
मोतिहारी/रक्सौल।(vor desk)। महात्मा गांधी की कर्म भूमि चंपारण की धरती से प्रगति यात्रा शुरू हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रगति यात्रा का आज दूसरा दिन था। अपनी इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्वी चंपारण जिले के लिए विभिन्न योजनाओं की सौगात दी।इसमें उन्होंने रक्सौल से जुड़ा दो अहम प्रोजेक्ट भी शामिल हैं।उन्होंने घोषणा की कि रक्सौल अनुमंडल में बंगरी नदी पर बाढ़ से बचाव के लिए तटबंध का निर्माण कराया जायेगा। इसके निर्माण से रक्सौल प्रखंड के संबंधित गाँव लाभान्वित होंगे।वहीं,दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा रक्सौल एयरपोर्ट को ले कर की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा रक्सौल एयरपोर्ट के विकास का काम किया जा रहा है। इसका और विस्तार होना चाहिए। इसके लिए जितनी भी जमीन की आवश्यकता होगी,राज्य सरकार उसे उपलब्ध कराएगी।
यह एक महत्वपूर्ण घोषणा है।उन्होंने घोषणा में संकेत दे दिया कि यह काम केंद्र का है।केंद्र इसके विकास का काम कर रही है।राज्य सरकार इसके लिए जितनी भी जमीन की जरूरत होगी,देगी।

मुख्य मंत्री की ओर से इस घोषणा को सकरात्मक लिया गया है और यह साफ हो गया है कि राज्य सरकार की ओर से कोई अड़चन नहीं है,बल्कि,राज्य सरकार इसके लिए हर सहयोग कर रही है और करेगी।इस खुशखबरी से सीमा क्षेत्र में हर्ष है।खुद सांसद डा संजय जायसवाल और विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा ने सोशल मीडिया के जरिए सीएम के कुल 12 घोषणा की जानकारी देते हुए सौगात में रक्सौल एयरपोर्ट के विस्तार और विकास की जानकारी साझा की है।
दरअसल,क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि इस बारे में राज्य सरकार पर आवश्यक जमीन उपलब्ध नहीं कराने का ठीकरा फोड़ते रहे थे।लेकिन,नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में लोक सभा चुनाव से पूर्व रक्सौल एयरपोर्ट के जमीन अधिग्रहण की कवायद शुरू हुई और लगातार कार्य प्रगति पर है।आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक,केंद्र सरकार ने इसके लिए राशि भी आवंटित कर दी है। भू अर्जन विभाग द्वारा भूमि का सत्यापन और उसका सर्वे कर भू स्वामियों को मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
उम्मीद थी कि सीएम नीतीश कुमार रक्सौल आयेंगे और यहां एयरपोर्ट के विस्तार विकास का शिलान्यास करेंगे। रक्सौल प्रशासन ने संभावित आगमन को ले कर तैयारी भी शुरू की थी।किंतु,ऐसा फिलहाल नहीं हो सका।लेकिन,प्रगति यात्रा में सीएम ने घोषणा के जरिए रक्सौल वासियों को खुश करने वाली सौगात जरूर दे दी।उनकी घोषणा से यह साफ हो गया है कि रक्सौल में एयरपोर्ट जरूर बनेगा।

क्या है प्रगति
बिहार के रक्सौल में सामरिक और नागरिक सुविधा की दृष्टि से एयरपोर्ट के विस्तार और विकास की योजना बनाई गई है, और इसके लिए भूमि का निरीक्षण और पैमाइश का काम पूरा कर लिया गया है।चिह्नित भूमि पर लाल झंडे लगाकर उसे अधिग्रहण के लिए तैयार किया गया है। लगभग 300 एकड़ क्षेत्र में बनने वाले इस एयरपोर्ट का निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दो महीने पहले भूमि का चयन किया था, जिसके बाद राज्य और केंद्र सरकार ने जिला प्रशासन से जांच रिपोर्ट मांगी थी।इस प्रक्रिया के तहत 121एकड़ अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, और दाखिल-खारिज और सीमांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।चार दशक से उपेक्षित यह एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय महत्व रखता है। रक्सौल का एयरपोर्ट भारत के उन 100 एयरपोर्ट में से एक है, जिन्हें सरकार आधुनिक बनाने की योजना में शामिल कर रही है। सीमावर्ती एयरपोर्ट होने के कारण इसे सुरक्षित बनाने के लिए चारदीवारी का निर्माण भी किया गया है।मास्टर प्लान के तहत एयरपोर्ट संचालन को लेकर मौजा सिसवा, चंदौली, चिकनी, एकडेरवा, भरतमही एवं सिंहपुर आदि में अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण का काम तेजी से चल रहा है। रक्सौल में पहले से करीब154 एकड़ जमीन पर एयरपोर्ट निर्मित है।पीएम स्पेशल पैकेज के तहत 250करोड़ रुपए मिले हुए हैं।हाल ही में राज्य सरकार की ओर से डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को एक ज्ञापन सौप कर रक्सौल एयरपोर्ट विकास के लिए 2025-2026 के बजट में 226.5 करोड़ की मांग की।उन्होंने ज्ञापन में जानकारी दी है कि बिहार सरकार ने अतिरिक्त 139एकड़ जमीन के अधिग्रहण पर सहमति दे दी है।

क्षेत्रफल और स्थिति
यह एयरपोर्ट रक्सौल प्रखंड के पनटोका पंचायत के हरैया गांव में स्थित है, और सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।इसका क्षेत्रफल लगभग दो किलोमीटर लंबा और तीन किलोमीटर चौड़ा है, जिसमें चारदीवारी और पुराने जर्जर भवन भी शामिल हैं।
एयरपोर्ट का इतिहास
रक्सौल एयरपोर्ट का निर्माण 1960 में भारत-चीन के बीच तनाव के समय किया गया था और 1968 में यहां से कलिंग एयर सर्विस द्वारा उड़ानें शुरू की गई थीं।हालांकि, 1970 के दशक में ये उड़ानें बंद हो गईं।इसे दमदम एयरपोर्ट के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े एयरपोर्ट के रूप में बनाया गया था, लेकिन इसके आधुनिकीकरण पर ध्यान नहीं दिया गया।