काठमांडू
/रक्सौल।( vor desk )। नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6 मैग्नीट्यूड मापी गई है।पूर्वी चंपारण समेत बिहार के कई जिलों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेपाल से सटे मधुबनी, समस्तीपुर, अररिया, कटिहार, सीतामढ़ी समेत भारत के कई राज्यों में सुबह 7.58 बजे धरती हिली।लोगों का कहना है कि उन्हें भी झटके महसूस हुए।हालांकि,यह झटका नेपाल की अपेक्षा बिहार में कम था।
रविवार छुट्टी का दिन होता है।ऐसे में सुबह-सुबह भूकंप के झटकों ने लोगों को दहशत में डाल दिया। झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर की ओर भागे। हालांकि, गनीमत रही कि भूकंप के कारण जान-माल के नुकसान की जानकारी नहीं है।बताया गया है कि पूर्वी चंपारण में तकरीबन 30 सेकेंड तक का हल्का सा भूकम्प का झटका महसूस किया गया।
मौसम विज्ञान केंद्र पटना के निदेशक विवेक सिन्हा ने बताया कि सुबह 7.58 बजे भूकम्प आया।जिसकी तीव्रता 5.5 थी।ये झटके नेपाल,भारत व चीन में महसूस किए गए।
इधर,बताया गया कि भूकम्प का केंद्र बिंदु नेपाल के खोटाँग के मार्तिमबिर्ता था।जो काठमांडू से 265 किलो मीटर की दूरी पर है।प्रदेश 1 के खोटाँग जिले के डिक्टेल से मार्तिमबिर्ता कोई 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
नेपाली समयानुसार यह 8 .13 बजे आया।काठमांडू समेत विराट नगर,धरान, उदयपुर,खोटाँग,भोजपुर समेत आस पास में धरती हिलने से हड़कम्प मच गया।लोग घरों से निकल पड़े।भाग दौड़ मच गई।मार्तिमबिर्ता के पुलिस कार्यालय के इंचार्ज शंभु पौडेल ने बताया कि क्षेत्र में स्थिति सामान्य है।
बताया गया कि दो बार झटके महसूस हुई।पहला झटका अपेक्षाकृत जोर दार था,लेकिन,कोई भौतिक क्षति नही हुई है।
नेपाल के राष्ट्रीय भूकम्प मापन तथा अनुसन्धान केंद्र के वरिष्ठ भूकम्प विद डॉ लोक विजय अधिकारी ने इसकी पुष्टी करते हुए बताया कि भूकम्प की तीव्रता 6 मैग्नीट्यूड थी।
गौरतलब है कि इससे पांच दिन पहले सिंधुपाल चौक के हेलम्बू फूल ट्रेल के निकट 6.07 बजे सुबह 4.7मैग्नीट्यूड का भूकम्प का झटका आया था।लेकिन,तब भी कोई क्षति नही हुई थी।
बता दे कि डेंजर जोन में शामिल नेपाल भूकंप की बड़ी त्रासदी झेल चुका है।यहां वर्ष 2015 में बड़ा खतरनाक भूकंप आया था।नेपाल में 25 अप्रैल 2015 की सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर भूकंप का जोरदार झटका महसूस किया गया था।
भूकंप की तीव्रता 7.8 थी. यह बड़ा विनाशकारी भूकंप था, क्योंकि इसकी तीव्रता बहुत ज्यादा थी। भूकंप इतना भीषण था कि भारत के कई राज्यों में तेज भूंकप के झटके महसूस किए गए थे।तब से आफ्टर सेक यानी पराकम्प अनेकों बार आ चुके हैं।