रक्सौल।( vor desk )।रक्सौल में पेड़ से टप-टप पानी टपकने की घटना चर्चा और शोध का विषय बन गया है।यह वाक्या शहर के एयरपोर्ट रोड का है।जहां सड़क के दोनों किनारों पर सागवान के पेड़ लगे हुए हैं।आईसीपी बाइपास रोड से लगे एयरपोर्ट रोड चौक के समीप सागवान के पेड़ से पानी टपक रहा है।जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है।लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं।वहीं,कुछ आस्थावान लोग दो कदम आगे बढ़ कर पूजा पाठ करने लगे हैं।लोग इस वाक्ये से हैरत में हैं।दूर दूर से लोग देखने पहुंच रहे हैं।
लगातार टपक रहा पानी:इस पेड़ से लगातार पानी टपक रहा है।बताया गया है कि इस पेड़ की टहनी यानी ऊपरी हिस्सा कुछ समय पहले आंधी में टूट गया था।इसी बीच,जब इस पेड़ से पानी टपकने लगा,तो,चर्चा शुरू हुई।जो जंगल मे आग की तरह फैल गई।लोगों की भीड़ जुटने लगी।बताया गया कि फुनगी से जड़ तक पानी को देखा जा रहा है।पानी इस कदर टपक रहा है कि जमीन पूरी तरह से भींग गया है।
पूजा पाठ शुरू:एक ओर जहां पानी चुने की घटना शोध व जांच का विषय है।वहीं,दूसरी ओर इसे चमत्कार मान कर लोगों ने पूजा अर्चना शुरू कर दिया है।फूल अक्षत चढ़ने लगा है।तो,स्थानीय लोगों ने पेड़ के नीचे मिट्टी भरवा कर चबूतरा का शक्ल देने की कोशिश भी की है।
यही नही आस पास की महिलाएं काफी चिंतित दिख रही थीं।उनका मानना था कि पेड़ से पानी टपकना अनहोनी के संकेत हैं।कोरोना संक्रमण के वक़्त लोग यह मान रहे हैं कि यह प्राकृतिक आपदा की स्थिति है।मानव क्या पेड़ भी संकट में है।इसी कारण लोग महिलाएं व श्रद्धालु पेड़ के नीचे पूजा पाठ करते दिखे,जो,दैविक प्रकोप से मुक्ति के लिए ईश्वर से गुहार लगा रहे थे।
क्या कहते हैं पर्यावरणविद व जानकार:
प्रो0 डॉ0 स्वयम्भू शलभ का कहना है कि पेड़ों के अंदर स्थित जाइलम केपिलरी ट्यूब (केशनली) के समान होते हैं जो नीचे से जल को खींचकर ऊपर तक ले जाते हैं। इसे कपिलैरिटि या केपिलरी एक्शन कहते हैं जो पृष्ठ तनाव के कारण होता है।
सागवान के पेड़ में से तरल टपकने या रिसने का कारण वेटवुड नामक जीवाणु रोग है जिसे स्लाईम फ्लक्स के रूप में भी जाना जाता है। यह बीमारी पेड़ों से तरल रूप में निकलती है और पानी के समान दिखाई देती है।
यह बीमारी पेड़ में छाल, घाव या टूटे हुए हिस्से से प्रवेश करती है।
यह रोग किसी भी पेड़ को प्रभावित कर सकता है। यह तरल अन्य पौधों के लिए जहरीला होता है। यदि यह घास पर टपकता है तो वहां की घास मर जाएगी।
बैक्टीरियल वेटवुड का कोई इलाज नहीं है। पेड़ को यथासंभव स्वस्थ रखने की आवश्यकता है। ऐसा पेड़ बैक्टीरिया के साथ भी कई वर्षों तक जिंदा रह सकता है। छाल को कभी काटें या छीलें नहीं। अपने पेड़ को बहुत पानी दें। सुनिश्चित करें कि कुछ भी बड़ा या भारी (कार या मशीनरी) पेड़ों या जड़ों से टकराये नहीं।
जबकि,डॉ0 प्रो0 अनिल कुमार सिन्हा का कहना है कि पेड़ से पानी निकलना दुर्लभ घटना है।गर्मी के मौसम में कड़े धूप के बीच ऐसा सम्भव नही।उनका कहना है कि यह लेनेटेकिन की प्रक्रिया हो सकती है।उन्होंने स्वीकार किया कि सागवान के पेड़ ऑयली कन्टेन्ट होता है।कुछ तरल पदार्थ निकलता है।
सहमे भू स्वामी:इस पेड़ के आस पास रहने वाले लोग सहमे हुए हैं।उन्हें डर है कि कही मन्दिर या पूजा स्थान न बना दिया जाए।स्थानीय जनार्दन प्रसाद व रामायण प्रसाद ,गुड्डू कुमार का कहना है कि आस पास के कुछ और पेड़ में भी इस तरह से पानी टपक रहा है।पेड़ के टहनी व पत्तों पर हरे रंग का कीड़ा देखा जा रहा है।हो सकता है कि कीड़ा लगा हो।जहां पानी रिस रहा है,वहां झाग जैसा दिख रहा है।इस मामले की जांच वन विभाग व कृषि विभाग के लोगों को करने की जरूरत है,ताकि,सच सामने आ सके।यदि पेड़ में कीड़े लगे हों,तो, उन्हें बचाया जा सके।वहीं, चर्चा के बाद देखने सुनने पहुँचे शिव शंकर प्रसाद ने बताया कि यह इसलिए हैरान करने वाला वाक्या है कि भीषण गर्मी पड़ रही है।तब पेड़ से पानी टपक रहा है।जबकि,इलाके में अन्य कही ऐसा मामला सामने नही आया है।