पटना/रक्सौल (vor desk)।भारत नेपाल सीमा के रक्सौल स्टेशन के यार्ड में उतरने वाले कलींकर को बन्द कराने के लिए आंदोलन और जद्दोजहद के बाद हुई बंद होने की करवाई की बात भूलने का विषय नहीं है। रक्सौल सीमा क्षेत्र के बड़ी आबादी को कलिंकर के उड़ने वाले धूल कण युक्त प्रदूषण से 2017में मुक्ति मिली ,तो,सभी ने राहत की सांस ली।पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर यह कारवाई संभव हुई थी।रेलवे ने कोर्ट में यह हलफनामा दिया कि रामगढ़वा में इस लोडिंग अनलोडिंग का कार्य सिफ्ट कर दिया गया है।हालाकि,ऐसा हुआ नही।अब दुबारा इस मामले पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की और गुमराह किए जाने पर सख्ती दिखाते हुए समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम को पटना हाईकोर्ट में सदेह उपस्थित होने का निर्देश दिया।इससे रेलवे में हड़कंप मच गया है।दरअसल,यह मामला कोर्ट की अवमानना का है,इसलिए अधिकारियो की घिग्घी बंध गई है। डीआरएम को 4अक्तूबर को कोर्ट में उपस्थित होना है।
इस बीच,रेलवे ने 30सितंबर को आनन फानन में एक आदेश जारी कर रक्सौल स्थित रेलवे गुड्स यार्ड में कोल डस्ट के बुकिंग,लोडिंग अनलोडिंग पर रोक लगा दी है।
बता दे कि यह कोल डस्ट भी कलिंकर की तरह लोगों का जीना मुहाल कर रखा है।दो दिनो पहले आंधी आने के समय का विडियो तेजी से वायरल हो रहा है,जिसमे कोल डस्ट की आंधी बह रही है और बच्चे बचने के लिए भाग रहे हैं।कोल डस्ट का धूल करीब5/10किलो मीटर के क्षेत्र में प्रदूषण फैलाता है। जिससे लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं।
पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद हाल ही में पदस्थापित समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम विनय श्रीवास्तव ने 28सितंबर को रक्सौल रेलवे स्टेशन समेत गुड्स यार्ड(नेपाल साइडिंग) का निरीक्षण किया।रेल यार्ड में डस्टी कार्गो के प्रदूषण नियंत्रण के निर्देश दिए।अधिकारियो के साथ यहां एक बैठक कर गहन मंत्रणा की और जाने के बाद अब यह आदेश आ गया कि लोडिंग अनलोडिंग बंद की जाए।
हो सकता है कि विधिक प्रक्रिया से बचने के लिए यह आदेश जारी किया गया हो,ताकि,कोर्ट को यह कहा जा सके कि रक्सौल में कोल डस्ट की बुकिंग, लोडिंग अनलोडिंग बंद कर दी गई है।इस निर्देश के बाद अटकल और चर्चा तेज है।लेकिन,कलिंकर की तरह कोल डस्ट समेत डस्टी कार्गो के मामले पर हाईकोर्ट के रुख को देखते हुए लग रहा है कि कही यह आंख मिचौली महंगी ना पड़ जाए।
बता दे कि रक्सौल यार्ड में कोल डस्ट ,जिप्सम ,फ्लाई ऐश एवं स्लैग आदि नेपाल के लिए आता है।तीसरे देशों से आयातित कोयला,कोल डस्ट को नेपाल के ड्राइपोर्ट पर ना उतार कर रक्सौल में अनलोडिंग, लोडिंग की प्रक्रिया होती है,जो प्रदूषण और परेशानी का कारण है। जब गुड्स यार्ड के नेपाल साइडिंग पर रेल रैक आती है,तो उड़ते धूल और प्रदूषण से लोग त्राहि त्राहि कर उठते हैं।कैंसर, टीबी, दमा जैसे बिमारी से सैकड़ो लोगो की मौत हो चुकी है। रक्सौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और डंकन हॉस्पिटल की मेडिकल टीम भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर और बढ़ते रोगियो की संख्या की पुष्टि कर चुकी है ।स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह समेत अनेकों लोगों ने इसके लिए आंदोलन किया,लेकिन, कोई दो दशक से जारी इस समस्या पर आल टाल जारी रही। मामला संसद में भी उठा था।
