रक्सौल।(vor desk )।राजस्थान के कोटा सहित दूसरे प्रान्तों में पढ़ने वाले बिहार के बच्चों को वापस घर लाने के लिए नीतीश सरकार द्वारा ना किये जाने के कारण रक्सौल के अभिभावकों में गहरा रोष है। रक्सौल के दर्जनों बच्चे कोटा में पढ़ते हैं।जो लॉक डाउन में वहां फंस गए हैं।उनके खाने पीने की दिक्कतों के साथ असुरक्षा की भावना भी अभिभावकों को परेशान कर रही है।जबकि,अनेको के पैसे की समस्या है।यहां अभिभावक भी लॉक डाउन में होने की वजह से कोई मदद नही दे पा रहे।ऐसे में परिजन रो रो कर बेहाल हैं।मोबाइल पर उन्हें सांत्वना तो दे रहे हैं,लेकिन,मां बाप का हाथ कलेजे पर है कि पता नही क्या होगा!
इसी बीच नवादा के बीजेपी विधायक अनिल सिंह द्वारा पास ले कर अपनी बेटी को वाहन से लाने के मामले के बाद यहां के अभिभावक सरकार को कोस रहे हैं।भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि जब यूपी व मध्यप्रदेश अपने बच्चों को कोटा से बुला सकते हैं।तो बिहार सरकार क्यों नहीं?फिलहवक्त यह मामला पटना हाई कोर्ट में पहुच गया है।इसलिए सभी उम्मीद भरे नजर से चीफ जस्टिस की ओर देख रहे हैं क्योंकि, उनके तेवर कड़े हैं और उन्होंने सरकार से ठोस निर्णय को कह दिया है।
इस बीच ,कोटा के राजीव नगर में एलेन इंस्टिट्यूट में मेडिकल की तैयारी कर रही रक्सौल की निशा मिश्रा से जब vor team ने बात की तो,वो फफक पड़ी।निशा का कहना था कि जिस होस्टल में रहती है,वहां के अधिकांश स्टूडेंट घर जा चुके हैं।उसने बताया कि लॉक डाउन की वजह से होस्टल में हम अनसेफ महसूस कर रहे हैं ।पैसे भी खत्म होने को है।कोई सहयोग नही मिल रहा।उसने बताया कि अब पढ़ाई खत्म हो गई है।सिर्फ परीक्षा देनी है बिहार में ही परीक्षा सेंटर पड़ेगा।इसलिए घर आकर तैयारी करना चाहती हूँ।अब सबसे बड़ी समस्या ये हो गई है कि जिस होस्टल में रहती हूँ।उसमें यूपी के विधार्थी थे जो अब जा चुके है।अब सिर्फ बिहार के बच्चे फंसे है।जो उनके जाने के बाद डिप्रेसन में जा रहे है।होस्टल वाले खाना भी ढंग का नही खिला रहे है।और कारोना धीरे धीरे कोटा शहर में फैल रहा है।अगर समय पर नहीं बुलाया गया तो कुछ भी हो सकता है।उसका कहना है कि राजस्थान में अकेले कोटा शहर में 90 से ज्यादा मरीज जो चिंता का कारण बन गया है।वहीं,निशा मिश्रा के पिता ओम प्रकाश मिश्रा बिहार सरकार के रवैए से काफी नाराज हैं।भाजपा नेता श्री मिश्रा का कहना है कि भाजपा को सरकार पर दवाब बनाना चाहिए।उनका कहना है कि बच्चों को कुछ हो गया,तो,इतिहास कभी माफ नही करेगा।
वहीं,रक्सौल बीआरसी में पदस्थापित शिक्षक प्रसाद का पुत्र अतुल भी एलेन इंस्च्यूट में ही इंजीनियरिंग की तैयारी में है।अतुल ने बताया कि जिस मेस में वो खाना खाते हैं,वो बन्द होने को है।क्योंकि,बहुत सारे स्टूडेंट्स जा चुके हैं।कुछ दिनों पहले तक यहां में डीएम निजी वाहन से स्टूडेंट को घर जाने का पास दे रहे थे।लेकिन,अब वह भी बन्द हो गया।हमारे पास इतने पैसे नही थे,कि हम निजी वाहन से घर आते।हम यहां मुसीबत में हैं।यदि यही रहा ,तो,भूखे मरने के अलावे कोई चारा नही रहेगा।अतुल ने बिहार सरकार से मार्मिक अपील किया कि सीएम अंकल हमे बिहार बुला लीजिए।हम कोरोना से नही,यहां भूख व डर से मर जायेंगे!
