
रक्सौल।(Vor desk)।बॉर्डर टाउन रक्सौल में दो रेल फाटकों(रेलवे क्रॉसिंग) पर ओवरब्रिज निर्माण की मंजूरी मिल गई है।नगरवासियों के साथ रक्सौल वीरगंज के बीच एक दूसरे देश में आवाजाही करने वाले देशी विदेशी नागरिकों पर्यटकों के लिए यह बड़ी राहत भरी खुशखबरी है। इसमें काठमांडू दिल्ली को जोड़ने वाले रक्सौल के मुख्य पथ पर भी एक ओवरब्रिज का निर्माण होना है,जिसे रक्सौल वीरगंज की लाइफ लाइन कहा जाता है।अक्सर रेल फाटक बंद रहने और भयंकर जाम की समस्या के कारण रक्सौल शहर का दूसरा नाम रेंगता शहर बन गया है।अब इस छवि से मुक्ति मिलेगी और शहर की तकदीर बदलेगी।बढ़ती आबादी और शहर के विस्तार को ले कर भविष्य के दृष्टि से सुगम यातायात सुविधा की बहाली में मदद मिलेगी।

निर्माण की मंजूरी से खुशी
बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग ने रक्सौल रेलवे गुमटी के दो फाटकों पर ओवरब्रिज निर्माण को लेकर सहमति प्रदान कर दी है।जिससे रक्सौल-आदापुर के बीच गुमटी संख्या 33 व रक्सौल-सिकटा के बीच गुमटी संख्या 34 पर ओवरब्रिज बनने का रास्ता खुल गया गया है। पथ निर्माण विभाग ने गुरुवार की शाम एक प्रेस विज्ञप्ति जारी है कि जिसमें रक्सौल के दोनों रेलवे गुमटी पर ओवरब्रिज के निर्माण के लिए रेलवे को एनओसी दे दी गयी है। दोनों ओवरब्रिज के निर्माण पर आने वाली पूरी राशि का व्यय रेलवे के द्वारा किया जाना है और इसका निर्माण कार्य भी रेलवे ही करायेगी।विगत 13 मार्च 2025 को बिहार के पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह व नवीन गुलाटी, सदस्य आधारभूत संरचना, रेल मंत्रालय भारत सरकार के बीच हुई उच्च स्तरीय बैठक में रेलवे द्वारा इस संबंध में सहमति दे दी गई है।जिसके बाद रक्सौल में दो ओवरब्रिज निर्माण की आधिकारिक घोषणा हुई।
बताया गया है कि बिहार में रेलवे द्वारा 64 रेल ओवर ब्रिज के निर्माण को रेलवे ने हरी झंडी दे दी है। इनमें वह सात आरओबी भी शामिल हैं, जिन्हें बनाने की घोषणा नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा के दौरान दी थी। इस बारे में बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया कि इससे बिहार में यातायात की सुविधा बढ़ेगी।कम समय में लोग दूरी तय कर सफर कर सकेंगे।
2004 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था शिलान्यास
रक्सौल स्टेशन परिसर में आयोजित कार्यक्रम में वर्ष 2004 के 31अक्टूबर को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने दोनों ओवरब्रिज का शिलान्यास किया था,जिसका शिलापट्ट भी लगा।शिलान्यास किये जाने के बाद से कोई 21 साल तक इस प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ था। रक्सौल में ओवरब्रिज न होने से लोगों को भारी परेशानी होती रही।बाद में सांसद डा संजय जायसवाल की पहल पर रक्सौल मुख्य पथ के पार्श्व में लाइट ओवरब्रिज का निर्माण हुआ,जो नाकाफी साबित हुआ,क्योंकि,इस पर बाइक ,साइकल और ई रिक्शा ही चल पाते थे।इससे भी जाम में कमी नहीं आई।जनप्रतिनिधियो ने इसको ले कर संसद और विधान सभा में सवाल भी उठाए।धरना अनशन भी हुए।अब पथ निर्माण विभाग और रेलवे के बीच आपसी सहमति कायम होने से लोगों में इस बात की उम्मीद जगी गयी है कि इसका निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा।
उम्मीद भरी नजर
रक्सौल के लोगों में उम्मीद जगी है कि अब उनका शहर जाम से मुक्त हो जाएगा। लेकिन यह तभी होगा जब समपार संख्या 33 व 34 पर प्रस्तावित ओवरब्रिज निर्माण शुरू हो जाए। लोगों की मानें तो कई बार पुल निर्माण के लिए मिट्टी की जांच भी की गई, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ। देर तक बंद रहतीं गुमटियां
शहर के बीचोबीच अवस्थित दोनों गुमटियां 24 में 14 घंटे तक बंद रहती हैं। लोग जाम में कराहते रहते है। रक्सौल सीमा पर स्थित डंकन हॉस्पिटल आने-जाने वाले मरीजों को एंबुलेंस में ही जिदगी और मौत से जुझना पड़ता है। लोगों का मानें तो कई मरीजों की मौत गुमटी बंद रहने के कारण हो चुकी है। वहीं स्कूली बच्चे भी जाम के झाम में फंसे रहते हैं। नतीजन विद्यालय समय से नहीं पहुंच पाते है।सीमा पार वीरगंज के लोग भी जाम से परेशान रहते हैं,उनकी भी नजर इस पर टिकी हुई है।(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)