Saturday, November 23

नगर परिषद की समीक्षा बैठक के बीच में ही सदन छोड़ कर निकल गई सभापति धुरपति देवी,खुल कर सामने आ गई गुटबाजी,नही हो सका कोई निर्णय!

रक्सौल।(vor desk)।रक्सौल नगर परिषद कार्यालय में बुधवार को सभापति धुरपति देवी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित हुई,जो हंगामेदार और अनिर्णीत रहा।सदन में गुटबाजी उभर कर सामने आ गई।स्थांतरित कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव भी निशाने पर रहे और उनके कार्यकाल के कार्य कलापो की जांच की मांग जोरदार ढंग से उठी।बैठक में क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि के तौर पर भाजपा विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा और एमएलसी महेश्वर सिंह भी उपस्थित रहे,जिन्होंने मिल जुल कर रक्सौल के सर्वांगीण विकास में लगने का आह्वान किया और कहा कि शहर को साफ सुंदर और विकसित बनाने के लिए जरूरी फंड से ले कर हरेक सहयोग समर्थन देंगे।जन प्रतिनिधियों के स्वागत सम्मान के बाद सदन की कारवाई शुरू हुई।जिसका संचालन कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार ने किया।

पिछले दिनों14पार्षदों के समूह के द्वारा दिए गए आवेदन पर यह समीक्षा बैठक नगर परिषद सभापति धुरपति देवी द्वारा आहूत की गई थी।जिसमे 16 नवंबर 2023और 13फरवरी 2024 को हुए स्टेंडिंग कमेटी में लाए गए प्रस्ताव के आलोक में लिए गए कई निर्णय आदि विषयों पर समीक्षा और चर्चा परिचर्चा होनी थी। बैठक शुरू होने के बाद पार्षद घन श्याम प्रसाद,अनुरागनी देवी,सीमा देवी,सोनू गुप्ता आदि ने बैंक रोड,ब्लॉक रोड, मछली बाजार,सब्जी बाजार रोड और विभिन्न नालों के निर्माण पर चर्चा की।पुरानी पोखरा पर लेडीज टॉयलेट ,फल मंडी,वेंडर जोन आदि निर्माण की बात उठाई,जो पहले से प्रस्तावित है।जन प्रतिनिधियों के पहल पर सर्व सम्मति बनी कि नगर के सभी25वार्ड में प्राथमिकता के आधार पर एक एक योजना पर तुरंत काम शुरू हो,ताकि, लगे की विकास का काम हो रहा है।

इस बीच,बैठक के एजेंडा के तहत स्टेंडिंग कमेटी के पूर्व में हुए दोनो बैठक की समीक्षा के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई।विभिन्न विकास मुद्दों के बीच आरोह अवरोह से गुजरते हुए इस मुद्दे पर गर्मा गर्म बहस शुरू हुई,जो तल्खी में आ गई।

विक्षुब्ध और गोलबंद पार्षदों ने एक जुट हो कर सभापति को घेरने के साथ ही उन पर तानाशाही,भ्रष्टाचार,अवैध बहाली,बोर्ड की बैठक नही बुलाने,नियम विपरीत कार्य करने और मांगने के बाद भी जरूरी सूचना नही देने जैसे कई आरोप मढ़े।अपार दर्शी तरीके से बिना नियम के पालन किए निम्न वर्गीय सहायक तथा चालको की नियुक्ति और उसमे सगे संबंधियों को तवज्जो देने ,गुप चुप तरीके से करोड़ों के सफाई उपकरण की खरीद जैसे मुद्दों पर हंगामा किया।वार्ड पार्षद जितेंद्र दत्ता,रंजित श्रीवास्तव ,दीपक कुमार ,कुंदन सिंह,मुकेश कुमार, ओम कुमार आदि ने एक स्वर से मुख्य पार्षद को घेरते हुए सवाल किया की पंजी में स्टेंडिंग कमेटी की बैठक की संपुष्टि सर्व सम्मत कैसे हो गई ?जबकि,वार्ड पार्षदों को इसकी जानकारी और प्रति बैठक से एक घंटे पूर्व मिली है।नियम के तहत इसकी प्रति 15दिन पहले मिलनी चाहिए थी।ऐसे में यह गलत और न्याय संगत कदम है।करवाई पुस्तिका मांगने पर भी नही दिया जा रहा।बोर्ड की बैठक भी नही बुलाई जा रही।उन्होंने स्थांतरित कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव की भूमिका और पूरे कार्य कलाप के जांच की जोरदार मांग की।

