रक्सौल।(vor desk)।बीरगंज स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी कविता समारोह का आयोजन किया गया।इसमें भारत नेपाल के कवियों ने काव्य प्रस्तुति से शमा बांध दिया।महफिल खूब जमी। वंस मोर वंस मोर गूंजता रहा।
भारतीय महा वाणिज्य दूतावास परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन सुश्री प्रिया मिश्रा ने दीप जलाने के साथ सरस्वती वन्दना ‘तू ही मां भारती’ से किया।
कवि ध्रुव सिंह ठाकुरी ने अपनी प्रस्तुति-‘जुल्फ बंगाल, शाल कश्मीर की,साल 16की चढ़ती जवानी रहे,तुम सलामत रहे जोह रे जमी,जब तक गंगा जमुना रहे।…से खूब तालियां बटोरी।
रक्सौल के केसीटिसी कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक प्रो डा हरेंद्र हिमकर ने हिंदी की महता को यूं प्रस्तुत किया ‘मेरे रोम रोम में मानो सुधा श्रोत तब बहते है, सब कुछ छूट जाए,अपनी भाषा कभी ना छोडुगा,वह मेरी माता है।उससे नाता कैसे तोडूंगा.!’
युवा कवि ऋतु राज ने दिल ए हाल पर सुनाया-‘इतनी गुजारिश है की किसी का हो हमारा दिल,किसी खंजर का निशाना हो हमारा दिल, उसी के नाम ले जागे,उसी के प्यार में पागल,दीवाना था,दीवाना है ,हमारा दिल..!’
वहीं धर्म के ठेकेदारों पर तंज किया-‘तुम्हे भी बांट के ,जो हमे भी बांट कर रखे।धर्म के ठेकेदारों को कोई तो डांट के रखे।’
इधर,कवियों ने वर्तमान राम मंदिर के माहौल पर खूब कविता पाठ किया और काव्य गोष्ठी को राम मय बना दिया।
युवा कवियत्री सुश्री प्रिया मिश्रा ने अपनी प्रस्तुति-‘राम विराजे संग सीता मैया,आई अयोध्या में सुंदर समैया।राम सिया राम,जय जय शिया राम ..से खूब तालियां बटोरी।
तो,युवा कवित्री अस्मिता पटेल ने राम जानकी मिलन प्रसंग पर सुंदर प्रस्तुति दी -‘लाज से सिया गड़ी की गडी रह गई,पुष्प की वाटिका राम को देख कर मूर्ति बन कर रह गई..सीता जी देखती ही रह गई!’
उन्होंने सीता की व्यथा से जोड़ते हुए बेटियों के भ्रूण हत्या पर उन्होंने मार्मिकता से तंज किया..कलियां ही फूल कब खिलते, गर तितलियां नही होती। मेघ कब गरजता,अगर बिजली नही होती।इस जमीन पर मर्द भी ना होते,यदि बेटियां नही होती!
कवित्री पिंकी मित्तल ने -अयोध्या में श्री राम पधारे,कैसे हैं बड़ भाग्य हमारे।हाथ मैं जोडूं उनको,उनको शीश नवाऊं, नैनों में दर्शन की आस लगाऊं..!..से खूब तालियां बटोरी।
‘इसी तरह प्राध्यापिका सीमा कर्ण ने सुनाया-’22जनवरी दिन से महान है।प्राण प्रतिष्ठा हो यही अरमान है।जय श्री राम गूंजे,सारा अयोध्या धाम है। चलो देखन सखी आए प्रभो श्री राम..!और
अयोध्या में आयेंगे राम,क्योंकि सपना यही है।माथे में मुकुट और पाव में खडाम।कंधे पर धनुष और कमान है। ‘
तो, कवि सतीश चंद्र सजल ने हिंदी की महिमा कुछ यूं बताया-‘
हिंद महासागर सी गहरी है विशाल अपनी हिंदी, रूठे दिल को रोज मनाने की भाषा है हिंदी।’
वही,वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकिशोर ने कहा कि हिन्दी नेपाल में पुनर्जागरण की भाषा है।यह भाषा केवल दो देशों के संबंधों को ही नहीं अपितु भारत नेपाल के साहित्य और संस्कारों को जोड़ती है।यह जुड़ाव बने रहना ही असली कविता होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय महावाणिज्य दूत देवी सहाय मीणा ने किया।उन्होंने हिंदी के महत्व और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के प्रयासों को जानकारी साझा करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी के हिंदी दिवस के संदेश को पढ़कर सुनाया और शुभ कामनाएं दी। नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद के अध्यक्ष सतीश चन्द्र सजल ने मंच संचालन किया।कार्यक्रम में उप महा वाणिज्य दूत तरुण कुमार,वाणिज्य दूत शैलेंद्र कुमार,शशि भूषण कुमार,सतीश पट्टपु समेत महेश अग्रवाल, शिपु तिवारी,शिखा रंजन,ऋतु राज, सुबोध गुप्ता,दीपक अग्निरथ,गणेश शंकर,विपिन कुशवाहा,समेत नेपाल के विदेश मंत्रालय के बीरगंज स्थित संपर्क कार्यालय के मुख्य संपर्क अधिकारी, बीरगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्य, नेपाल एसबीआई बैंक लिमिटेड, बीरगंज शाखा के शाखा प्रबंधक, वरिष्ठ पत्रकार, मधेश विश्वविद्यालय के उप-कुलपति और कुलसचिव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, कवि, साहित्यकार आदि सहित बीरगंज और रक्सौल के अन्य प्रमुख व गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।