Sunday, November 24

रक्सौल अनुमंडल अस्पताल में बच्चे के हथेली में बने छठे उंगली को सर्जरी कर हटाया गया,नव प्रतिनियुक्त एनेस्थेटिक ने किया ओटी का निरीक्षण

रक्सौल।(vor desk)। रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल में मंगलवार से सर्जिकल ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है।नव पदस्थापित मेडिकल ऑफिसर सह सर्जन डा विजय कुमार के नेतृत्व में एक आठ माह के बालक सन्नी कुमार की सर्जरी की गई,जिसे बाएं हाथ के हथेली में छह उंगली थी।छठे उंगली को सर्जरी के द्वारा हटाया गया।इसकी पुष्टि करते हुए अस्पताल उपाधीक्षक राजीव रंजन ने बताया की बच्चे को एनोमेली की शिकायत थी,जिस कारण छह उंगली बन जाती है।इसे सफलतापूर्वक सर्जरी के जरिए हटा दिया गया है।उन्होंने बताया कि अस्पताल में मरीजों के हल्के फुल्के सर्जरी ऑपरेशन की सेवा शुरू कर दी गई  है।इधर, रक्सौल के मौजे माई स्थान निवासी इंद्रजीत दास अपने पोते सन्नी के सर्जरी के बाद ठीक होने पर हर्ष जताया और कहा की यहां ऑपरेशन की सुविधा शुरू होने से  क्षेत्र के लोगों को काफी राहत मिलेगी।मरीजों को भटकना नही पड़ेगा।

*नव प्रतिनियुक्ति एनेस्थेटिक ने किया ओटी का निरीक्षण,ऑपरेशन शुरू करने के लिए हुई मीटिंग


रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल में शीघ्र ही व्यवस्थित रूप से ओटी में सर्जरी की तैयारी शुरू हो गई है।पूर्वी चंपारण के सिविल  सर्जन डा अंजनी कुमार के निर्देश पर यहां प्रतिनियुक्त  एनेस्थेटिक(मूर्छक) डा एसएन सत्यार्थी ने सोमवार की दोपहर पहुंच कर ओटी का निरीक्षण किया।साथ ही अस्पताल उपाधीक्षक डा राजीव रंजन,सर्जन डा विजय कुमार समेत अन्य चिकित्सको  के साथ मीटिंग कर सप्ताह में एक दिन सोमवार को सर्जिकल ऑपरेशन शुरू करने का प्लान बनाया।कुछ सर्जिकल इक्यूपमेंट,एनेस्थेसिया की दवा,जरूरी मशीन, उपकरण आदि की कमी पर चर्चा हुई ,जिसे दूर करने लिए विभाग को इंडेंट करने का निर्णय लिया गया है ,ताकि,उक्त मेडिकल इक्यूपमेंट आदि उपलब्ध होते ही जल्द सर्जरी शुरू हो सके।उपाधीक्षक डा राजीव रंजन कुमार ने बताया कि जल्द ही सर्जरी शुरू किया जाएगा।बता दे कि अनुमंडल अस्पताल सह  पीएचसी में सीनियर सर्जन डा सेराज अहमद के साथ ही अब डा विजय कुमार  की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है।लेकिन,एनेस्थेसिया के चिकित्सक के नही रहने से यहां सर्जरी का कार्य शुरू नही हो पा रहा था।इस कारण से हाइड्रोसील,हर्निया एवं प्रसव मामले में भी सर्जरी नही होने से मरीजों समेत गर्भवति महिलाओ को निजी अस्पताल का रुख करना पड़ता है,जिससे निजी अस्पताल,नर्सिंग होम वालो की चांदी कटती रही है।

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