Friday, November 22

नेपाल में भारतीय मजदूरों के साथ हो रहा भेदभाव,लेकिन,एसएसबी ने नेपालियों को दिया सम्मान!

नेपाली नागरिक की जांच करती मेडिकल टीम

रक्सौल।( vor desk )।नेपाल में लगातार भारतीय नागरिकों व मजदूरों के साथ लॉक डाउन में दोयम दर्जे व अमानवीय व्यवहार की खबर सुर्खियों में है।लेकिन, इंडो- नेपाल बॉर्डर के रक्सौल में एसएसबी नेपाली नागरिकों को सम्मान दे रही है।सहयोग भी कर रही है। मामला बुधवार की शाम का है।जब दर्जन भर नेपाली मजदूर नेपाल जाने के लिए बॉर्डर पहुच गए।

चोरी छिपे नेपाल घुसने की फिराक में लगे नेपाली मजदूर एसएसबी को देखते ही सहम गए।लेकिन,एसएसबी जवानों ने उनसे पूछ ताछ किया तो पता लगा कि वे नेपाली हैं।और बिहार के बोध गया से आये हैं।।मजदूरों ने बताया कि वे रुकुम जिला के हैं।उन्होंने एसएसबी से मदद मांगी की-‘ सर हमे नेपाल जाने दिया जाए।लेकिन,जवानों ने बताया कि वे नेपाल नही जा सकते,क्योंकि,बॉर्डर सील है।उसके बाद एसएसबी जवानों ने उन्हें सम्मान के साथ अपने वाहन से उन्हें आपदा राहत केंद्र पहुचा गए। बताया गया कि इनकी संख्या 13 है।

बताया गया है कि इसमे सभी नेपाली मजदूर नेपाल के रुकुम जिले के हैं।जो बिहार के बोधगया व गया में मजदूरी करते थे।इसमे महिला व बच्चे भी शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि ,लॉक डाउन में क़ाम बन्द होने व पैसे की तंगी की वजह से मजबूरी में नेपाल को चल दिये।वे एक बस से रक्सौल पहुच गए।जहां एसएसबी ने नगर परिषद द्वारा संचालित कोरोना आपदा राहत केंद्र में पहुचा दिया।

एसडीओ अमित कुमार के मुताबिक,सभी को खाना पानी व रहने की व्यवस्था दी जा रही है। वहीं गुरुवार को रक्सौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ0 मुराद आलम के नेतृत्व में मेडिकल टीम ने उनकी स्क्रिनिंग व इंफ्रारेड थर्मल थर्मा मीटर से जांच की।

शिविर में ठहरे रुकुम निवासी वीर बहादुर नेपाली,वीरबहादुर चनारा,सेम बहादुर, ने बताया कि हमारे पास कुछ ही रुपये थे,जिससे कि घर पहुच पाते।होटल भी बन्द था।इस मुसीबत में हमे यहां मदद मिली, यह हम नही भूलेंगे।जबकि, भरी लाल,नर बहादुर, तस्वीर चदारा,लाले नेपाली,प्रजाति नेपालि, विजय ,अशोक आदि ने बताया कि हम सोंचे भी नही थे कि हमे रहने खाने की व्यवस्था मिलेगी। बॉर्डर से एसएसबी ने रोक कर हमें यहां लाया।हमे मालूम नही था कि बॉर्डर सील था।नेपाल नही जाने को मिलेगा।वहीं इसमे शामिल महिला माया नेपाली व धनी नेपाली ने कहा कि हम तो फंस ही गए थे।हमारे बच्चे भूखे थे।हम भी भूखे थे।पकड़े जाने पर लगा कि जेल जाना होगा।लेकिन यहां तो खाना मिला।कोई दिक्कत नही है।

इस बाबत रक्सौल नगर परिषद के बैजू जायसवाल,मृत्युंजय मृणाल आदि ने बताया कि सभी को कमरा व खाना का प्रबंध किया गया है।इधर,एसएसबी कमांडेंट प्रियवर्त शर्मा कहते है कि एसएसबी जवान लॉक डाउन के अनुपालन के लिए मुस्तैद है।यदि कोई फंसा मिले, तो उसकी मदद का निर्देश दिया गया है।बॉर्डर भी सील है।किसी को नही जाने दिया जा रहा है।वहीं,स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने भी मजदूरों का हाल चाल लिया।और कहा कि कोई दिक्कत हो तो हमे जरूर बताएं।उन्होंने कहा कि नेपाली नागरिक भी हमारे लिए उतने ही सम्मानित हैं। जितने हमारे लिए कोई भी भारतीय नागरिक।रक्सौल की जनता तो हमेशा नेपाल के मदद को ततपर रही है।चाहे व भूकम्प हो या मधेश आंदोलन!

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