Friday, November 22

लॉक डाउन में विवशता: रक्सौल की सड़क पर हुई छठ पूजा,दिया गया डूबते सूर्य को अर्ध्य!

रक्सौल।(vor desk )।इस बार चैती छठ पूजा घरों पर मनाई गई।कोरोना वायरस रोक थाम को ले कर लॉक डाउन के कारण घरों पर बने कृत्रिम घाट पर ही अस्चल गामी सूर्य को अर्ध्य दिया गया।

यह लॉक डाउन सु स्वास्थ्य के लिए है।इस लिहाज से व्रतियों ने घरों में रह कर पूजा अर्चना की।और कोरोना वायरस से देश दुनिया को मुक्ति व परिवार- समाज के सुस्वास्थ्य की कामना के साथ आराधना की गई।

अनेको जगहों पर घर के छत पर पूजा हुई।कुछ जगहों पर वैकल्पिक व्यवस्था हुई।इसी बीच रक्सौल में सड़क पर ही व्रतियों द्वारा पूजा करते देखा गया।काठमांडू-दिल्ली सड़क अंतर्गत रक्सौल के मुख्य पथ पर छठ पूजा हुई।व्रतियों का कहना था कि घाट पर छठ नही होने के कारण घर के दरवाजे पर पूजा करनी पड़ी।

बता दे कि हिन्दू नववर्ष के पहले माह चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है।
इसी कड़ी में सूर्योपासना के महापर्व चैती छठ के तीसरे रोज व्रती महिलाओं ने सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया।तीन बजते ही नए नए कपडे पहनकर ब्रती महिलाओं के साथ परिवार के सभी सदस्यगण घर पर छठ मनाने इकत्रित हुए। परिवार के सदस्यों द्वारा छठी मइया का गीत गाया गया ।सूर्य डूबने के समय ब्रती सहित सभी लोग दउरा, सुपली लेकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया ।

बताया गया कि इस पर्व में व्रती सूर्य भगवान की पूजा कर उनसे आरोग्यता, संतान और धन जन की रक्षा के साथ अनेकों मन्नत मांगते है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है तो वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। शरद ऋतु के अपेक्षा चैती छठ व्रती महिलाओं के लिए गर्मी के कारण काफी कष्टप्रद होता है। एक तो निर्जला उपवास और दुसरे में गर्मी से परेशानी होती है। खरना से लेकर अंतिम रोज तक लगातार निर्जला उपवास गर्मी के दिनों में काफी कष्टदायक होता है । दरअसल वसंत और शरद ऋतु संक्रमण का काल माना जाता है। इसमें बीमारी का प्रकोप ज्यादा होता है। इसलिए बीमारी के प्रकोप से बचाव के लिए आराधना व उपासना पर जोर दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!