Monday, November 25

रमज़ान के आख़िरी जुम्मा अलविदा की नमाज़ की गई अदा, मस्जिदों से दी गई एकता, भाईचारा, सादगी,अमन और सब्र का पैग़ाम!

रक्सौल।( vor desk )।
रमजान उल मुबारक के पाक महीने के अंतिम जुम्मे को अलविदा की नमाज अदा की गई।रक्सौल स्थित बड़ी मस्जिद के अलावे अनुमण्डल भर के विभिन्न मस्जिदों पर इस्लाम धर्मावलंबियों ने नमाज अदा किया।इस अवसर पर प्रशासन ने सुरक्षा व व्यवस्था के मद्देनजर मुकम्मल तैयारी की थी ,ताकि शांति,सौहार्द के वातावरण में अलविदा की नमाज अदा की जाए।

काठमांडू-दिल्ली को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या 28 ए पर बड़ी संख्या में रोजेदार लोगों ने नमाज अदा की।

शहर के मुख्य पथ स्थित बड़ी मस्जिद के आगे प्रशासन ने साफ सफाई के साथ ट्रैफिक प्रबंध के साथ सुरक्षा इंतजाम किए थे।नगर परिषद के कार्यपालक दण्डाधिकारी सन्तोष कुमार सिंह,बीडीओ सन्दीप सौरभ,सीओ विजय कुमार,इंस्पेक्टर शशि भूषण ठाकुर इस मौके पर मुस्तैद रहे।

पिछले 2020 से 2022 के पहले तक के बीच रमजान में मस्जिद के द्वार बंद रहे थे।कोरोना काल मे घरों पर इबादत की गई।लेकिन,फ़िज़ा बदलते ही नमाज़ियों की भारी संख्या होने के कारण सड़क पर इबादत की प्रक्रिया जोशो खरोश से हुई।

विगत कई महीनों से मुख्य सड़क निर्माणाधीन है,बेतरतीब स्थिति के कारण मस्जिद आने जाने में भी परेशानी है,क्योंकि,सड़क व नाला निर्माणाधीन है।जिसको देखते हुए प्रशासन ने साफ सफाई व व्यवस्था को दुरुस्त कराई थी।दोपहर के 1 से डेढ़ बजे तक नमाज अदा हुई,तब तक इस क्षेत्र में वाहनों का परिचालन बन्द रखा गया।

नमाज में देश दुनिया में अमन चैन भाईचारा कायम रखने की दुआ मांगी गई।तो वहीं नमाजियों ने मुख्य सड़क के शीघ्र निर्माण व शहर के बेहतरी की भी दुआ मांगी।

रक्सौल जामा मस्जिद के इमाम मोहम्मद जैद साहब ने इस दौरान कहा कि रमजान का महीना सब्र और हमदर्दी का महीना है।माह -ए-रमजान 1 माह के रोजे के साथ अपने गांव एवं मोहल्ले के गरीबों की भूख और दर्द का एहसास दिलाता है। रमजान का रोजा हमें यह सबक देता है कि भूखों का ख्याल रखा जाए और जरुरतमंदो की मदद की जाए।


रमज़ान में नेकी का फल 70 गुना मिलता है ।एक फर्ज का सवाब 70 फर्ज के बराबर है और नफ़िल नमाज का बदला भी फर्ज के बराबर कर दिया जाता है।

आज रमजान उल मुबारक के अलविदा जुम्मा की नमाज में ख़ुत्बा के दौरान इमाम साहब ने इंसानियत के लिए अमन व भाईचारा का पैगाम दिया पूरी दुनिया में अमन और शांति का पैगाम दिया
पूरी इंसानियत में नफरत को छोड़कर भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम दिया विशेष कर भारत के हालात के ऊपर सब्र और शांति बनाए रखने का अपील किया। ईद की नमाज से पहले सदका फितर निकालना जरूरी होता है ताकि गरीब और यतीमों की मदद की जाए ताकि वे लोग भी ईद की खुशियों मे शामिल हो सकें।


रक्सौल जामा मस्जिद के इमाम मोहम्मद जैद साहब, सदर हाजी अकील अहमद, नायब सदर शमीम अहमद, सचिव डॉ.हाजी मसीउल्लाह,खजांची नियाज अहमद उर्फ सोनू ,उपसचिव सोहेल अहमद एवं नायाब आलम, समसुद्दीन आलम,अशरफ आलम अलाउद्दीन आलम, इरशाद अहमद, हाजी कलीम, नेशार अहमद,परवेज आलम,नौशाद आलम,मोहमद क्रांति,नुरूलाह खान,नेयाज अहमद,इम्तियाज अहमद, इत्यादि मौजूद थे।

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