Saturday, November 23

रक्सौल के पंटोका स्थित राजकीय मध्य विद्यालय में पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फूले की जयंती मनी!

रक्सौल।(vor desk)।प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय पनटोका में बुधवार को एशिया की पहली महिला शिक्षिका, क्रांति ज्योति राष्ट्रमाता सावित्री बाई फूले की जयंती वरीय शिक्षिका गीतारानी की अध्यक्षता में आहूत हुई।इस कार्यक्रम में शिक्षकों–शिक्षिकाओं व छात्र–छात्राओं ने बारी बारी से माल्यार्पण सह पुष्पर्चन किया तथा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।बच्चों को संबोधित करते हुए शिक्षक मुनेश राम ने बताया कि जिस समय हमारा समाज सामाजिक कुरीतियों की वर्जनाओं में उलझा हुआ था तथा महिलाओं व बालिकाओं को जाति व धर्म आधारित दकियानूसी विचारधारा तथा पाखंड के कारण शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों से महरूम रखा जाता था।ऐसे समय दक्षिण भारत में एक क्रांति ज्योति का उद्भव हुआ,जिन्हे सावित्री बाई फूले के रूप में हम जानते है।महज ग्यारह वर्ष की आयु में इनका बाल विवाह (उस समय की प्रचलित कुप्रथा के कारण) आधुनिक भारत में सर्वशिक्षा के जनक महात्मा ज्योतिराव फूले के साथ हुई।उन्होंने कहा कि अशिक्षा के कारण समाज की बालिकाओं के बाल विवाह,विधवा प्रथा और शोषण से मुक्ति के लिए उनके पति ज्योतिबा ने सरकार और अतिवादियों से संघर्ष के लिए शंखनाद कर दिया और अभिवंचित वर्ग को शिक्षा से जोड़ने का बीड़ा उठाया तो उन्होंने देखा कि जब तक महिलाओं को शिक्षित नहीं किया जायेगा,तब तक अभिवंचित वर्गों के बीच बाल विवाह,विधवा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करना संभव नहीं है। फलतः उन्होंने अपनी निरक्षर पत्नी माता सावित्री बाई फूले को पढ़ाया तथा महज 17 वर्ष की उम्र में भारत ही नहीं अपितु एशिया महादेश की पहली महिला शिक्षिका बना पांच सितंबर 1848 को बालिकाओं के लिए पुणे में प्रथम बालिका विद्यालय की स्थापना की और महज नौ बालिकाओं से बालिका विद्यालय की शुरुआत किया।फूले दंपती का यह प्रयास और उनके द्वारा जलाई गई क्रांतिज्योत आधुनिक भारत के लिए मिल का पत्थर साबित हुआ और दुनियां में फिर से इंदिरा गांधी,मीरा कुमार,मायावती,नजमा हेपतुल्ला,बछेंद्री पाल,किरण बेदी,संतोष यादव,अरुंधति राय,सुषमा स्वराज,महामहिम द्रोपदी मुर्मू जैसी महिलाओं को दुनियां में परचम लहराने का मौका मिला।वही,कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रभारी एचएम प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जिस महिला ने अपने संघर्षों की बदौलत देश की महिलाओं को सम्मान से जीने,विधवा प्रथा व बाल विवाह से मुक्ति के मुक्ति के लिए संघर्ष किया।उनका योगदान आज भी अविस्मरणीय है।हमें वैसी वीरांगना महिला से प्रेरित होकर शिक्षा को आत्मसात करने चाहिए,जबकि शिक्षक मो.सैफुल्लाह ने कहा कि मानवता का सर्वांगीण विकास शिक्षा से ही संभव है।इसके लिए हमें प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फूले व उनकी सहयोगी फातमा शेख की जीवनी से प्रेरणा लेकर बालिका शिक्षा को मजबूत करने की जरूरत है।एक व्यक्ति खुद शिक्षित होता है लेकिन एक महिला अगर शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। हर सामाजिक परिवर्तन का आगाज शिक्षा यानी तालीम से ही शुरू होता है और तालीमयाफ्ता समाज ही विकास को इबारत गढ़ता है। फलतः हमें अगर थाली बेचने पड़े तो बेंचे,लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएं,यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।इस मौके पर शिक्षक कुंदन कुमार,सुभाष प्रसाद यादव, रूपा कुमारी,बबिता कुमारी, आसमां प्रवीण,कविता कुमारी,दीक्षा कुमारी सहित छात्र छात्राएं भी शामिल रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!