रक्सौल।(vor desk)। एक सप्ताह से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही सलोनी आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई ! सलोनी कुमारी की मौत उपचार के दौरान शुक्रवार की सुबह पीएमसीएच पटना में हो गई।इस खबर ने लोगों को दुखी बना दिया।रामगढ़वा प्रखंड के उंचीडीह गांव निवासी प्रमोद पांडेय की पुत्री सलोनी पिछले रविवार को दरोगा की परीक्षा देने तुरकौलिया जा रही थी।इसी दौरान हादसा हो गया।
सुगौली रेलवे स्टेशन पर झपटमार गिरोह का सदस्य सलोनी का मोबाइल छीनकर भागने लगा।मोबाइल बचाने के चक्कर में अन बैलेंस हो कर चलती ट्रेन के नीचे गिर गई जिससे उसका एक हाथ और एक पैर कट गया था।
सुगौली पीएचसी से हुई थी रेफर
सुगौली रेल पुलिस व जीआरपी पुलिस ने उपचार हेतु सुगौली पीएचसी में भर्ती कराया, फिर वहां से बेहतर उपचार के लिए मोतिहारी रेफर कर दिया गया। इसके बाद मोतिहारी से उसे पटना पीएमसीएच भेज दिया गया था। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
परिवार सदमे में
पिता किसान और मां वार्ड सदस्य
मृतका सलोनी के पिता प्रमोद पांडेय खेतीबाड़ी कर अपने परिवार की परवरिश करते हैं। सलोनी की मौत की खबर से पूरे गांव में मातमी सन्नाटा छा गया।परिवार सदमे में है। परिजन रो-रोकर बेहाल हैं। प्रमोद पांडेय की पत्नी रीना देवी उंचीडीह वार्ड नम्बर 5 की वार्ड सदस्य हैं।
सलोनी थी मेघावी,हादसे ने छीन ली जिंदगी
सलोनी न केवल साहसी और व्यवहारिक थी,बल्कि,काफी मेधावी भी थी।
सलोनी ने मैट्रिक की पढ़ाई रघुनाथपुर उच्च विद्यालय व बीए की पढ़ाई रक्सौल महाविद्यालय से की थी। सलोनी कुमारी के दो भाई हैं। सलोनी से छोटा भाई सुभम पांडेय मैट्रिक का छात्र है।
दूसरा भाई सौरभ पांडेय 8 वीं वर्ग में पढ़ाई करता है। शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में सलोनी काफी मेघावी थी। वह हर हाल में सरकारी नौकरी पाकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारना चाहती थी।
अरमानों पर तुषारापात
सलोनी की मौत से परिजनों के सारे अरमान ढह गए। बड़ी लड़की होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी वह खुद उठाना चाहती थी। इस बार दरोगा के परीक्षा के लिए उसने जमकर तैयारी की थी।
गरीब पिता के सपने को साकार करने के साथ-साथ भाइयों को भी उच्च शिक्षा देने का मन में सपना संजोए हुए थी। हाथ व पैर कट जाने के बाद भी 6 दिन तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ती रही। अंततः जिंदगी से जंग हार गई।
घटना के बाद गांव में मातमी सन्नाटा छा गया है। सबके मुंह से एक ही बात निकल रही है, हे ईश्वर ये तूने क्या किया?(रिर्पोट: पी के गुप्ता)।