रक्सौल।(vor desk )।अपने ही देश मे इंट्री के लिए हजारों भारतीय नागरिक न केवल तड़प रहे हैं।बल्कि,दर दर भटक रहे हैं और उनके आंखों के आंसू सुख नही रहे।इसी क्रम में शुक्रवार को करीब एक डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों को रक्सौल इंटिग्रेटड चेक पोस्ट पर इंट्री नही मिल सकी।इन सभी भारतीय नागरिकों को वन्दे भारत मिशन के तहत वतन वापसी के लिए लाया गया था।इंट्री नही मिलने से भारतीय नागरिकों ने जम कर सरकार विरोधी प्रदर्शन किया और दोनों देशों की सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।यही नही पीड़ितों का आरोप है कि रक्सौल आइसीपी गेट पर इंट्री को जमे लोगों को एसएसबी ने जबरदस्ती भगा दिया।जबकि, नेपाल लौटने का प्रयास कर रहे लोगों को नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स और पुलिस ने डंडे बरसाए और खदेड़ दिया।
वहां फंसे लोग दिन भर कड़ी धूप और लू के बीच दिन काटी, वहीं, शाम तक इंट्री नही मिलने के बाद वे नो मेंस लैंण्ड और आस पास के खेत -मैदान में जमे हुए हैं।
इस बाबत नन्द किशोर ठाकुर ,राजेश्वर ठाकुर,भरत कुमार,इकराम अंसारी,उमेश पंडित,रूपेश शर्मा,राजकुमार अस्फी का कहना था कि हमे भारतीय दुतावास से अनुमति मिली।चार पांच दिनों से हम अपनी बारी के इंतजार में थे।हमे बसों से यहां लाया गया।लेकिन,हमे आइसीपी में अधिकारियों ने इंट्री नही दी गई।उन्होंने कहा कि कोरेनटाइन सेंटर में जगह नही है।अब हम कहाँ जाएं?दुकान व होटल नही खुले हैं।खाने को कुछ नही है।किसी ने हमे पानी तक नही पूछे।हम भूखे है।लेकिन,कोई सुनने वाला नही ।तो,नंदनी देवी,आंसू ,सरिता आदि ने कहा कि हम कोरोना से बाद में, पहले भूख से ही मर जायेंगे।बताइए हम रात कैसे काटेंगे?नही व्यवस्था थी ,तो,नही बुलाते।हम न अपने देश जा पा रहे हैं।न नेपाल में हमे घुसने दिया जा रहा है।
दरअसल,करीब 40 -50 बसों से उन्हें सुबह बीरगंज आइसीपी लाया गया था।ये नेपाल के काठमांडू ,पोखरा,चितवन समेत विभिन्न जिलों से बीरगंज लाये गए थे।लेकिन,शाम तक इंट्री नही मिली।रात होने से उनकी मुशिकले बढ़ गई हैं।महिला व बच्चे रो रो कर बेहाल हैं।महिलाओं की चिंता है कि उनकी रात कैसे कटेगी।शौच कहाँ जाएंगे!
इधर,रक्सौल आइसीपी में शुक्रवार को करीब 1107 लोगों इंट्री दी गई।जबकि, जिला प्रशासन को यह सूचना थी कि 505 लोगों को इंट्री देनी है।लेकिन,अप्रत्याशित संख्या होने की वजह से स्थिति अस्त व्यस्त हो गई।और इंट्री बन्द कर देनी पड़ी।
बताया गया कि पिछले 19 मई को मिशन की शुरुवात हुई थी।जिसके तहत 211 लोग पहुंचे थे।लेकिन,बुधवार को अचानक इंट्री बन्द कर दिए जाने से 200 से ज्यादा लोग आइसीपी गेट पर फंसे रह गए।उनके दुःख दर्द को किसी ने नही सुना। दुबारा 26 मई को द्वितीय चरण के तहत लोगों की इंट्री शुरू हुई।अब तक कोई तीन हजार लोगों की वतन वापसी हुई है।लेकिन,बड़ी संख्या नेपाल में फंसी हुई है।जिसमे भारत के विभिन्न प्रदेशों के लोग शामिल हैं।जो अपनी जरूरत के हिसाब से काम धंधा, पर्यटन,शिक्षा,रिश्तेदारी में गए थे।
पूरे मामले में यह अच्छी बात यह रही है कि वन्दे भारत मिशन के तहत जहां भारतीय नागरिकों की वतन वापसी शुरू हुई, वहीं, फंसने के बावजूद,सीमा पार पर्सा जिला के अलौ के स्थानीय लोगों ने दो सौ लोगो को एक सप्ताह तक भोजन कराया।मदद की।लेकिन,इस बार वे भी हाथ खड़े कर दिए हैं।अलौ के आशिक अंसारी का कहना है कि हम लोगों ने अपने घरों व चंदे से लोगों की मदद की थी।लेकिन,इस बार संख्या ज्यादा है और खुद हम असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।क्योंकि,इनकी जांच तक नही हुई है।
26 मई को द्वितीय चरण की शुरुवात के क्रम में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद डॉ संजय जायसवाल व विधायक डॉ अजय कुमार सिंह ने आइसीपी का निरीक्षण व अधिकारियों के साथ बैठक की और कहा कि अच्छे प्रबंध किए गए हैं।भारतीय नागरिकों को कोई कठिनाई नही होगी।लेकिन,इस मामले से जब डॉ जायसवाल को अवगत कराया गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास व प्रशासन से बात कर रहे हैं।उनकी सहज वापसी सुनिश्चित की जाएगी।
इधर,ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के डीएसपी अजय कुमार पंकज का कहना है कि हम इंट्री को तैयार हैं।व्यवस्था जिला प्रशासन को देखनी है।
तो,बीरगंज स्थित भारतीय महावाणिज्य दुतावास के कॉउंसुल बी सुरेश कुमार ने कहा कि भारतीय लोगों को क्रमिक तौर पर नेपाल से भारत भेजा जा रहा है।जिन्हें इंट्री नही मिल सकी है,उन्हें शनिवार को भेजा जाएगा।