
बली को ले कर दुनियां में प्रसिद्ध है मेला,स्वत दीप जलने के बाद होती है बली,इस बार 9 दिसम्बर को खंसी , बोका ,हंस और कबूतर की होगी बली

रक्सौल।(vor desk)।विश्व प्रसिद्ध पंच वर्षीय गढ़ी माई मेला में रविवार को आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा है।विशेष पूजा के बाद लाखों श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया।नेपाल के बारा जिला के बरियार पूर स्थित गढ़ी माई मंदिर में दर्शन पूजन और चढ़ावा चढ़ाने को ले कर देश विदेश से लाखो लाख की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं और यह क्रम निरंतर जारी है। रक्सौल,आदापुर, छौड़ादानों सहित अन्य सीमावर्ती बॉर्डर के रास्ते मेला जाने वालों का रेला लगा हुआ है।हजारों वाहनों के काफिले की वजह से रक्सौल वीरगंज कलैया सड़क पर भारी जाम लगा हुआ है।जरूरी समान के साथ पैदल जाने वालों की होड़ है।वहीं, बली चढ़ाने के बाद लौटने वालो में भी होड़ है।इस बार यह मेला 15दिसंबर तक आयोजित है,जिसमे 8 और 9 दिसंबर को भक्त जन चढ़ावा चढ़ाएंगे।देर शाम से खसी की बली शुरू हो गई है।इस मेला का शुभारंभ 2दिसंबर को राजकीय स्तर पर नेपाल के उप राष्ट्रपति राम सहाय यादव ने किया था।मेला को ले कर मधेश प्रदेश में आज सार्वजनिक अवकाश रहा।

रविवार की सुबह पाड़ा (भैंसे )की शुरू हुई बली,शाम तक5हजार से ज्यादा बली चढ़ी
शनिवार की मध्य रात्रि 12.30 बजे गढ़ी माता की विशेष पूजा और पंच बली चढ़ाने के बाद रविवार की अहले सुबह से पाड़ा की बली शुरू हुई।परंपरा के अनुसार बनारस के डोम राजा के यहां से आए पशु (7पाड़ा) की प्रथम बली हुई।अनुमान था कि इस बार कम से कम 11हजार पाड़ा की बली होगी।लेकिन,यह संख्या पांच हजार के करीब सिमट गई।हालाकि,इसका आधिकारिक आंकड़ा मेला कमेटी ने जारी नही किया है।सोमवार को दो लाख खसी सहित लाखों कबूतर,बतख आदि की भी बली चढ़ाये जाने का अनुमान है।काफी श्रद्धालु कबूतर को उड़ा देते हैं।पशुओं का कान काट कर भी छोड़ दिया जाता है,जिसे माना जाता है कि बली हो गई।भक्तजन मन्नत पूरी होने के बाद भखे अनुसार माता को प्रसन्न करने के लिए बली चढ़ाते हैं।मेला कमेटी अध्यक्ष सह स्थानीय मेयर उपेंद्र प्रसाद यादव के मुताबिक,इस साल मेला कमेटी द्वारा निबंधन और बलि स्थल पर घेराबंदी के साथ बलि को व्यवस्थित ढंग से सम्पन्न कराने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।चर्चा के अनुसार, बलि के उपरांत गिरे रक्त पर एक भी मक्खी नही बैठती,जो शोध का विषय है।

काली माता की रूप हैं गढ़ी माई ,धार्मिक रूप से जन आस्था के केंद्र गढ़ी माई शक्ति पीठ में विशेष पूजा के क्रम में होती है नर बलि
गढीमाई मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। किवदंती के अनुसार, भगवान चौधरी नामक एक व्यक्ति की हत्या के आरोप मे काठमांडू के नखू जेल में बंद थे।जेल मे एक रात सपने में गढीमाई माता दर्शन दिए और बोले तुम अपने गांव ले चलो और हरेक साल पाचं बली दो मै तुमको जेल से मुक्त कर दूंगी।भगवान चौधरी कांपते हुए अनुरोध कर बोले कि मै हरेक साल बली नही देपाउंगा।पांच बर्ष मे पांच बली और मानव शरीर के पांच अंग से खुन दे सकता हूं।उस के वाद गढीमाई की कृपा से भगवान चौधरी जेल से मुक्त हुए थे और भगवान चौधरी के साथ बरियारपुर गांव मे आकर स्थापित हुई थी।उसी समय से हरेक पाँच साल मे गढीमाई का पुजा का आयोजन किया जाता है और पुजा में लाखों जानवर का बली दिया जाता है।मंदिर में विशेष तान्त्रिक पूजा की जाती है, जिसमें पञ्चबलि चढ़ाए जाते हैं। भैसा, मुर्गा, जंगली मुस, सुगर बोका, और मानव के जिभ,जंघा,औला,छाती,और सर से खुन देने का चलन है । उसी भगवान चौधरी के परिवार के ग्यारहवां पुश्त के पुजारी लोग गढीमाई मन्दिर में पूजा अर्चना में है ।मंदिर के मुख्य पुजारी मंगल चौधरी बताते हैं कि गढ़ी माई काली माता की रूप हैं।विशेष पूजा में स्वत:दीप प्रज्वलित होने के बाद बली दी जाती है।

चढ़ावा के लिए पशु ले जाने पर रोक से श्रद्धालु परेशान,बोर्डर पर कड़ाई
रक्सौल।बारा जिला के गढ़ी माई मेला में बली के लिए पशु पक्षी ले जाने पर रोक से श्रद्धालु परेशान हैं। श्रद्धालु ग्रामीण रस्ते से चोरी छिपे पाड़ा, खंसी ,कबूतर आदि को ले कर नेपाल जा रहे हैं,ताकि, चढ़ावा चढ़ा सकें।बोर्डर पर एसएसबी और पुलिस सख्त दिख रही है।अधिकारियों के मुताबिक,सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निगरानी की जा रही है।बोर्डर पर लगातार अभियान जारी रहा।पशु पक्षी प्रेमी संघ संस्था लगातार बली का विरोध करते हुए अभियान में जुटी है।गढ़ी माई मेला में भक्तो से आग्रह कर रही है कि नारियल चढ़ाएं।इस कारण बली में कमी दर्ज की गई।