रक्सौल।( vor desk )।लॉक डाउन में दूसरे प्रदेशों के मजदूर रक्सौल में फंसे हुए हैं।उनकी मांग है कि उन्हें किसी तरह घर भेज दिया जाए।क्योंकि यहां काम भी बन्द है।भूखे मरने की नौबत है।घर जा कर खेती कर सकेंगे।परिवार के साथ रह सकेंगें।
दरअसल, रक्सौल के मुख्यपथ पर लाइट ओवरब्रिज बनाने के लिए अधिकृत इरकॉन से जुड़ी ठेका कम्पनी मां दुर्गा कंटक्सन प्राइवेट लिमिटेड में ये मजदूर निर्माण कार्य से जुड़े हैं ।जिनके भूखे मरने की नौबत है।एक तो काम बंद है।दूसरा यह कि कम्पनी भले ही यह दावा करती हो कि उन्हें दिक्कतें नही हैं,लेकिन,उनकी मुसीबतें कम नही है।क्योंकि,काम बंद होने पर ये ‘बोझ’ की तरह हैं।किसी तरह इनका गुजारा हो रहा है।
बताया गया कि रक्सौल -बीरगंज सड़क पर अवस्थित रेलवे गुमटी संख्या 33 पर बन रही यह लाइट ओवरब्रिज एक साल में पूरा कर लिया जाना था।लेकिन, इरकॉन ने रकम भुगतान में आनाकानी कर दी।जिससे यह लंबा खींच गया।इसी बीच कोरोना वायरस को ले कर लॉक डाउन होने से मजदूर इसका खामियाजा भुगतने को विवश हो गए।
यहां फंसे मजदूर यूपी, बंगाल व झारखंड के हैं।जो पुराने बस स्टैंड में बने शेड में रह कर निर्माण कार्य कर रहे थे।सरकार द्वारा लॉक डाउन में निर्माण कार्य पर रोक लगाने व श्रमिको से कार्य न लेने के साथ निर्माण सामग्री उपलब्ध नही होने से यह प्रोजेक्ट बन्द हो गया।इस प्रोजेक्ट के धीमी गति के समाचार होने से रक्सौलवासी तो परेशान हैं हीं, यहा प्रोजेक्ट से जुड़े करीब 22 मजदूर भी परेशान हैं।
इसमे यूपी के 12,झारखंड के 6 व बंगाल के 4 मजदूर शामिल हैं।ये सभी दिहाड़ी मजदूर हैं।इन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नही हो पा रही। कोई सरकारी सहयोग भी नही मिल रहा।
बता दे कि लाइट फुट ओवरब्रिज निर्माण के लिए बिहार प्रदेश के अध्यक्ष सह बेतिया सांसद संजय जायसवाल द्वारा 28 जनवरी 2019 को शिलान्यास किया गया था। जिसे साल भर में ही पूरा कर लेना था। पर काम में देरी होने से अब तक पूरा नहीं हो सका।
माँ दुर्गा कन्स्ट्रक्शन कंपनी के स्थानीय प्रबन्धक रविन्द्र पांडे का कहना है कि वे दिहाड़ी मजदूर के रूप में बंगाल यूपी झारखंड से मजदुर को यहाँ काम पूरा करने के लिए लेकर आए पर लॉक डाउन होने से काम बंद हो गया पर उनके पास जो ब्यवस्था है उस हिसाब से ये इन मजदूरो को भोजन दे रहे है और रहने की ब्यवस्था किए है ।इस समस्या को ले कर प्रशासन को सूचित कर चुके हैं।
पर मजदूरो का कहना है कि काम बंद होने से उन्हें भोजन एवं रहने की दिक्कत हो गई है ।वे अब किसी भी प्रकार से घर जाना चाहते है। जिसका मुख्य कारण उनका दिहाड़ी मजदुर होना है। काम के बदले ही इन्हें रुपया मिलता है। सो कम्पनी उतना सही तरीके से उनके रहने एव भोजन का इंतजाम नहीं दे पा रही है।
आंधी पानी के बीच करकट शेड के सहारे ही ये 22 मजदुर यहाँ पर किसी भी प्रकार से रह रहे है ।पर सही से उन्हें भोजन दो वक्त का नहीं मिल पा रहा है। दूसरी बार लॉक डाउन होने से ये अपने भोजन के लिए चिंतित हैं।इस बाबत यूपी के बहराइच निवासी धर्म राज विश्व कर्मा का कहना है कि किसी तरह उनके घर भेजने की व्यवस्था की जाए,ताकि घर पर रह कर खेती कर सकें।वहीं,रैफुल आलम का कहना है कि हमारी रोजी रोटी भी छिन गई है।भूखे मरने की नौबत है।
फिलहाल,,एक ओर ओवरब्रिज नही बनने से रक्सौल वासी परेशान हैं,तो ,दूसरी ओर बेबस मजदूर तड़प रहे हैं।जिनकी पीड़ा सुनने वाला कोई नही है।
( रिपोर्ट:गणेश शंकर )