- भारतीय दूतावास के सूचना अधिकारी बी सुरेश कुमार ने कड़ी प्रतक्रिया में कहा-नेपाल ने ठीक नही किया!
- भूकम्प व मधेश आंदोलन में भारत के भरपूर मदद के बावजूद भारतीय नागरिकों के प्रति रवैये से नाराजगी
रक्सौल।(vor desk)।नेपाल में लॉक डाउन एक सप्ताह बढ़ाये जाने व सीमा सील होने के कारण नेपाल मुश्किलों में फंसे भारतीय नागरिक नेपाल के विभिन्न शहरों -महानगरो से भाग कर किसी तरह रक्सौल बॉर्डर पर पहुँच गए।रविवार की रात्रि 12 बजे से पहुचने लगे करीब दो हजार से ज्यादा भारतीय कामगार व मजदूरों को इंट्री नही मिली।वे गुहार लगाते रहे कि हमे आने दीजिये,हमारे साथ बच्चे हैं।महिलाएं हैं,हम भूख से मर रहे हैं !लेकिन,उच्चस्तरीय निर्देश पर बॉर्डर पहुँचे डीएम कपिल शीर्षत अशोक व एसपी नवीन चन्द्र झा ने इंट्री नही दी।अपने ही देश मे इंट्री नही मिलने से वे परेशान रहे।अनेको बीरगंज वापस जाने की कोशिश किये।लेकिन,उन्हें नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स व पुलिस बल ने रोक दिया।इनरवा पुलिस चौकी के अधिकारियों ने उनसे दो टूक कहा-‘ भारत जा चुके लोगों को अब दुबारा नही आने देंगे।इससे परेशान मोतिहारी के राजा सिंह व मझौलिया के प्रेम चन्द्र ठाकुर ने निराश हो कर कहा कि नेपाल से तो चले आये,लेकिन,अपने ही देश मे नही घुसने दिया गया।वस्तुतः हजारों लोग न घर के थे न घाट के।अंततः उन्होंने छुप कर सीमा पार कर ली।
लेकिन,इस क्रम में असमंजस व मुश्किलों में फंसे लोग नो मेंस लैंड पर सोमवार की देर रात तक फंसे रहे।कस्टम का बैरियर गिरा कर बोर्डर सील कर दिया गया था।एसएसबी व पुलिस ने किसी को नही घुसने दिया।इस कारण सभी मैत्री पुल या नो मेंस लैंड पर वक्त काटते और ईश्वर से प्रार्थना के साथ स्वजनों से मोबाइल पर कॉल कर मदद मांगते रहे।
इधर, विदेश मंत्रालय की पहल पर बीरगंज स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने बीरगंज के टाउन हॉल व ठाकुर राम बहुमुखी कैम्पस में कोरोना आपदा राहत शिविर की व्यवस्था भी की।लेकिन,नेपाल पुलिस के रोकने से भारतीय नागरिक सहमे दिखे।
इस मामले को ले कर दूतावास के अधिकारियों ने समन्वय के लिए पर्सा जिला के जिलाधिकारी व एसपी से बात भी की। सहमति बनने पर दूतावास का एक बस भी मैत्री पुल पहुँची।लेकिन,मुश्किल से आठ दस लोग ही बस में रवाना हुए।
उधर,नेपाल पुलिस के रवैये से क्षुब्ध व डरे लोग नो मेंस लैंड पर ही रुके रहे।बाद में देर शाम भारतीय महावाणिज्य दूतावास द्वारा मैत्री पुल से लगे पुराने लकड़ी पुल क्षेत्र में ही कैम्प लगा कर कोई 300 भूख प्यास से तड़प रहे भारतीय नागरिकों को भोजन कराया गया।
इस दौरान रेड क्रॉस अन्य संस्थाओं ने भी भूखे प्यासे लोगों को बिस्कुट ,पानी आदि का वितरण किया। पूरे मामले की मोनिटरिंग भारतीय महावाणिज्य दूत नितेश कुमार करते रहे।वहीं,खान पान व बस से राहत शिविर ले जाने के लिए दूतावास के कॉउंसुल बी सुरेश कुमार,शैलेंद्र कुमार,सुपरवाइजर अर्जुन कुमार समेत अन्य सक्रिय रहे।
ग्रामीण रास्तों से देश मे घुसे लोग:बताया गया कि हजारों की संख्या में बॉर्डर पर पहुँचे लोगों को इंट्री नही मिलने से ग्रामीण रास्तों से देश मे प्रवेश कर गए।प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अनेको लोग सरिसवा नदी में कूद कर घुस गए।तो अधिकांश लोग शाम ढलते ही धीरे धीरे महदेवा, अहिरवा टोला,तुमड़िया टोला आदि ग्रामीण क्षेत्र से खेत व पगडण्डी के रास्ते घुस गए।हालांकि,सभी एसएसबी बीओपी अलर्ट थे।इंट्री पॉइंट पर नाकेबंदी की गई थी।तब भी वहां इकठे हजारों लोग रात तक किसी तरह भारत प्रवेश में सफल रहे।सूत्रों के मुताबिक,उन्हें कई जगह एसएसबी व आर्म्ड पुलिस फोर्स के सख्ती के साथ खदेड़े जाने की सूचना मिली।
नही हो सकी जांच:ग्रामीण रास्तों से चोरी छुपे घुसे हजारों लोगों की जांच नही हो सकी।ये काठमांडू,भक्तपुर,पोखरा, नारायघाट समेत नेपाल के विभिन्न हिस्से से यहां पहुँचे थे।मजे की बात तो यह थी कि मैत्री पुल पर इकठे लोग समूह में थे।लॉक डाउन व बॉर्डर सील का उद्देश्य सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना था।लेकिन,मेला से दृश्य के बीच प्रशासन व एसएसबी के सामने ही इसकी धज्जियां उड़ती रही।
वहीं,जांच न होने से आम लोग कोरोना वायरस फैंलने की आशंका से भी सहमे हुए हैं।रक्सौल के होम्यो चिकितसक डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि बॉर्डर पर जांच के बिना इनके प्रवेश करने से कोविड 19 के फैंलने की आशंका से इंकार नही किया जा सकता।उनकी अनिवार्य जांच की जानी चाहिए थी।
नेपाल के रवैये पर सवाल:बॉर्डर सील होने व नेपाल तथा भारत दोनों ही देश मे लॉक डाउन होने के बाद भी पास दे कर वाहनों से भारतीय नागरिकों को बॉर्डर पर भेजना नेपाल सरकार की नीति व नियत दोनों पर सवाल खड़े कर रहा है।जबकि, भारत भूकम्प से ले कर हरेक मौके पर साथ देती रही है।मधेश आंदोलन के क्रम में बॉर्डर पर नाकेबंदी में भी बिहार के नागरिकों ने मधेशी जनता का साथ दिया था।केंद्रीय कृषि मंत्रालय के विदेश हिंदी सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य अर्जुन भारतीय का कहना है कि नेपाल का रवैया सही नही रहा।इससे कोरोना वायरस संक्रमण का फैलाव बढ़ सकता है।भारतीय नागरिकों को भेजने से पहले भारत सरकार से बात करनी चाहिए थी। इधर,भारतीय महावाणिज्य दूतावास के सूचना अधिकारी बी सुरेश कुमार ने मिडीया से कहा कि बॉर्डर सील होने के बावजूद नेपाल में रहने वाले भारतीय लोगों को जाने देना एक अनुचित कदम है।क्योंकि,भारत मे भी लॉक डाउन हैं।ऐसा करके नेपाल सरकार ने ठीक नही किया है।