Sunday, September 22

सत्याग्रह ने दी देश को आजादी, चंपारण सत्याग्रह पद यात्रा से सड़क भी मिलेगी और रेल भी:प्रभु


गांधी के देश मे गुंजी आवाज,या तो दो हमे हमारा अधिकार,नही तो लौटा दो हमारी गुलामी के दिन!


घोड़ासहन नहर सड़क व रेल सुविधा की मांग को ले चार दिवसीय चंपारण सत्याग्रह यात्रा की शुरू!


भेलाही।( रक्सौल)।”थक गये पैर लेकिन हिम्मत नहीं हारी,
ज़ज्बा है जीने का, सफ़र है अभी जारी!”कुछ इन्ही अल्फाज और तमन्नाओं के साथ पश्चिम चंपारण के सिकटा से चंपारण सत्याग्रह पद यात्रा की शुरुवात हुई।शनिवार को गांधी की कर्म भूमि चंपारण में शुरू हुए इस शांतिपूर्ण पद यात्रा का उद्देश्य है ‘ जर्जर घोड़ासहन नहर सड़क का निर्माण’ व ‘उपेक्षित सीतामढ़ी-रक्सौल-नरकटिया गंज रेल खण्ड पर ट्रेन सुविधाओं की बहाली’।सिकटा के स्टेशन चौक से शुरू हो कर यह पद यात्रा देर शाम भेलाही पहुचा।रविवार यानी 13 अक्टूबर को यह पद यात्रा लभेलाही से रक्सौल से तथा 14 को रक्सौल से आदापुर की ओर बढ़ेगी।16 अक्टूबर को घोड़ासहन में समापन होगा।
पद यात्रा के भेलाही पहुचने तक जगह जगह नुक्कड़ सभा आयोजित की गई।तो भेलाही पहुचने पर आमजनता द्वारा खूब स्वागत किया गया।पद यात्रा का नेतृत्व शिवहर के पूर्व लोक सभा प्रत्याशी सह समाजिक कार्यकर्ता प्रभु नारायण व स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह कर रहे थे।इसके साथ राजन चौरसिया समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता व आमजन भी इसमे शरीक रहे।

इस पद यात्रा के दौरान जन सम्बोधन में प्रभु नारायण ने कहा कि देश राष्ट्रपिता गांधी का 150वां जयंती मना रहा है।लेकिन,गांधी की कर्म भूमि उपेक्षित है।एक अदद सड़क व रेल के लिए तरसना पड़ रहा है।सरकार आंख मिचौली का खेल खेल रही है।बार-बार घोड़ासहन नहर सड़क के टेंडर करने और उसे रद्द करने का ड्रामा हो रहा है।जनता निराश हो गई है।
उन्होंने कहा कि नरकटियागंज-दरभंगा रेल खण्ड पर पहले लखनऊ- गुवाहाटी,गंडक और क्रांति जैसी ट्रेनें चलती थी।आज दिन बीतने का इंतजार करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि आज के दिन से गुलामी के दिन ज्यादा अच्छे थे।तब सुविधा थी।अंग्रेजो ने रेल की स्थापना की।ट्रेन दौड़ाई।आज की सरकार उसे बदहाल-बर्बाद कर रखी है।उन्होंने कहा कि यदि हमें अच्छे दिन नही दे सकते ,तो,गुलामी के ही दिन वापस कर दो।
उन्होंने कहा कि यहां के जन प्रतिनिधियों को धिक्कार है।जिस जनता के वोट से जीतते हैं।उन्हीं की उपेक्षा करते हैं।
श्री नारायण ने कहा कि हमने गांधी के सत्याग्रह की राह पकड़ी है।पद यात्रा शुरू की है।हमे विश्वास है कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन जागृति देगा।सरकार को मजबूत करेगा।उन्हें हमारी आवाज सुननी पड़ेगी।

वहीं,रणजीत सिंह ने कहा कि हम कोई नया डिमांड नही कर रहे।यह वही मांग है जिसका वायदा हमारे जन प्रतिनिधियों ने चुनाव जीतने के लिए किया था।उन्होंने कहा कि यहां के सांसद और विधायक क्या पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव भी झूठे निकले।बिना टेंडर के ही शिलान्यास कर दिया।आज तक सड़क का अता पता नही है।


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राजन चौरसिया ने कहा कि दुनियां में गांधी सत्याग्रह एक अचूक हथियार माना जाता है।हम जनता की शक्ति के साथ पद यात्रा की राह में निकलें हैं।हमारी सत्याग्रह विफल नही होगा।

बताया गया कि काफी धरना-प्रदर्शन के बाद अब चम्पारण के सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों ने अजीज होकर पद यात्रा करने का जोखिम उठाया है।

पहले दिन के इस पद यात्रा के पहले चरण की शुरुआत सिकटा से लेकर भेलाही तक पदयात्रा कर किया गया। लोग हाथों में तिरंगा लेकर सड़क पर उतर पड़े। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कर्मभूमि चंपारण में सिकटा से घोड़ासहन तक की यह पदयात्रा पाँच दिवसीय होगा। राजन चौरसिया ने बताया कि यह जनजागरण सत्याग्रह यात्रा पूर्वी व पश्चिमी चंपारण को जोड़ने वाले जर्जर घोड़ासहन नहर सड़क को अतिशीघ्र बनवाने व रेलवे स्टेशनों के मध्य ट्रनों के परिचालन को बढ़ाने की मांग को लेकर शुरू की गई है। जगह-जगह आम जनता को जागरूक करने व इस आंदोलन में सहभागिता हेतु जागृत करने की योजना है।वही पद यात्रा आज सिकटा से भेलाही पहुंच चुकी है।कल सुबह रक्सौल के लिए रवाना होगी।

पदयात्रा में प्रभु नारायण के साथ ही राजन चौरसिया, रणजीत सिंह, गिरधारी कुमार, राजा कुमार, सूरज कुमार, सुरेंद्र केसरी, राज कुमार वर्णवाल, रितेश कुमार, जय गोविंद, राज कुमार ठाकुर, राम विनय गुप्ता, हरेन्द्र सह , बुन्नी लाल साह भरद्वाज सिंह इत्यादि शामिल रहे ।सुबह के 10 बजे से शाम के 4 बजे तक पद यात्रा कर यह ‘सत्याग्रही ‘भेलाही पहुँचे। भेलाही में भी विभिन्न चौक चौराहो पर नुक्क्ड़ सभा किया गया।ये सत्याग्रही जिद्दी मंजिल की ओर कदम बढ़ाते हुए लगातार सन्देश दे रहे थे कि हम सत्याग्रह के रास्ते पर चलेंगे।सरकार को हमारी बात सुननी ही पड़ेगी।उन्होंने नारा दिया कि-‘अब नही सहेंगे अत्याचार,अब ले कर रहेंगे अपना अधिकार!”

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