Monday, April 21

बिहार में गुरुजनों से अवैध वसूली के मामले में बड़ी करवाई, रक्सौल बीआरसी के पूर्व लेखापाल पर प्राथमिकी,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर कारवाई की गाज!

रक्सौल।(vor desk)। बिहार में गुरु जी से अवैध वसूली का मामला तूल पकड़ गया है।प्रति शिक्षक दो दो सौ रुपए वसूली हो रही थी।वह भी शिक्षा विभाग के हाकिम के दफ्तर में। रक्सौल में यह मामला सामने आया है।जब इस अवैध वसूली की विडियो वायरल हुई तो शिक्षा महकमा को अपनी करतूत छुपाना मुश्किल हो गया। अंतत:,शिक्षा विभाग को करवाई करनी पड़ी है।मामले में रक्सौल थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।वहीं,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर भी गाज गिरी है।यह अवैध वसूली प्रखंड शिक्षा विभाग के अधीन संचालित बीआरसी कार्यालय में चल रही थी।जाहिर है कि बिना मिली भगत और उच्च पदाधिकारी के वरद हस्त के बिना घूसखोरी कदापि संभव नहीं होता।इस वाक्या से शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार ,कुव्यवस्था और शोषण,दोहन सामने आया है और हर ओर किरकिरी शुरू हो गई है।

जिला प्रशासन कार्यालय के द्वारा जारी प्रेस नोट के मुताबिक,रक्सौल प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में अवैध कार्यों की शिकायत प्राप्त होने पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।साथ ही प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी रंजना कुमारी के विरुद्ध निलंबन की अनुशंसा के साथ प्रपत्र क गठित कर अग्रतर करवाई हेतु विभाग को भेजा गया है।

यह अवैध वसूली सक्षमता प्रमाण पत्र देने के लिए मांगी जा रही थी।घुस में पैसे के संबंध में विडियो वायरल प्रकरण को ले कर पूर्वी चंपारण के जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना साहेब आलम के द्वारा संयुक्त रूप से प्रखंड संसाधन केंद्र (बी आर सी) रक्सौल की जांच की गई। वहां पर पूर्व लेखापाल हाकीम कुमार साह उर्फ हाकिम कुमार रजा इस मामले में दोषी पाए गए। बताया गया कि हाकीम कुमार साह (पूर्व लेखपाल) का अगस्त 2024 में ही सेवा समाप्त कर दी गई थी फिर भी वे बीआरसी पर आते जाते थे।

स्थानीय थाने में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रंजना कुमारी ने लिखित आवेदन दे कर हाकीम कुमार साह के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई जिसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार खुद गवाह बने हैं। जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार के द्वारा बताया गया है कि प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी के विरुद्ध आरोप पत्र गठित कर दिया गया है और इस संबंध में निलंबन की अनुशंसा निदेशक, प्राथमिक शिक्षा,बिहार, पटना को भेज दी गई है।उन्होंने स्वीकार किया कि अनुबंध पर नियुक्त हाकिम कुमार रजा की सेवा अवधि अगस्त में ही समाप्त हो गई थी।बावजूद,अवैध तौर पर कार्यालय में आना जाना बना हुआ था।जांच में अवैध रूप से कार्यालय में आने,कार्य करने और पैसा लेने का मामला प्रथम दृष्टया सामने आया है,जिसके बाद अग्रतर करवाई शुरू की गई है।

जानकारी के मुताबिक,इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है।इस सिलसिले में खुद जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार,जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना )साहेब आलम,जिला शिक्षा कार्यालय के लिपिक राजीव रंजन सिंह, बीआरपी अवधेश सिंह ने राजकीय मध्य विद्यालय पनटोका का औचक निरीक्षण किया तथा बीआरसी द्वारा सक्षमता प्रमाण पत्र वितरण में दो दो सौ रूपये वसूली का लगे आरोप के समर्थन में शिक्षक और शिक्षकाओं से आवश्यक पूछताछ भी की।सक्षमता प्रमाण पत्र लेने बीआरसी गए शिक्षक और शिक्षिकाओं से आवश्यक पूछताछ में शिक्षक और शिक्षिकाओं ने किसी प्रकार की लेन देन से इनकार किया तो इसके समर्थन में लिखित इकरारनामा भी लिया गया,जिसमें शिक्षकों ने वसूली का शिकार नहीं होने की बात लिख अधिकारियों को समर्पित किया।वही,शुक्रवार को बीआरसी प्रमाण पत्र लेने पहुंचे सेमरी,भालुआहियां,लक्ष्मीपुर आदि विद्यालय के शिक्षकों को भी बीआरसी तलब किया गया।जहां अधिकांश शिक्षकों ने वायरल वीडीओ में खुद के शामिल होने तथा वसूली से इनकार किया।हालाकि,विडियो में पैसे देते दिख रहे शिक्षक और शिक्षिकाओं ने कैसे इंकार करते हुए अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की,यह खुद में रहस्य बन गया है।कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
हालाकि,जांच के बाद प्रखंड शिक्षा कार्यालय में देर शाम तक चले मैराथन बैठक के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने एसडीओ शिवाक्षी दीक्षित से भी मुलाकात की,जो इस मामले को ले कर काफी गंभीर हैं।

वैसे,इस मामले से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है।वैसे यह पूरा मामला उच्चस्तरीय जांच का विषय बन गया है।क्योंकि,शिक्षा विभाग के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रंजना कुमारी भी लपेटे में आ गई हैं।सवाल यह है कि आखिर हाकिम कुमार साह का अनुबंध अगस्त माह में ही समाप्त हो गया था,तो वह कार्यालय कैसे आते जाते थे?आखिर उन्हे सक्षमता परीक्षा का प्रमाण पत्र कैसे हासिल हुआ,जिसके बदले प्रति शिक्षक कथित रूप से 200 रुपए दर से वसूला जा रहा था?क्या यह स्थिति केवल रक्सौल में ही है , या पूरे राज्य में है?यह सवाल आम लोगों से ले कर बुद्धिवियों के जेहन में कौध रहा है।इससे भी बड़ा सवाल यह है कि जब बीआरसी कार्यालय में यह अवैध वसूली का खेल चल रहा था,तो, कारवाई केवल प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और पूर्व लेखापाल पर ही क्यों हुई?जांच के दायरे में रखते हुए सभी कर्मियों का तत्काल प्रभाव से सामूहिक निलंबन क्यों नहीं हुआ,ताकि,जांच पर आंच न आए।वैसे इस अवैध वसूली प्रसंग के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रंजना कुमारी और उनके नजदीकी अधिकारी,कर्मी,और शिक्षको के करतूतों की कहानी एक पर एक सामने आने लगी है।वहीं,दबे जबान से मामले को रफा दफा करने की उच्चस्तरीय लॉबिंग और सेटिंग गेटिंग का खेल शुरू होने चर्चा भी तेज है।

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