रक्सौल।(vor desk )।लोगों को बड़ी बेसब्री से रमजान-उल-मुबारक के चांद का इंतजार था. शुक्रवार को बिहार चांद नजर आया. साथ ही पवित्र माह रमजान शुरू हो गया।शनिवार से रोजा रखा जाएगा।
शनिवार की अहले सुबह सेहरी और शाम को इफ्तार किया जाएगा.यानी शनिवार 25 अप्रैल से रहमतों व बरकतों का महीना रमजान-उल-मुबारक शुरू हो जायेगा.
@इस्लाम में रमजान का महत्व
इस्लाम धर्म में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं. रमजान के महीने में सूर्योदय से लेकर सूर्योस्त तक रोजा रखा जाता है, इस दौरान कुछ भी खाया-पीया नहीं जाता है. पूरे महीने रात में विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं. रोजे को अरबी भाषा में सोम कहा जाता है. इसका मतलब होता है रुकना. रोजे चांद दिखने से शुरु होते हैं, जिस शाम को चांद दिखाई देता है, उसकी अगली सुबह से रोजे शुरू हो जाते हैं.
@ घर से करें इबादत:
रक्सौल स्थित बड़ी मस्जिद के सदर शमीम अहमद ने कहा कि शनिवार को रमजान की पहली तारीख होगी। यानी पहली से रोजा रखी जाएगी।मस्जिद कमिटी ने अपील की है कि लॉक डाउन का अनुपालन करें।घर से ही इबादत करें।नमाज अदा करें।
@क्या होता है रमजान
मुस्लिम धर्म में रमजान एक तरह का पर्व होता है, जो इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने में मनाया जाता है. पूरी दुनिया में मुस्लिम समाज इसे पैगम्बर हजरत मोहम्मद पर पवित्र कुरान के नाजिल होने के उपलक्ष्य में उपवास और पूरी श्रद्धा से साथ मनाते हैं.
मुस्लिम धर्म में रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है. ये इस्लाम के पांच फर्जों में से एक है. लेकिन कुछ लोगों को छूट भी मिलती है. जैसे कि बीमार, दूध पिलाने वाली महिला और अबोध बच्चों को इस माह में रोजा रखने की छूट दी जाती है. लेकिन बाद में वो किसी दूसरे महीने में रोजा रख सकते हैं.
@रमजान में इन बातों पर खास ध्यान
रमजान के महीने में कुछ खास बातों पर ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. कहा जाता है कि इफ्तार के बाद ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. दिनभर में रोजे के बाद शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है. अगर रोजा रखने वाले जानबूझकर कुछ खा लेता है तो उसका रोजा टूट जाता है. लेकिन अगर गलती से कुछ खा लिया तो रोजा नहीं टूटता.