रक्सौल।(vor desk)। बूचड़ खाना घोटाला और 2.62करोड़ के सरकारी फंड के अवैध ट्रांजेक्शन के प्रयास के मामले के बाद राज्य स्तर पर बदमानी झेल रहे रक्सौल नगर परिषद का विवादों से नाता छूट नहीं रहा। ताजा मामला रक्सौल नगर परिषद कार्यालय द्वारा बहाली का है,जिसे खुद नगर परिषद के जन प्रतिनिधियों ने अवैध करार दिया है। मजे की बात यह है कि बगैर बोर्ड की बैठक में अनुमोदन के फरवरी 2024में आहूत स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में लाए गए प्रस्ताव से यह बहाली कर दी गई।इसमें सहायक(चतुर्थ वर्गीय कर्मी),अमीन,चालक,और सफाई कर्मी के कोई 38 पद है।जिसमे मुख्य पार्षद के नाती की बहाली भी चर्चे में है।इसकी वेकेंसी कब निकली,किस मानक के तहत और कैसे नियुक्ति कर दी गई ,यह एक अलग प्रश्न है।लेकिन,मूल बात यह है कि नियुक्त कर्मियों ने ज्वाइनिंग भी ले ली।भुगतान भी शुरू हो जाने की चर्चा है।अब मुख्य पार्षद ने बीते26अक्टूबर को हुई स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में अपना लिखित पक्ष रख कर नियुक्ति को गलत बताया है ।इसके बाद चर्चा परिचर्चा तेज हो गई है,वहीं, किसी तरह नियुक्ति हासिल करने वाले भविष्य को ले कर चिंतित दिख रहे हैं।नियुक्ति के बाद से भुगतान पाने वालो की बर्खास्तगी के साथ ही विभाग से पाए गए पेमेंट वसूली का संकट खड़ा हो गया है।इसको ले कर वे सड़क पर आ गए हैं।सूचना है कि मंगलवार को पुराने नगर परिषद कार्यालय के आगे विरोध प्रदर्शन भी किया गया है। हालाकि, रक्सौल नगर परिषद कार्यालय में जुगाड के बूते इस तरह की अवैध नियुक्ति का सिलसिला नया नही है,कई पद धारक चेहरे विवादों में रहने के बाद भी बेखौफ नौकरी में हैं।
जांच शुरू होने के बाद यू टर्न
चर्चा है कि इस मामले में बिहार के मुख्य मंत्री,नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव,जिलाधिकारी को अलग अलग दिए गए आवेदन में नियुक्ति को अवैध करार देने के साथ ही विभिन्न अनियमितता और घोटाला की जांच की मांग की गई है।जिसके बाद यह यू टर्न आया है।आधिकारिक सूत्रों ने बताया की एसडीओ शिवाक्षी दीक्षित ने जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच कर रिपोर्ट भेज दी है।राज्य निर्वाचन आयोग भी जांच कर रही है।इसके आलावा भी कई स्तर पर जांच चलने की सूचना है,जिससे खलबली मची हुई है।यह सारा कारनामा सूबे स्तर पर विवादों और निगरानी की जांच के दायरे में रखे गए तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव के कार्य काल में हुई है,जो ट्रांस फर के बाद भी जांच के दायरे में बताए गए हैं।
गुटबाजी चरम पर,विवादों का छूट नहीं रहा पीछा
डायरेक्ट मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के चुनाव के बाद भी रक्सौल की किस्मत नही बदल सकी है।यहां दो गुट चल रहा है,दोनो गुट शह मात की कलाबाजी में हैं।जिससे आज तक न तो बजट आ सका है।ना ही विकास कार्य की गति आगे बढ़ पा रही है।स्थिति तो यह है कि सदन में ही दोनो गुटों के बीच ताना तानी सामने आ चुका है।हद तो तब हो गई जब हर बार की तरह बैठक टालने के प्रयास में बीते18अक्टूबर को बोर्ड बैठक के पहले दो जन प्रतिनिधियों के निकट रिश्तेदार के बीच हाथा पाई तक की नौबत आ गई।देख लेने तक की बात हुई।पुलिस भी पहुंच गई।कार्यालय से बाउंसर सहित बाहरी तत्वों को निकाला गया। मामले में प्रमुख जन प्रतिनिधि के विरुद्ध जिलाधिकारी तक शिकायत हुई है,जिसकी जांच चल रही है।
क्या है मामला