इसी तरह एलेन कोचिंग में ही मेडिकल की तैयारी कर रहे किशन कुमार लॉक डाउन में परेशान हैं।क्योंकि, वहां पढ़ाई बन्द है।पैसे खत्म है।किशन का कहना है कि बिहार के स्टूडेंट को कोई देखने वाला नही है।हमें कोई मदद नही मिल रही।यहां बिहार के सैकड़ो बच्चे फंसे हैं।सभी परेशान हैं।बिहार सरकार को हमे घर बुलाने की अविलम्ब पहल करनी चाहिए।
वहीं,उनके पिता अनिल केशरीवाल बिहार सरकार के रवैये से क्षुब्ध हैं।उनका कहना है कि यदि दूसरे प्रदेश से मजदूर बिहार आ सकते हैं,तो,स्टूडेंट्स क्यों नही।सरकार की नीति व नियत दोनों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने आरोप किया कि एक तो बिहार सरकार राज्य में शिक्षा का स्तर नही सुधारती, वहीं,दूसरे राज्य में भारी रकम खर्च कर पढ़ने गए बच्चों को मरने के लिए छोड़ दिया है।जबकि, दूसरे प्रदेश की सरकार अपने यहां के स्टूडेंट्स को वापस बुला रही है।
वहीं,शहर के युवा अन्नू शर्मा का कहना है कि बिहार सरकार का संकट की घड़ी में इस संवेदनशील मामले से पल्ला झाड़ना असंवेदनशीलता की परिचायक है।जो निहायत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को यह समझना चाहिए कि कोटा में पढ़ रहे सभी स्टूडेंट्स समृद्ध नही हैं।सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
इस पूरे प्रसंग पर राजद के रक्सौल विधानसभा क्षेत्र के युवा नेता रवि मस्करा नीतीश सरकार को जम कर कोसते हुए कहते हैं कि यदि बिहार सरकार सक्षम नही है,तो,हमे कहे,हम बिहार के बच्चों को कोटा से वापस लाएंगे।रवि ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कोटा में फंसे चंपारण के सभी विद्यार्थियों को लाने के लिए परमिशन मांगा है।राजद नेता रवि मस्करा ने इल्ज़ाम लगाया कि उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, गुजरात, एवं अन्य राज्य की सरकार जब अपने बच्चों को वापस मंगा सकती है ,एवं बिहार के ही बीजेपी के विधायक अपनी बेटी को बुला सकते हैं। तो अन्य को इजाजत क्यों नहीं?ऐसा ना करके नीतीश सरकार उन बच्चों के साथ साथ उन अभिभावकों के साथ भी मज़ाक कर रही है जिन्होंने बड़े विश्वास के साथ उनको एवं बीजेपी को बिहार में सरकार बनाने का मौका दिया। श्री मस्करा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उन्होंने अपने खर्च पर चंपारण के सभी बच्चों को बस द्वारा रोड़ मार्ग से लाने की आज्ञा मुख्यमंत्री व मोतिहारी जिलाधिकारी से मांगी है।जैसे ही आज्ञा मिलती है,चंपारण के भविष्य को लाने वे स्वयं जाएंगे।उन्होंने कहा कि कृपया इसे राजनीति से जोड़कर न देखा जाय।यह सबसे जरूरी मुद्दा है।