महिलाओं द्वारा कोरोना देवी की पूजा की सूचना है।तो,उसी तरह पनटोका, हरैया सीवान टोला समेत दर्जनों गावँ में कोरोना माई की पूजा किये जाने का समाचार मिल रहा है।सूत्रों ने बताया कि पूर्णिमा के अवसर पर पूजा अर्चना की विशेष होड़ रही।महिलाएं खुरपी ले कर घास को साफ कीं और पिंड बना कर पूजा में जुट गईं।गीत भी गाती दिखीं।बताया गया है कि सोमवार और शुक्रवार को विशेष रूप से पूजा की जा रही है।
इससे सीमा पार नेपाल का पर्सा जिला व बारा जिला भी अछूता नही है।बीरगंज के बोधि माई इलाके में भी ऐसी पूजा हुई है।
बताया गया है कि महिलाओं द्वारा ऐसी पूजा का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था। व्हाट्सएप पर इस अपील से यह पूजा जोर पकड़ा ,जिसमे यह कहा गया कि पूजा से करोना माई वापस चली जायेगी।
शुक्रवार को रक्सौल व बीरगंज में भी कुछ स्थानों से भी ऐसी पूजा किए जाने की सूचनाएं आईं। लोगों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे पहले इस अंधविश्वास की शुरुआत सोशल मीडिया पर आए संदेशों से हुई।यह अंधविश्वास धीरे-धीरे फैल रहा है। महिलाओं का कहना है कि करुणा माई नाराज हो गई हैं।इसी लिए कोरोना बीमारी फैली है।इसीलिए पूजा करने से बीमारी दूर होगी।
तो,कुछ का कहना है कि इस पूजा से ‘कोरोना माई’ प्रसन्न होंगी और उनके गांव पर इस बीमारी का असर नहीं पड़ेगा।वही,देश मे विदेश में कोरोना से हो रही मौत रुक जाएगी।
इस बाबत एम्बेसी हनुमान मंदिर के पुजारी अजय उपाधयाय का कहना है कि कोरोना एक बीमारी है।पूजा जप अपनी मानसिक शांति के लिए किया जा सकता है। लेकिन, बीमारी का उपचार जरूरी होता है,लापरवाही भारी पड़ सकता है।
तो,रक्सौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा का कहना है कि कोरोना दुनियां के समक्ष चुनौती है।इसे हल्के में नही लेना चाहिए।लक्षण दिखते ही इलाज शुरू कराए।इससे बचने के लिए सावधानी बरतें।अंधविश्वास व अफवाह से बचें।( रिपोर्ट:गणेश शंकर )