Saturday, September 21

‘दयाशंकर की डायरी’ की प्रस्तुति से दो दशक बाद जीवंत हुआ रक्सौल का रंगमंच, नाट्य कलाकार पुण्य दर्शन गुप्ता ने दिल जीता!

रक्सौल।(vor desk )।एक आम आदमी…कभी अपनी जिदंगी की जद्दोजहद से जूझ रहा होता है…कभी अपने सपनों को जीने की कोशिश करने लगता है और कभी असल जिंदगी व ख्वाबों के बीच उलझ कर रहा जाता है…। कमोबेश यही सार हर आम आदमी के जीवन का होता है जैसा दयाशंकर का था…शायद यही वजह है कि जो भी उससे रूबरू होता है वो अपने अंदर एक दयाशंकर को पाता है।

आम आदमी की मामूली जिंदगी के बेहद खास पहलुओं को दर्शाते इस नाटक ‘दयाशंकर की डायरी’ का मंचन शुक्रवार की संध्या भारत- नेपाल सीमावर्ती रक्सौल स्थित श्री सत्य नारायण पंचायती मारवाड़ी मन्दिर स्थित सभागार में किया गया।

रक्सौल कला,संस्कृति व नाट्य गतिविधियों के मामले में समृद्ध इतिहास रखता है।लेकिन,कोई दो दशकों से रंग मंच सुना पड़ा था।वीणा कला परिषद व नटराज सेवा संगम ने रक्सौल की पहचान बिहार स्तर पर बनाई थी।इस बार इस सूनापन भरने की कोशिश रक्सौल में जन्मे एक शख्स ने की,जो,कोलकत्ता में रहते हैं और कोई 30 वर्षों से देश स्तर पर नाट्य,वेब सीरीज,फ़िल्म आदि क्षेत्रों में अपने अभिनय तथा निर्देशन के जरिये अलग पहचान बनाई है।उनका नाम है-पुण्य दर्शन गुप्ता!रंग मंच में उनकी संस्था ‘स्पर्श थियेटर ‘किसी पहचान की मोहताज नहीं है।

हिंदी-बांग्ला के वरिष्ठ रंग मंच कर्मी पुण्य दर्शन गुप्ता ने खुद के निर्देशन व अभिनय के बूते यहां एकल नाट्य की जानदार प्रस्तुति से सभी का दिल जीत लिया।

एक पात्रीय रूपक ‘दयाशंकर की डायरी’ की मूल रचनाकार नादिरा जहीर बब्बर हैं,जो नाम चीन अभिनेता राज बब्बर की पत्नी हैं।

नाटक की कहानी कुछ यूं है कि इसका मुख्य पात्र दयाशंकर माया नगरी मुम्बई पंहुचता है। फिल्मों में काम मिलना तब तक ही आसान लग रहा था, जब तक वो मुम्बई पंहुचा नहीं था। जब पहुंचा तो वास्तविकता ने उसे झकझोर कर रख दिया।बमुश्किल एक विधायक के यहां क्लर्क की नौकरी मिली। इसी क्रम में उसकी बेटी सोनिया से इकतरफा प्यार हो गया, मगर प्यार को मंजिल नहीं मिली,क्योंकि,। दयाशंकर पहले अवसाद में जाता है फिर पागल हो जाता है।

कभी वो खुद को नेपाल का राजा बताता है तो कभी उसे धरती से लेकर चांद तक प्रदूषण नजर आने लगता है…दिल को छूने वाले संवादों,शायरी व गीत के साथ पुण्य दर्शन गुप्ता का सधा हुआ अभिनय इस नाटक की ताकत था जिसने दर्शकों को आखिरी तक दयाशंकर से जोड़े रखा।

संदेश:
इंसान के जीवन में समाज की जकड़ती बेडिय़ों के बोझ ,जद्दोजहद व त्रासदी को नाट्य में बखूबी दिखाया गया है।कारुणिक दृश्य के बीच सवाल उभरता है कि क्या आम आदमी को सपने देखने की भी इजाजत नहीं? इस नाट्य में धरती से ले कर चांद तक पर फैलते प्रदूषण पर सवाल खड़े किया गया है।तो,इसमे यह प्रेरणा है कि यदि एक्टर नही बन सकते तो,अच्छा दर्शक तो बन ही सकते हैं।महात्मा गांधी से आत्म संवाद व उसके बाद दयाशंकर के ‘नेपाल का राजा’ होने का मिथक नाट्य के आरोह-अवरोह के बीच अंत तक बांधे रखता है।दयाशंकर का पात्र एक ओर करुणा पैदा करता है,तो,दुसरी ओर उसकी हरकते हंसाती भी है।

इस नाट्य में भारत -नेपाल सीमावर्ती रक्सौल का जिक्र रक्सौलवासियो के आकर्षण का कारण है।वैसे,श्री गुप्ता का नौनिहाल भी रक्सौल में है। यहां पहली बार नाट्य प्रस्तुति के उपरांत ढेर प्यार देने के साथ ही उन्हें मंच से सम्मानित भी किया गया।

बतौर दर्शक सम्भावना संस्था के अध्यक्ष भरत प्रसाद गुप्त ने अपनी टिप्पणी में बताया कि भारत के युवा सपने देखता और उसे पूरा करना चाहता है,लेकिन,सपने पूरे न होने पर नैराश्य की ओर बढ़ता है।शासन-प्रशासन चाहिए कि भारतीय युवाओं के लिए ऐसा कुछ करे,की उनके सपने पूरे हों।निराश न हों।हालांकि,वे कहते हैं कि -सपने और यथार्थ में अंतर होता है।धरातल पर रह कर खुली आँखों से सपने देखना चाहिए।

वहीं, वीणा गोयल,सोनू काबरा व ज्योति राज ने कहा कि श्री गुप्ता ने अपने मनमोहक अभिनय के साथ संवेदनशीलता व कुशलता से पात्रों को जीवंत व यादगार बना दिया ।इस नाट्य में एकाकी जीवन की अपेक्षा सँयुक्त परिवार की महत्ता बताई गई है,जिसकी कोई तुलना नही है।

नाट्य की प्रस्तुति भारत विकास परिषद की रक्सौल इकाई के तत्वाधान में हुआ।
इसमे भारत विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह ,सचिव नितेश कुमार सिंह,मीडिया प्रभारी रजनिश प्रियदर्शी,कला एवं संस्कार संयोजक सुनील कुमार की सक्रिय भूमिका रही।

मौके पर सम्भावना संस्था के अध्यक्ष भरत गुप्ता,सह अध्यक्ष शिव पूजन प्रसाद,पन्नालाल प्रसाद,ओमप्रकाश गुप्ता, जगदीश प्रसाद,ध्रुव प्रसाद सर्राफ, योगेंद्र गुप्ता,कैलाश चन्द्र काबरा,ओम ठाकुर,सुभाष प्रसाद,चेम्बर ऑफ कॉमर्स के महासचिव आलोक श्रीवास्तव ,सचिव राजकुमार गुप्ता, सिने कलाकार नारायण प्रसाद,सुरेंद्र द्विवेदी,विनोद गुप्ता,दिनेश गुप्ता,सुनील कुमार,योगेंद्र प्रसाद,अवधेश सिंह, ब्रिज किशोर प्रसाद,अरविंद जायसवाल,ज्योति राज,वीणा गोयल,सोनू काबरा,शिखा रंजन,अजय गुप्ता,विजय कुमार,दिनेश प्रसाद गुप्ता , सुरेश धनोठिया समेत बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!