रक्सौल।(vor desk)।आर्य समाज रक्सौल का तीन दिवसीय 98वां वार्षिकोत्सव मंगलवार को धूमधाम से सम्पन्न हो गया। इस कार्यक्रम में ऋग्वेदीय यज्ञ के साथ-साथ वेद सम्मेलन, आर्य महिला सम्मेलन, अध्यात्मिक सम्मेलन एवं राष्ट्र रक्षा सम्मेलन आदि विषयों पर आर्य जगत के विद्वानों एवं भजनोपदेशकों ने अपने उत्तम विचार समाज के समक्ष रखे।समापन समारोह में आर्यसमाज के संरक्षक भरत प्रसाद गुप्त,प्रधान ओम प्रकाश गुप्ता,मंत्री प्रो रामाशंकर प्रसाद,उप मंत्री ईश्वर चंद्र आर्य समेत पदाधिकारियो अलग अलग प्रांतों से आए उपदेशकों एवं आर्य समाज के प्रचारकों समेत समारोह को सफल बनाने में योगदान देने वालों को शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया।इस मौके पर वर्ष 2025में रक्सौल आर्य समाज का शताब्दी समारोह मनाने की घोषणा की गई।
यूपी के मुजफ्फरनगर से आए शास्त्रार्थ महारथी योगेंद्र भारद्वाज ने बताया कि जो लोग विद्वान, धर्मात्मा, सज्जनों के साथ मिलकर यज्ञ आदि उत्तम कर्म करते हैं वह दुखों से, दुर्गुणों से, दुर्व्यसनों से बचे रहते हैं और सुख की प्राप्ति करते हैं। उन्होंने बताया कि अच्छे व्यक्तियों को पुरस्कार एवं बुरे व्यक्तियों को तिरस्कार करने की आवश्यकता आज समाज को है। जिससे कि अच्छे लोग उत्साहित होकर अच्छे कार्यों में लगे रहें और बुरे लोग हतोत्साहित होकर बुरे कार्यों से दूर हो सके।
वहीं,यूपी के हरिद्वार से आई निकिता आजाद आर्य ने नारी सम्मान पर जोर देते कहा की मंदिरों और मूर्तियों से बनी नकली देवी की पूजा की बजाय असली शेरो वाली की पूजा करो,जिसने राम ,कृष्ण, सुभाष,आजाद,बिस्मिल,अशफाक ,चंद्रशेखर सिंह को जन्म दिया। मा हर घर में है,उनकी पूजा करो उस मां की पूजा करो,जिस देश में रहते हो ,जिनका नाम भारत माता है।
उन्होंने अपने वीर रस के काव्य पाठ-‘ मेरी मां शेरो वाली है,भारत मां वीरों वाली है।जिसके शेरो की दुनियां में ,शान निराली है।’ के जरिए देशभक्ति की अलख जगाई और कहा कि भारत वीरों के साथ वीरांगनाओ की धरती है।पन्ना धाय,झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जैसी वीरांगना पूजनीय है और उनके आदर्शो को सीखने अपनाने की जरूरत है।
उत्तरप्रदेश के बिजनौर से आए योगेश दत्त आर्य ने बताया कि हमें भाषा, भूमि और सभ्यता की रक्षा करनी होगी। शास्त्र एवं शास्त्र दोनों का प्रयोग राष्ट्रहित में करना होगा।
स्वामी योग मुनि ने कहा कि राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को सर्वहितकारी नियमों का पालन करते हुए अपनी सभ्यता, संस्कृति, परंपराओं, नैतिक शिक्षाओं की जड़ों को गहरा करके एक सुदृढ़ राष्ट्र बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए हम सभी को अपनी सत्य सनातन परंपराओं, राष्ट्रभक्ति, नैतिकता, सजगता रूपी जड़ों को गहरा और मजबूत बनाने की परम आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि हमें जहां बाहरी दुश्मन जैसे चीन एवं पाकिस्तान से मुकाबला करने के लिए सैन्य शक्ति एवं बॉर्डर पर व्यापक सैन्य निर्माण की आवश्यकता है।
वहीं दिल्ली से आए आनंद शास्त्री ने कहा कि देश के अंदर भी जो देश विरोधी लोग, शक्तियां देश को कमजोर करने में लगे हुए हैं उनकी पहचान कर उनको कमजोर करने का प्रयास सरकार एवं समाज को करना चाहिए।
नेपाल से आए पंडित ज्ञान चंद्र आर्य और विश्वनाथ प्रसाद आर्य ने वर्तमान परिवेश में चल रही गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखने की आवश्यकता की ओर समाज का ध्यान इंगित किया।
आर्य समाज रक्सौल के संरक्षक भरत प्रसाद गुप्त ने सभी लोगों से आग्रह किया कि राष्ट्र को मजबूत करने हेतु हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो, अपना योगदान सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि जब शैव और वैष्णव मत के लड़ाई में देश फंसा था, तब महर्षि दयानंद ने प्रगतिशीलता का परिचय देते हुए आर्य समाज की नींव रखी,जो कुरीतियों से मुक्त करने की दिशा में पहल के साथ ही समाज जागरण और देश के नव निर्माण में अपनी भूमिका निभा रही है।आर्य समाज के प्रधान ओम प्रकाश गुप्ता ने आर्य समाजों के अधिकारियों और सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया।