
नई दिल्ली/रक्सौल।(Vor desk)।राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को बिहार में उच्च गुणवत्ता वाले नकली भारतीय मुद्रा नोटों (एफआईसीएन) की जब्ती के 2024 मामले के संबंध में तीन राज्यों में कई स्थानों पर तलाशी ली।
क्रिप्टो मुद्रा का उपयोग करके नेपाल के अभियुक्तों और संदिग्धों द्वारा संचालित नकली मुद्रा रैकेट की एनआईए जांच के हिस्से के रूप में बिहार में 5 और जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना में एक-एक स्थान पर व्यापक तलाशी ली गई।
एनआईए की टीमों ने आज बिहार के पटना, भागलपुर, भोजपुर और मोतिहारी जिलों, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले और हैदराबाद, तेलंगाना में आरोपियों और संदिग्धों के परिसरों पर तलाशी ली। नकद राशि रु. तलाशी के दौरान पेन ड्राइव, मोबाइल फोन, सिम कार्ड आदि सहित डिजिटल उपकरणों के साथ 1,49,400 रुपये जब्त किए गए। टीम ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए।
मामला आरसी-17/2024/एनआईए/डीएलआई रुपये अंकित मूल्य के एफआईसीएन की जब्ती से संबंधित है। तीन आरोपियों से 1 लाख 95000 रुपये बरामद हुए थे, जिनकी पहचान भागलपुर के मोहम्मद नजर सद्दाम, भोजपुर के मोहम्मद वारिस और पटना के जाकिर हुसैन के रूप में हुई। आरोपियों को स्थानीय पुलिस ने 5 सितंबर 2024 को इंडो नेपाल बॉर्डर से लगे पूर्वी चंपारण के बंजरिया इलाके में खरवा पुल के पास वाहन चेकिंग के दौरान गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बाद में एक अन्य आरोपी मुजफ्फर अहमद वानी उर्फ सरफराज को भी जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग से गिरफ्तार किया।
इनमें भागलपुर निवासी नजरे सद्दाम भी शामिल था, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के बावजूद जाली नोटों के नेटवर्क का हिस्सा बना हुआ था।
दिसंबर 2024 में बिहार पुलिस से मामला अपने हाथ में लेने वाली एनआईए अपनी जांच लगातार जारी रखे हुए है।
पाकिस्तानी एजेंटों से कनेक्शन
जांच एजेंसी को ऐसे पुख्ता सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि जाली नोटों का नेटवर्क पाकिस्तान और कश्मीर में सक्रिय देशविरोधी संगठनों से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि नजरे सद्दाम नेपाल के परसा जिला के धोरे गांव में दो स्थानीय तस्करों के जरिए पाकिस्तानी एजेंटों से मिला था और उन्हीं की मदद से जाली नोटों को भारत में सप्लाई करता था।
कश्मीर तक फैला था नेटवर्क
एनआईए की जांच में यह भी सामने आया है कि नजरे सद्दाम पहले भी दिल्ली होते हुए कश्मीर के अनंतनाग तक जाली नोटों की खेप पहुंचा चुका था। वहां उसकी मुलाकात उग्रवादी संगठनों से जुड़े लोगों से हुई थी। वह नेपाल के संतोष सहनी के माध्यम से रुपये लेकर कश्मीर के सरफराज तक पहुंचाता था, जो इन पैसों का इस्तेमाल उग्रवादी गतिविधियों में करता था।
छापेमारी में मिली अहम जानकारी
एनआईए की टीम को छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं,जिनसे इस रैकेट के और विस्तार की जानकारी मिलने की संभावना है। हालांकि, अधिकारियों ने फिलहाल जांच से जुड़ी अधिक जानकारी साझा करने से इनकार किया है। एनआईए की इस कार्रवाई से जाली नोट कारोबार में लिप्त बड़े नेटवर्क पर शिकंजा कसने की उम्मीद है। जांच एजेंसी अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों और उनके संपर्कों को ट्रैक कर रही है।