● शिक्षाविद प्रो. (डॉ.) स्वयंभू शलभ ने छात्रों से की अपील
रक्सौल।(vor desk)।माता सरस्वती के मूर्ति विसर्जन के दौरान अश्लील गीतों पर प्रदर्शन को लेकर शिक्षाविद प्रो. (डॉ.) स्वयंभू शलभ ने भक्ति भावना के बीच अश्लील गानों को बजाये जाने से रोकने और भोजपुरी भाषा की गरिमा को बचाने के लिए छात्रों से आगे आने की अपील की है।
कहा है कि पूजा बीतने के बाद बीते दो दिनों से मूर्ति विसर्जन को लेकर सड़कों पर खूब शोर शराबा है। कानफाडू लाउडस्पीकर और डीजे के साथ लड़कों की टोली भोजपुरी के अश्लील गीतों की धुन पर झूम रही है। अश्लील भोजपुरी गीतों का बाजार फलफूल रहा है और उत्साही नौजवान और बच्चे इस जश्न में डूबे हुए हैं। जुलूस में ज्यादातर जगहों पर ऐसे ही गीत गूंज रहे हैं। भक्ति गीतों की ट्यून पर भी फूहड़ गाने बजाये जा रहे हैं। क्या शहर, क्या गांव… हर जगह यही नजारा है। कहीं कहीं बिरले कोई भक्ति गीत सुनाई भी दे दे तो अश्लील गानों का शोर इतना अधिक है कि वो भक्ति गीत भी उस भीड़ में कहीं खो जाते हैं।
डॉ. शलभ ने आगे कहा है कि समस्या इन उत्साही युवकों के नाचने गाने से नहीं है। पर्व त्योहार तो अवसर ही होते हैं आस्था और उमंग के। समस्या उन फूहड़ गानों के बोल के साथ उन लड़कों की फूहड़ हरकतों से है जो किसी न किसी विद्यालय के छात्र हैं। उन्हें होश नहीं है कि वे किस बात पर मग्न हो रहे हैं और ये गाने हमारी संस्कृति को किस गर्त्त में ले जा रहे हैं।
आगे कहा कि भोजपुरी भाषा की गरिमा को धूल में मिलाने वाले, ऐसे फूहड़ गीत लिखने और गाने वाले इस पीढ़ी को बरबाद करने पर तुले हैं। जिन गानों की वजह से भोजपुरी भाषी क्षेत्रों की छवि पूरे देश में खराब हो रही है उन्हें बंद कराने की कोशिश की जगह उन गानों के साथ जश्न मनाकर आप ऐसे लोगों का मनोबल बढ़ा रहे हैं। इसी वजह से अश्लील गीत लिखने और गाने वाले मिलियन और बिलियन व्यूज का दावा करके एक खास वर्ग का स्टार बने हुए हैं। छात्रों को यह समझना चाहिए।
पठन पाठन से जुड़े छात्रों से आग्रह करते हुए डॉ. शलभ ने कहा कि उन्हें खुल कर इस सांस्कृतिक प्रदूषण के खिलाफ आगे आना होगा तभी अपनी संस्कृति को बचा पाएंगे और एक सभ्य समाज का नागरिक बन सकेंगे।