विभागीय सूचना के मुताबिक,13फरवरी 2024को स्टेंडिंग कमेटी की बैठक हुई।पांच सदस्यीय कमेटी में अंतिमा देवी और अनुरागिणी देवी अनुपस्थित थीं।पार्षद सोनू गुप्ता ने वाहन चालकों की बहाली और उप सभापति पुष्पा देवी ने सफाई कर्मियों की बहाली का प्रस्ताव दिया।जिसके बाद बहाली कर दी गई।बोर्ड बैठक में अनुमोदन नही हो सका।बढ़ते विवाद के बीच कई अनियमितता के मामले में खुद उप सभापति सहित अन्य ने लिखित शिकायत आगे बढ़ा दी।ऐसे में करीब 9माह बाद अगस्त में हुई बोर्ड की बैठक में स्टेंडिंग कमेटी के निर्णय की संपुष्टि भी नही हो सकी।विगत18अक्तूबर की बैठक में इस मुद्दे पर दो गुटों में बंटे सदन में वोटिंग हुई, जिसमें इस बहाली सहित अन्य निर्णय का सभापति सहित 8पार्षदों ने समर्थन करते हुए जायज करार दिया।जबकि,विपक्ष में 14 पार्षदों ने इसका विरोध जताते हुए बहुमत से इसे खारिज कर दिया।बैठक में प्रस्ताव लाने वाले स्टेंडिंग कमेटी सदस्य सोनू गुप्ता अनुपस्थित रहे। इसके बाद 23अक्तूबर की स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में मुख्य पार्षद ने यू टर्न ले लिया है।सूचना है की इस बारे में नगर परिषद प्रशासन द्वारा विद्वान अधिवक्ताओं से विधि परामर्श संबंधी मंतव्य लेने की पहल की जा रही हैं,ताकि,अगली करवाई हो सके।
विवादों से पीछा नही
पूर्व में स्टैंडिग कमिटी सदस्य रह चुके पूर्व पार्षद पुरुषोत्तम कुमार और शबनम आरा के मुताबिक,नियम है कि स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में लिए गए निर्णय के उपरांत कोई भी विभागीय कार्य संपादित किया जा सकता है।लेकिन, छह माह में इसका अनुमोदन बोर्ड बैठक में लेना जरूरी है।ऐसा नही होने पर प्रस्ताव स्वत खारिज हो जायेगा।वहीं,दूसरी तरफ जांच शुरू होने के बीच बहुमत से 13फरवरी के प्रस्ताव को खारिज किया जा चुका है।इसके बाद मुख्य पार्षद ने लिखित दे कर बहाली को अवैध बता दिया है।पूछे जाने पर उप मुख्य पार्षद पुष्पा देवी ने कहा की स्टेंडिंग कमेटी में विचारणीय बिंदु पर चर्चा के बाद मैं बैठक से चली गई।बाद में प्रस्ताव लिख देने की परंपरा चली आ रही है। जिसका हम लगातार विरोध कर रहे हैं। प्रस्ताव का बोर्ड बैठक में अनुमोदन भी नही हुआ और बहाली हो गई।उक्त प्रस्ताव को सदन में मुख्य पार्षद के नेतृत्व में 8पार्षदों ने समर्थन किया था,जबकि,14पार्षदों ने बहुमत से इसे खारिज कर दिया।26अक्तूबर को मुख्य पार्षद ने लिखित रूप से बहाली को गलत मानते हुए इसे खारिज करने की मांग की,जिसे अस्वीकार कर दिया गया। विगत 18अक्तूबर की बोर्ड बैठक में पहले ही इसे खारिज किया जा चूका है।उन्होंने कहा कि नियम विरुद्ध नियुक्ति,करोड़ो की खरीद सहित विभिन्न मामले की जांच के लिए भी लिखा गया है।सहायक की जो बहाली हुई है,वह सभापति की खास नाति है।
वहीं,मुख्य पार्षद ध्रुव पति देवी ने मीडिया से कहा है कि सरकार ने पत्र दे कर बहाली पर रोक लगा दी गई थी।यह फैसला नगर पालिका एक्ट के तहत लिया गया।लेकिन,कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा जब सरकार के पत्र का हवाला देते हुए नियमो से अवगत कराया तो इस बहाली को रद्द करने की अनुसंशा की गई है।
इस बारे में पूछने पर कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार ने मुख्य पार्षद द्वारा 38 कर्मियों की नियुक्ति को अवैध मानने की बात लिखित दिए जाने की बात स्वीकारते हुए कहा कि यह विभागीय मामला है।विधि सम्मत करवाई होगी।सारी बातें पब्लिकली करना उचित नहीं।