*क्या है नौ मिनट बिजली जाने का गणित
*बिजली विभाग के सामने होगी बड़ी चुनौती
*देशभर में हो सकता है ब्लैकआउट का खतरा
*10वां मिनट होगा काफी महत्तवपूर्ण
*बरतें सावधानी
: दिया जलाते समय हो सकती है दुर्घटना,लग सकती है आग
;बिजली का स्विच ऑफ करते रखें ध्यान,मोटर या अन्य उपकरण रखे ऑन
रक्सौल।( vor desk )।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से रविवार यानी रात नौ बजे नौ मिनट के लिए अपने घरों की लाइट बंद करने की अपील की है। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम सम्बोधन में कहा था कि पांच अप्रैल को रात नौ बजे घर की लाइट बंद करके, घर के दरवाजे पर मोमबत्ती, दिया या फ्लैश लाइट जलाएं। उन्होंने कहा कि इस रविवार को हमें संदेश देना है कि हम सभी एक हैं।
पीएम मोदी की इस अपील ने बिजली कंपनियों के सामने संकट खड़ा कर दिया है।यह एक बड़ी चुनौती भी है,जिसमे यदि सूझ बूझ से काम न लिया जाए ,तो,’ब्लैक आउट’ हो सकता है।
विशेषग्यों के मुताबिक,अगर 130 करोड़ देशवासी एक साथ बिजली बंद कर देते हैं और नौ मिनट बाद एक साथ चालू करते हैं तो देश में ब्लैकआउट होने का खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि, बिजली कंपनियों ने पीएम मोदी के नौ मिनट के चैलेंज के लिए तैयारियां कर रखी है।
रिपोर्ट के अनुसार बिजली क्षेत्र के एक वरिष्ठ कार्यकारी का कहना है कि नौ मिनट की बिजली कटौती को इस तरह से समझा जा सकता है, यह एक चलती हुई कार में अचानक तेज ब्रेक लगाने और फिर एक दम एक्सीलेटर देने जैसा है… यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि कार वास्तव में कैसे व्यवहार करेगी। यह एक भविष्यवाणी है, लेकिन बहुत अधिक जटिल है और हम सभी इसका सामना कर रहे हैं।
दरअसल,बिजली विभाग के सामने यह एक बड़ी चुनौती है, और कुछ अभूतपूर्व है। लेकिन यह संभव है। नौ मिनट की चुनौती को स्पष्ट रूप से समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि बिजली क्षेत्र कैसे कार्य करता है।
हमें कैसे मिलती है बिजली?
तीन तरीकों से हमारे घर तक बिजली पहुंचती है। पहला पॉवर जनरेटर्स जैसे टाटा पावर और एनटीपीसी, दूसरा प्रत्येक राज्य की वितरण कंपनियां और तीसरा राज्य भार प्रेषण केंद्र या एसएलडीसी, जो बिजली की मांग के साथ आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर पीएम मोदी पूरे 15 मिनट के लिए बिजली बंद करने की अपील करते तो 15 मिनट का एक ब्लॉक बंद कर दिया जाता लेकिन यह नौ मिनट चुनौती बनकर सामने आई हैं।कहा गया है कि इसमे एसएलडीसी की बहुत महत्तवपूर्ण भूमिका है। यह सुनिश्चित करना है कि पावर ग्रिड लाइनों में चलने वाली बिजली की आवृत्ति 48.5 और 51.5 हर्ट्ज के बीच होनी चाहिए। अगर यह बहुत अधिक हो जाता है (जब आपूर्ति बहुत अधिक होती है) या बहुत कम (जब मांग हद से ज्यादा हो जाती है), तो लाइनें कट सकती हैं जिससे देशभर में बिजली संकट मंडरा सकता है। 2012 में दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैकआउट कुछ ऐसे ही हुआ था जब अचानक मांग बढ़ने से ट्रिपिंग हुई और लगभग 60 करोड़ भारतीयों के घरों की बिजली चली गई थी।
क्या कहते हैं रक्सौल के अधिकारी:रक्सौल के कार्यपालक विद्युत अभियन्ता प्रदीप कुमार सुमन ने कहा है कि विभाग इसको ले कर सजग है व किसी भी चुनौती से निपटने को सक्षम है।उन्होंने कहा कि इसमे घबड़ाने की कोई जरूरत नही है।
उन्होंने कहा उपभोक्ताओं को केवल यही ध्यान रखना है कि लाइट ऑफ का मतलब पूरी लाइट कट करना नही है।बल्कि,केवल प्रकाश के लिए प्रयोग की जा रही सभी बल्ब के स्विच को ऑफ करना है।साथ ही सबो यह करना है कि घर के मोटर, फ्रीज,टीवी,जैसे उपकरणों को चालू रखना है।एक बार न सभी स्विच को ऑफ करें,न ऑन करें।
उन्होंने कहा कि इस दौरान इमरजेंसी व हेल्थ सर्विस की बिजली गुल नही होगी।थाना,अस्पताल व सुरक्षा एजेंसी में रौशनी रहेगी।
यह सावधानी भी बरतें:कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में महामारी का अंधकार मिटाने के लिए रविवार को दीए जलाएं। मगर उससे पहले आपको सावधानी बरतने की जरूरत है।उसे जानना बहुत जरूरी है। दरअसल, भारतीय सेना ने एक एडवाइजरी जारी कर देशवासियों को दीप जलाने से पहले सावधान किया है।
दरअसल, अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इंडियन आर्मी ने कहा कि 5 अप्रैल को रात नौ बजे जब कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एकजुटता दिखाने के लिए दीया या मोमबत्तियां जलाएं तो हमें इस दौरान थोड़ी सावधानी बरतनी है। भारतीय सेना ने कहा कि रविवार को बालकनी या दरवाजे पर दीप या मोमबत्ती जलाने से पहले अपने हाथों को धोने के लिए साबुन का उपयोग करें। दीप या मोमबत्ती जलाने से पहले सैनिटाइजर का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इसमें अल्कोहल की मात्रा होती है।
वहीं,फायर बिग्रेड टीम का कहना है कि दीप जलाते समय सावधान रहें ।निगरानी में रहें।क्योंकि,इस मौसम में तेज हवा से आगलगी की समस्या हो सकती है।