रक्सौल।(vor desk)।वीरगंज स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने भारत सरकार द्वारा मराठी, बंगाली, असमी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के पर समारोह आयोजित कर जश्न मनाया है।
कार्यक्रम का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में भारतीय महावाणिज्य दूत श्री देवी सहाय मीणा में कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने 23 अक्टूबर को मराठी, बंगाली, असमी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मंजूरी दे दी है,जिसको ले कर यह उत्सव मनाया गया है।शास्त्रीय भाषाएँ भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, जो प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मील के पत्थर का सार प्रस्तुत करती हैं। शास्त्रीय भाषा के रूप में भाषाओं को शामिल करने से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण व्यापक सांस्कृतिक र शैक्षणिक प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय महा वाणिज्य दूत ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई संबंध प्राचीन काल से चले आ रहे हैं और यह दोनों देशों की विरासत है। यह कार्यक्रम भाषाओं की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था, जिसने भारत की साहित्यिक, ऐतिहासिक और बौद्धिक परंपराओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इसी तरह यह क्षण हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि मराठी, बंगाली, असमी, पाली और प्राकृतिक को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने में उनके बड़े योगदान को स्वीकार करता है। हमारे देश की विरासत आज हम न केवल भाषाओं, बल्कि सदियों से उनके द्वारा पालन किए गए लोगों, साहित्य और परंपराओं का जश्न मनाते हैं। “
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सत्याग्रह संस्था के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार चंद्र किशोर ने कहा कि भारत को धार्मिक विरासत, संस्कृति और भूगोल की विविधता विरासत में मिली है। हर भाषा ने विभिन्न स्थानों के प्रतिनिधित्व को जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा कि हर संस्कृति और स्थान उस स्थान की पृष्ठभूमि को दर्शाती है। वहीं, बौद्ध भिक्षु श्री विक्षु मेधांकर स्थविर और श्री विक्षु महा मिलन ने पाली भाषा को भारत में शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि इससे इस प्राचीन भाषा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगा।मौके पर श्रीमती गीता कर्ण ,अशोक वैध सहित गण मान्य ने भी संबोधन किया।
इस अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति के तहत शारदा कला केंद्र( रक्साैल) तथा दिल्ली पब्लिक स्कूल(वीरगंज ) के विद्यार्थियों सहित लोक कलाकारों ने मराठी, असमिया और बंगाली भाषाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत से झूमा दिया। पारंपरिक नृत्य, संगीत और कलात्मक प्रदर्शन के माध्यम से, प्रत्येक समुदाय ने अपनी भाषाई और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि पर प्रकाश डाला, जो उनकी पहचान का एक ज्वलंत उत्सव प्रदान करता है।
इसी प्रकार कार्यक्रम में बीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ अध्यक्ष अनिल कुमार अग्रवाल ,उपाध्यक्ष माधव राजपाल ,वरिष्ठ उद्योगपती अशोक वैध,वरिष्ठ पत्रकार चन्द्र किशोर झा को दोशाला ओढ़ा कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में काउंसलर (एसीसी) शतीश पाटोदी, काउंसलर (डीसीएस )मनीष कुमार, काउंसलर (पीएससी )संजय कुमार,शारदा कला केंद्र की संचालिका शिखा रंजन , पत्रकार शिपु तिवारी,आदि मौजूद थे।(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)