-वीरगंज में मनी बुद्ध जयंती
-भिस्वा बौद्ध क्षेत्र का होगा विकास:सीएम-निकली भव्य शोभा यात्रा
रक्सौल।(vor desk )।एक ओर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल के लुम्बिनी पहुंच कर माया मन्दिर में पूजा अर्चना की,जिस पर सभी की नजर टिकी रही और भारत-नेपाल के द्विपक्षिय रिश्ते की मजबूती के दृष्टिकोण से यह ऐतिहासिक यात्रा रही।
वहीं,दुसरी ओर वीरगंज में वीरगंज बौद्ध समिति के तत्वाधान में 2566 वां बुद्ध जयंती समारोह पूर्वक मनाई।जिंसमे मधेश प्रदेश के सीएम लाल बाबू राउत ने शिरकत किया और वीरगंज के भीष्वा स्थित बुद्ध मन्दिर में पूजा अर्चना कर देश दुनिया के लिए शांति की कामना की।इस मौके पर उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि भगवान बुद्ध के जयंती के दिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कस लुम्बिनी भ्रमण फलदायी व ऐतिहासिक साबित होगा।उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के लुम्बिनी आगमन से यह भ्रम साफ हो गया है कि बुद्ध कपिलवस्तु के लुम्बिनी में ही जन्मे थे।सीएम ने कहा कि शांति के अग्र दूत गौतम बुद्ध के सत्य-अहिंसा के उपदेशों को अपनाने की जरूरत है।दुनिया को युद्ध नही बुद्ध की जरूरत है,उन्ही के मार्ग पर चल कर शांति,मैत्री व कल्याण सम्भव है।
उन्होंने कहा कि भिस्वा बौद्ध स्थल क्षेत्र का पर्यटकीय व धार्मिक दृश्टिकोण से विकास किया जाएगा।सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।
इस मौके पर भारतीय महा वाणिज्य दुतावास के वाणिज्य दूत तरुण कुमार ने कहा कि हिंसा ,स्वार्थ व झूठ के त्याग से ही समाज मे सद्भाव आयेगा।
इस मौके पर बौद्ध समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो डॉ दीपक शाक्य व समारोह समिति के संयोजक प्रो0 हरि वैध के नेतृत्व में वीरता मन्दिर से भीष्वा तक गाजे बाजे के साथ भव्य शोभा यात्रा भी निकाली गई,जिंसमे बुद्ध के शांति संदेश दिए गए।
इसमे सीएम लाल बाबू राउत, जसपा के केंद्रीय सदस्य व पर्सा क्षेत्र 1 के सांसद प्रदीप यादव, जसपा नेता राजेश मान सिंह,निवर्तमान मेयर विजय सरावगी, दुतावास के वाणिज्य दूत शैलेन्द्र कुमार, बौद्ध धर्म गुरु शेराव ग्यालक्षण ,सोनाम लामा,राम बहादुर लामा,राम राज श्रेष्ठ, डॉ मनोज गुप्ता, डॉ लक्ष्मी थापा,सूर्य नारायण वीक व स्कूली छात्र छात्राओं,बौद्ध धर्मावलंबियों समेत गण मान्य लोग शामिल थे।
भिस्वा(बिरंगज) स्थित बौद्ध स्तूप की खुदाई हो तो यह बहुत प्राचीन साबित होगा और इसी रास्ते गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के लिए बौद्ध गया कि लिए प्रस्थान किया था ऐसे प्रमाण है।फलतः बोधगया,वैशाली,केसरिया,रक्सौल-बिरंगज(नेपाल),काठमांडू(स्वयंभू बुद्ध) को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की जरूरत है।