Tuesday, November 26

नही रहे बरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री सगीर अहमद,शोक की लहर!

*1977 के कांग्रेस विरोधी लहर में भी चला था सगीर अहमद का जादू,रिकॉर्ड मत से जीत गए थे चुनाव

रक्सौल।( vor desk )। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सह बिहार के पूर्व काबीना मंत्री 77 वर्षीय सगीर अहमद का निधन हो गया।वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।


स्व. अहमद के निधन की खबर सुनते ही क्षेत्र में शोक की लहर फैल गयी।यह खबर पुराने कांग्रेसियों के लिए काफी मर्माहत रहा। गुरुवार की अहले सुबह करीब 4 बजे उनके कोलकत्ता स्थित आवास पर अचानक हृदय गति रुक जाने से हो गयी।उम्र के अंतिम पड़ाव में भी वे सक्रिय राजनीति में जमे हुए थे।सभी वर्गों में उनकी अपरिहार्यता आज भी बरकरार थी।पूर्व मंत्री के निधन के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वाले सर्वसमाज व सर्वदलीय लोगों हुजूम उमड़ पड़ी।कांग्रेस के लिए यह काफी अपूर्णीय क्षति माना जा रहा है।इससे स्थानीय कांग्रेसियों में शून्यता की स्थिति बनी हुई है।कभी ‘जहीर हाउस’ राजनेताओं व उनके समर्थकों से पटा रहता था,उसमें सन्नाटा पसरा हुआ है।


वे अपने पीछे दो पुत्र एवं एक पुत्री सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए है।
वे पहली बार 1972 में 25 वर्ष की उम्र में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर रक्सौल विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे। तब से 1990 तक लगातार चार बार रक्सौल से विधायक निर्वाचित घोषित किए गए थे।कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली यह रक्सौल सीट तब खाली हुई, जब ,जनता दल के टिकट पर सगीर अहमद के शागिर्द रहे राज नन्दन राय 1990 में विधायक चुने गए।

उनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि 1977 के इमरजेंसी में जब इंदिरा गांधी स्वयं चुनाव हार गईं थीं और कांग्रेस विरोधी लहर चल रही थी, तब भी रक्सौल से सगीर अहमद को जनता ने रेकॉर्ड मतों से अपना विधायक चुन लिया था। तब कोई पार्टी नहीं, ‘जनता’ ही चुनाव लड़ रही थी। जनता के बीच उनकी पहुंच व दिली लगाव ही कहिए कि 1972 से 1990 तक चार बार वे विधायक रहे।


स्व अहमद 1980 में मुख्यमंत्री डॉ0 जगन्नाथ मिश्र के मंत्रिमंडल में विधि सह सहकारिता सहाय्य पुनर्वास एवं आवास विभाग के राज्य मंत्री बनाये गये थे। वहीं 1985 में मुख्यमंत्री पंडित विन्देश्वरी दुबे के मुख्यमंत्रित्व काल में बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग वित्त निगम के चेयरमैन बनाये गये थे।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 इंदिरा गांधी के निकटवर्ती रहे सगीर अहमद का उस वक़्त प्रदेश की राजनीति में अच्छा खासा दखल था।पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी सरीखे कांग्रेस के दिग्गज राजनीतिज्ञों से उनके बेहद करीबी रिश्ते थे।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चंपारण दौरा के दौरान उनकी सामाजिक सेवा और लोकप्रियता को देखते हुए वर्ष 1991 में संसदीय आम चुनाव में बेतिया लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी का टिकट दिया।वे चुनाव भी लड़े। लेकिन संयोग वश चुनाव में सफलता नहीं मिली।हालांकि,बाद में भी पार्टी की तरफ से विधान सभा चुनाव में उम्मीदवार बनते रहे।खासियत यह रही कि आजीवन वे कांग्रेस पार्टी में बने रहे और इसी कारण उनकी एक अलग पहचान रही।लोकप्रियता ऐसी थी कि राजनीतिक विरोधी भी उन्हें दिल से कद्र करते थे और वे खुद बड़ी आत्मीयता से उन्हें गले लगा कर स्नेह देते थे।

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