रक्सौल।(vor desk)। रक्सौल बीआरसी में शिक्षक शिक्षिकाओं से अवैध वसूली और पूर्व लेखापाल के अवैध रूप से विभागीय कार्य में लिप्त पाए जाने के बाद प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई हैं।वहीं,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रंजना कुमारी के विरुद्ध प्रपत्र क गठन कर निलंबन की प्रक्रिया के लिए विभाग को लिखा गया है।इस मामले में ताजा खबर यह है कि उक्त कार्यालय में कार्यरत प्रखंड परियोजना प्रबंधक उज्ज्वल आनंद का तबादला चकिया किया गया है और उनकी जगह सुमन मेहरा को अधिकृत किया गया है।उसी तरह प्रखंड परियोजना प्रबंधक शशि भूषण को ढाका तबादला किया गया है और उनकी जगह आदित्य स्वरूप को रक्सौल में अधिकृत किया गया है।इसी तरह प्रखंड साधन सेवी (बीआरपी) किशन कुमार का चिरैया और आशुतोष कुमार का चकिया तबादला किया गया है।उनकी जगह आलोक कुमार और सुमित कुमार को अगले आदेश तक अधिकृत किया गया है। रक्सौल बीआरसी में कार्यरत रहे उक्त कर्मी आउट सोर्सिंग के तहत सेवा देते आ रहे थे।
हालाकि,निलंबन और सीधी करवाई की जगह लीपापोती होने से चर्चा का बाजार गर्म है। सवाल पूछा जा रहा है कि पूर्व लेखापाल हाकिम कुमार साह आखिर प्रखंड शिक्षा कार्यालय का ‘हाकिम ‘कैसे और किसके इशारे पर बना बैठा था?यह सब जानते हुए भी अन्य कर्मियों ने इस मामले पर चुप्पी कैसे साध रखी थी?इस मामले को ले कर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी आरोपों के घेरे हैं और उनकी कार्यशैली विवादों में हैं।
सूत्रों ने बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी( स्थापना) साहेब आलम ने आरोपों की जांच के दौरान प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रंजना कुमारी से कई तीखे सवाल किए और कथित रूप से फटकार लगाते हुए सवाल कर दिया कि आखिर हाकिम आपके कौन थे,जो,अगस्त2024 में ही सेवा मुक्त होने के बाद कार्यालय आ जा रहे थे।विभागीय कार्य कर रहे थे।उसे सक्षमता प्रमाण पत्र कैसे उपलब्ध हुआ?कार्यालय में अवैध वसूली कैसे संभव हुआ?आप क्या कर रही थीं?आपके कार्यालय में यह सब खेला कैसे चल रहा था?
जांच के दायरे में प्रखंड परियोजना प्रबंधक उज्ज्वल आनंद भी हैं।आरोप प्रत्यारोप के बीच उनसे भी सवाल किया गया कि आखिर सक्षमता परीक्षा का रिजल्ट पूर्व लेखापाल हाकिम को कैसे हासिल हुआ?आखिर वह किसकी इजाजत से सक्षमता प्रमाण पत्र वितरण कर रहा था?दो सौ रुपए प्रति शिक्षक वसूली की बात जांच में सत्य पाए जाने के बाद हाकिम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।लेकिन, लीपापोती की चर्चा इसलिए हो रही है की प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर भी प्राथमिकी दर्ज होने के बजाय खुद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। गवाह जिला शिक्षा पदाधिकारी बने हैं।जबकि,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार की चर्चा सूबे भर में फैल चुकी है।ऐसे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर सवाल उठना लाजिमी है।असली सवाल यह है की जो भ्रष्टाचार व्याप्त था, वह केवल हाकिम तक ही सीमित था?प्रखंड के अनेकों शिक्षक अब खुल कर घूसखोरी की चर्चा करने लगे हैं कि प्रतिदिन ड्यूटी और उनकी गाढ़ी कमाई के एवज में लोन लेने के लिए भी एक लाख में एक हजार तक का रिश्वत देना पड़ता है।कोई काम बिना घुस के नही होता।योजनाओं में भी लूट खसोट मचाई गई है।बेंच डेस्क खरीद, एमडीएम,शौचालय निर्माण,पाठ्य पुस्तक और स्टेशनरी वितरण जैसे मामले में खूब लूट हुई है।जिला प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जांच हो तो सारी कलई खुल जायेगी।
इधर,जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि निष्पक्ष जांच होगी।प्रथम दृष्ट्या पूर्व लेखापाल का अवैध कार्य और पैसा वसूली का मामला सत्य पाया गया है।प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के खिलाफ प्रपत्र क गठित कर विभाग को भेजा गया है,क्योंकि,निलंबन की करवाई डायरेक्टर लेवल से ही संभव है।
वैसे इस मामले को खुद जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल देख रहे हैं और उन्ही के निर्देश पर प्राथमिकी और निलंबन की करवाई शुरू हुई है।कर्मियों का तबादला कर दिया गया है।अब देखना है की आगे क्या होता है!वैसे जांच की आंच तेज होने से वैसे शिक्षक शिक्षिका जिन्होंने घुस की रकम देने के बावजूद इंकार किया है और वायरल विडियो में उन्हें घुस देते देखा जा रहा है, उन पर भी गाज गिरने की आशंका है कि उन्होंने किसके दबाव में और क्यों झूठ बोला?फिलहाल इस प्रकरण से विभाग में खलबली है।