इस दौरान विधायक प्रमोद सिन्हा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा की एक तरफा कुछ भी नही होना चाहिए।बोर्ड की सहमति लेनी होगी।यदि जांच जरूरी होगी,तो अवश्य होगी।आप आवेदन दीजिए,राज्य सरकार स्तर पर जांच होगी।

हंगामे और हो हल्ला के बीच कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार ने भी कहा कि जो मामले सामने लाए गए है उनकी जांच कर नियमानुकुल करवाई की जायेगी।अब बैठक से संबंधित प्रति धारा 60के तहत 7दिन में उपलब्ध करा दी जाएगी।

इस बीच सभापति का बचाव में उतरे स्टैंडिंग कमेटी सदस्य सोनू गुप्ता ने नियमो के हवाले से तर्क दिया कि समीक्षा बैठक में स्टेंडिंग कमेटी के निर्णय को बदलने ,रद्द करने का अधिकार नहीं है।निर्णय के छह माह के भीतर इसकी समीक्षा नही हो सकती।इसलिए बैठक के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर सभा को भंग किया जाए।

इस पर पार्षद दीपक कुमार ने कड़ा ऐतराज जताया कि बिना रोस्टर का पालन किए लिया गया निर्णय रद्द क्यों नही हो सकता? छ माह बीत चुके हैं।वहीं,पार्षद कुंदन सिंह ने सदन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए साफ कहा कि हम लोग उपस्थिति पंजी और कारवाई पंजी पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे,क्योंकि,कहा कुछ जाता है,लिखा कुछ जाता है।

इस पर कार्यपालक पदाधिकारी ने संयम और मर्यादा बरकरार रखने की सलाह दी।बढ़ती तल्खी और गर्म माहौल के बीच बैठक को बीच में ही छोड़ कर अध्यक्षता कर रहीं मुख्य पार्षद धूरपति देवी कुछ पार्षदों के साथ सदन से निकल गई। संचालन कर रहे कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार भी निकल गए।उनके साथ ही विधायक और एमएलसी भी उठ कर चल दिए।जबकि,मंचासिन उप मुख्य पार्षद पुष्पा देवी समेत कुल 12 पार्षद सभागृह में इस उम्मीद में बैठे रह गए कि समीक्षा बैठक की प्रक्रिया चलेगी।हालाकि,सभापति नही लौटीं।इससे पार्षदों में क्षोभ और आक्रोश साफ दिखा।उन्होंने नाराजगी जताया कि खुद मुख्य पार्षद ने बैठक बुलाई है और खुद ही सभा को भंग कर चली गई। हालाकि,कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार ने बाद में पार्षदों को सफाई देते हुए कहा कि सभापति ने ही बैठक आहुत की थी।खुद ही बीच में निकल गई,इसलिए सभा को स्थगित कर दिया गया।कोई निर्णय नहीं हो सका।

बैठक में अंतिमा देवी, आशा देवी, रविता देवी अनुपस्थित रही।जबकि,मौके पर पार्षद सोनू कुमार गुप्ता, घनश्याम प्रसाद, मो अब्बास, रंजीत कुमार श्रीवास्तव, जितेंद्र दत्ता, ओम कुमार साह, रवि कुमार गुप्ता, मुकेश कुमार, वीरेंद्र प्रसाद, दीपक कुमार, डिम्पल चौरसिया, अनुरागनी देवी, पन्ना देवी, आशा देवी, सीमा गुप्ता, सुगंधी देवी, कांति देवी, नीलाछी श्रीवास्तव, शायरा खातून, सुगंति देवी, रम्भा देवी समेत नप कर्मी सागर गुप्ता, कन्हैया कुमार यादव, बैजू जयसवाल,राजकुमार राय, गुडडू कुमार, पंकज कुमार, राकेश कुमार, सोनू मंडल आदि उपस्थित रहे।

(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)

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