क्लिंकर से त्राहि के बाद 2016में महेश कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में पटना हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका संख्या सी डब्लू जेसी/15338/2016दायर की गई।जिसके तहत रेलवे ने क्लींकर की लोडिंग अनलोडिंग बंद कर दी और कोर्ट में शपथ पत्र दिया कि रक्सौल से इसे रामगढ़वा में शिफ्ट कर दिया जायेगा।उक्त याचिका 25अगस्त 1017 इस आदेश के साथ बंद हो गई कि 6माह के अंदर रेल विभाग रक्सौल स्टेशन के गुड्स यार्ड के नेपाल साइडिंग पर उतरने वाले डस्टी कार्गो, कलिंकर्,कोल डस्ट,जिप्सम, फ्लाई ऐश एवं स्लैग को रामगढ्वा में शिफ्ट कर माननीय पटना हाइकोर्ट को इसकी सूचना संप्रेषित करेगी।परंतु,रेलवे ने ऐसा नही किया।
इसके बाद याचिका कर्ता महेश कुमार अग्रवाल ने पटना हाइकोर्ट में रेलवे पर एक मानहानी का मुकदमा एम जे सी 26972019 दायर किया।जिसकी सुनवाई सितंबर 2023,के अंतिम पखवाड़े में शुरू हुई।बताते है कि इस मामले में रेलवे ने एक झूठा शपथ पत्र दिया और कथित तौर पर भ्रमित किया कि रेलवे ने साइडिंग को रामगढवा में शिफ्ट कर दिया है।जिसके जबाब में याचिका कर्ता श्री अग्रवाल ने एक शपथ पत्र सबूत के साथ दाखिल किया और रेलवे के झूठ और कुकृत्य का भंडाफोड़ किया।
याचिका कर्ता के अधिवक्ता के मुताबिक,माननीय हाइकोर्ट ने अगली सुनवाई 4/10/2023,को मुकर्रर किया है और आदेश पारित किया है कि डीआरएम निज उपस्थित हों और शपथ पत्र प्रस्तुत करें।
इस आदेश से रेलवे समेत नेपाल के व्यापारियों में हडकंप मच गया है।इधर,रेलवे ने 30सितंबर2023 को एक पत्र जारी कर रक्सौल के लिए पूरे भारत से डस्टी कार्गो को ले कर रोक लगाई है।इस आदेश के बाद रक्सौलवासी हर्षित है,हालाकि, रेलवे की गलत और शोषण की नीति से मजदूर वर्ग भी परेशान दिख रहा है,जिन्हे अपनी रोजी रोटी की चिन्ता सता रही है।जानकारों का कहना है कि यदि रेलवे ने प्रदूषण मानक के साथ सुरक्षित लोडिंग अनलोडिंग पद्धति को अपनाते हुए हाईकोर्ट के निर्देश का पालन किया होता,तो यह दिन ना देखने पड़ते।हालाकि,इस बारे में कोई स्थानीय रेल अधिकारी कुछ भी बोलने से गुरेज कर रहे हैं।
दिन में छा जाता है अंधेरा,सांस लेना भी होता है मुश्किल
रक्सौल रेलवे स्टेशन के गुड्स यार्ड से कोयले की उड़ती धूल से लोगों का इन दिनों राह चलना मुश्किल हो गया है। धूल के चलते सड़कों पर दिन में ही अंधेरा छा जा रहा है। रेलवे स्टेशन के पास मोहल्ले जैसे तुमरियाटोला, परेउवा, हरैया गांव सहित कई वार्ड ,ग्राम के हजारों लोग इस डस्टी कार्गो से परेशान हैं।
पर्यावरण संबंधित निर्देशों का भारत-नेपाल सीमा पर इसका कोई भी असर नहीं दिखाई दे रहा है। प्रदूषण से वातावरण पूर्णतया विषाक्त हो गया है। कोल डस्ट की भयावहता से लोग सांस भी नहीं ले पा रहे हैं। कोयले के कण जहां फेफड़े को छलनी कर रहे हैं वहीं आंखों पर भी व्यापक दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
नेपाल जाता है डस्टी कोयला
रक्सौल स्टेशन के मालगोदाम पर उतरने वाला डस्टी कोयला आइसीपी के रास्ते नेपाल जाता है।पहले रक्सौल मुख्य पथ से कस्टम होते नेपाल जाता था,जिसके लिए भी काफी आवाज उठी,तब बन्द हुआ। महीने में 10 से 15 रैक कोयला रक्सौल में उतरता है। उसके बाद ट्रकों में लोड होकर नेपाल जाता है। जिस कारण हमेशा रक्सौल की हवाओं में प्रदूषण फैला रहता है। इस क्षेत्र के लोग अपने घरों के खिड़कियां तक बंद रखते हैं। नहीं तो पूरा घर कोयला-कोयला हो जाता है।
सुखा बंदरगाह पर सीधे भेजने की मांग
बीरगंज में सूखा बंदरगाह अवस्थित है । जहां
भारत से रेलमार्ग द्वारा भारत समेत तीसरे देशों से आयातित समान जाती है।लेकिन ,इस मामले में आनाकानी होती है।
सवाल उठता है कि जब अन्य सामान रेल मार्ग द्वारा नेपाल जा सकती है तो कोयले का डस्ट क्यों नहीं। अगर सीधा रेल मार्ग द्वारा डस्टी कोयला नेपाल जाने लगे तो रक्सौल के लोगों की परेशानी दूर हो जाएगी।