रक्सौल।(vor desk )।घड़ी ने जैसे ही रात के नौ बजाए, लोगों के घरों की बत्तियां बुझ गईं। एकाएक घर घर छतों पर रखे तेल के दीपक टिमटिमाते दिखाई देने लगे। कहीं कहीं मोमबत्ती की श्रृंखला भी नजर आई। क्या हिन्दू और क्या मुसलमान। ये टिमटिमाते दिए सभी धर्मों के बीच भेदभाव को मिटाने की भूमिका निभाते नजर आ रहे थे।
पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा दीप जलाने के आह्वान के बाद देश मे व्यापक और अभूतपूर्व जन समर्थन मिला।
लॉक डाउन में बिना घरों से निकले लोगों ने सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए घरों में दीप जलाए।टॉर्च के लाइट जलाए।कैंडिल जलाए।
रक्सौल बॉर्डर समेत भारत नेपाल सीमावर्ती इलाको में कुछ यही दृश्य था।रात के अंधेरे में दीपक की लौ ज्योति फैला रही थी।ऐसा लग रहा था मानो एकजुट देशवासियों ने कोरोना रुपी अंधेरे की इति श्री कर दी हो।
रविवार रात नौ बजे नौ मिनट तक सभी घरों की लाइटें बुझाकर सिर्फ दिए और मोमबत्ती से घरों को रोशन करने के प्रधानमंत्री के आह्वान का असर घर घर नजर आया।
छतों पर महिलाएं और बच्चे पूरे मोहल्ले के नजारा लेते दिखे। ये आलम रक्सौल अनुमण्डल के सभी बाजार समेत आदापुर,छौड़ादानों ,रामगढ़वा प्रखण्ड में विभिन्न पंचायतों के सभी वार्डों और मोहल्लों में व्यापक तौर पर नजर आया।
उत्साही लोगों ने पटाखे तक फोड़े और खूब आतिशबाजी की।
वहीं,घर घर मे पूजा व मंत्रोच्चार भी किया गया।शंखनाद भी हुए।घड़ी घण्टे भी बजे।सबो का एक ही मकसद था -करोना को भगाना।
इस दीपोत्सव में खूब प्रयोग भी हुए।कही भारत माता व भारत के नक्शे की तस्वीर उकेरी गई।तो,दीप जला कर-‘ गो कोरोना ‘ लिखा गया।कही मशाल जलाए गए।सबका एक ही मूल मकसद था-“तमसो मा ज्योतिर्गमय!”यानी अंधकार से प्रकाश की ओर चलो!”