- नेपाल से आये लोगों का नही हुआ जांच व क्वरेंटाइन ,व्यवस्था पर उठ रहे गम्भीर सवाल
- कुछ लोगों को बस से रवाना किया गया,लेकिन,उठ रहा सवाल शेष आखिर क्यों नही हुआ क्वरेंटाइन
रक्सौल।( vor desk )।लॉक डाउन में फंसे लोगों के भोजन व ठहरने के लिए रक्सौल प्रशासन द्वारा शहर के हजारी मल हाई स्कूल में आपदा राहत केंद्र बनाया गया है।अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसमे चार दिनों में मंगलवार के दो पहर तक 207 लोग सूची बद्ध हुए।लेकिन,जब vor team पहुँची, तो पड़ताल में पता लगा कि केंद्र पर सोमवार को करीब पचास लोगों ने भोजन किया है।मंगलवार को बीस पच्चीस।जबकि,शिविर में चार पांच लोग ही दिखे।वह भी भिक्षा मांग कर जीवन यापन करने वाले थे।जो बरामदे में दिखे।यही नही सोशल डिस्टेंस की धज्जियां भी उड़ रही थी।
सोमवार को तकरीबन तीस लोग इस केंद्र में आराम करते दिखे थे।
जिसमें यूपी के दस बारह लोग थे।जिन्हें सोमवार की रात्रि एक विशेष बस से गंतव्य की ओर रवाना कर दिए गया।वहां मौजूद नगर परिषद कर्मियों ने इस बाबत बताया कि ‘ काफी लोग भोजन करने के बाद घर- गावँ को निकल गए।हम किसी को जबरदस्ती तो नही रोक सकते।’
सूत्रों ने बताया कि गोरखपुर के सात लोग पैदल ही निकल गए।वैसे ही नेपाल व विभिन्न प्रदेशों से आये लोग भी घर को चलते बने।जो कोरोना वायरस संक्रमण के दृष्टि से खतरे का शबब बन सकता है। जबकि, आंकड़ों के मुताबिक,यहाँ पहुचे सर्वाधिक नेपाल के थे।जबकि, यह स्पष्ट निर्देश है कि विदेश से आने वालों की स्क्रीनिंग व जांच के साथ 14 दिनों का क्वरेंण्टाइन जरूरी है।वहीं, नेपाल के जनकपुर से पैदल चल कर आये रक्सौल के कौआ धांगर निवासी दामोदर महतो ने बताया कि सरिसवा नदी के रास्ते यहां केंद्र तक पहुँचे।यहां हम जांच कराने आये हैं।
लेकिन,मेडिकल टीम नही है।कुछ लोगों ने खाना की क्वालिटी व व्यवहार कुशलता पर भी सवाल उठा दिए।उधर,शहर के सामाजिक संगठन के लोगों ने नगर परिषद के द्वारा संचालित इस केंद्र के लिए सहयोग मांगे जाने की भी बात कही।जबकि, नगर परिषद को धन की न कमी है।न आपदा के लिए प्रशासनिक कोष की।बावजूद ‘सूरत- ए- हालात’ राहत की बजाए खुद में सवाल खड़े करते दिखे। परिजनों ने कहा जांच करा कर आओ:ग्रामीण कोरोना को ले कर जागरूक हैं।कई गांव में अपरिचित व विदेश से आये लोगों को रोका जा रहा है।तो परिजन भी सतर्क हैं। केंद्र में रह रहे रक्सौल के सिसवा सौनाहा के तीन युवक रूपेश गिरी,रवि कुमार व धुरूप नाथ यादव केरला से आये हैं।वहां फैक्ट्री में काम करते थे।रुपेश ने बताया कि पापा ममी ने कहा कि जा कर जांच कराओ।केंद्र में 14 दिन रहो।तब आना।इसीलिए हम केंद्र में है।लेकिन,मंगलवार को वे भी घर लौट गए थे।वहां वे होम क्वरेटनाइन मे रहेंगे या नही।यह तो स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन जाने।लेकिन,यह स्थिति खतरे से खाली नही।
क्योंकि,शिविर में जांच में लापरवाही और नेपाल से आये लोगों को यूं ही रवाना कर दिया जाना सवाल खड़े कर रहा है।कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका को भी बढ़ा रहा है।जिस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।क्योंकि,खुली सीमा के रास्ते हजारों लोग नेपाल से बिहार में प्रवेश कर चुके हैं।जिन्हें शिविर में होना चाहिए वे घर पहुच गए हैं।हालांकि,पूर्वी चंपारण के डीएम कपिल शीर्षत अशोक ने सोमवार को रक्सौल दौरे में कहा था कि बॉर्डर सील कर दिया गया है।किसी को इंट्री नही दी जाएगी।जो पकड़े जाएंगे उनको कस्टडी में लिया जाएगा।जांच होगी।क्वरेंटाइन किया जाएगा।लेकिन,इसमे प्रगति के उलट नजारा फिसड्डी दिख रहा है।( रिपोर्ट:गणेश शंकर