रक्सौल।(vor desk )।वर्ष 2004 में साहित्य,समाज,कला एवं संस्कृति को समर्पित संस्था ‘संभावना’ द्वारा होली मिलन समारोह सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
शहर के श्री रामजानकी मंदिर परिसर में आयोजित होली मिलन समारोह सह कवि सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व सहकारिता राज्य मंत्री श्याम बिहारी प्रसाद,रक्सौल नगर परिषद की सभापति चंदा देवी, नगर परिषद के पूर्व सभापति ओम प्रकाश गुप्ता,पश्चिमी चम्पारण के उत्पाद अधीक्षक मनोज कुमार सिंह,संभावना के अध्यक्ष भरत गुप्ता ,सह अध्यक्ष शिव पूजन प्रसाद,महासचिव दिनेश धनोठिया,सचिव राजेश गुप्ता( शिक्षक ) समेत संगठन मंत्री रविन्द्र मिश्रा,कोषाध्यक्ष भैरव गुप्ता,राजकुमार गुप्ता आदि समेत विभिन्न राज्यो से आये प्रख्यात कवियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।कवियों को दोशाला ओढाने के साथ बुके दे कर सम्मानित किया गया।
कवि सम्मेलन की शुरुवात कवयित्री प्रियंका शुक्ला के सरस्वती वंदना’शारदे मा भवानी, विराजो यहां…’ से हुई।वहीं,बाल कवि हरिओम कुमार ने ‘भगवान से से बस यही वर मागूँगा, तुम गोरी दो ,या काली दो,भगवान मुझे एक साली दो’ के जरिये साली महिमा सुना कर काव्य यात्रा की शुरुवात की।उसके बाद प्रख्यात कवियों ने अपनी अपनी कविता पाठ कर मंत्र मुग्ध कर दिया।कविता वाचन करने वालों में कवयित्री प्रियंका शुक्ला( उन्नाव, कानपुर) ने -इनायत हो खुदा की जो,तुझे दिल मे बसा लूं मैं,इशारा तेरा मिले जो,तुझे तुझ से चुरा लूं मैं…! और ‘मोहब्बत की रातें बड़ी प्यारी लगती है,मिलो न तुम तो,बड़ी खाली सी लगती है..!जैसे गीत -गजल व कविता से खूब तालियां बटोरीं।
वहीं,कवि नजर इलाहाबादी (प्रयाग राज ) ने ‘फागुन मस्त महीना देखो,मस्ती में जीना सीखो…!’ और ‘नही भाट मैं दरबार का..,दिल के दर्द की कोई टिकिया नहीं..! …’बहे प्यार की नदियां ,यही मैं आज लाया हूँ,अपना बनाने का हुनर खास लाया हूँ!…’सरीखे गीत,हास्य -व्यग्य की कविताओं से वाह वाही लूटी।
वहीं,जितेन्द्र मिश्र जलज ( मिर्जा पुर )ने एक ओर जहां देशभक्ति गीत-‘हम रहे न रहें, ये तिरंगा रहे,अपना भारत ये,रंगों से रंगा रहे ‘ के जरिये राष्ट्रवाद को जगाया,वहीं ‘चन्दन है पानी है,और क्या है..!दुनियां कहानी है..और क्या है..!” और ‘कुछ लोग बुढ़ापे में खूब धनुष तान रहे हैं…!जैसे कविता पाठ व हास्य- व्यग्य से खूब शमा बांधा। विनय शुक्ला( बाराबंकी ) ने ‘सर पे ताज नही ,सत्ता के सम्मान का’ जैसे ओजपूर्ण व देशभक्ति कविता से स्वाभिमान व राष्ट्र प्रेम जगाया।
वहीं,रविन्द्र मिश्र ने पत्रकारों पर व्यंग्य करते हुए शेर सुनाया-‘लश्कर भी तुम्हारा ,सरदार तुम्हारा है,सच को झूठ लिख देना अखबार तुम्हारा है!
रक्सौल पीएचसी के डॉ0 मुराद आलम ने अपनी भोजपुरी गीत -‘बहे लागल फागुन के बयार,पड़े लागल रंग के फुहार ,सखिया उढ़ेले रंग भर पिचकरिया, तनवा रँगाइल सारी भिगल चुनरिया… .! से न केवल भोजपुरी का मान बढ़ाया,बल्कि,यूपी से आये नामचीन कवियों को भी वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया।वहीं,’ चले पवन जब हौले हौले लगे डंसे कोई नाग..’की प्रस्तुति से खूब झुमाया और प्रशंसा भी बटोरी।
वहीं,प्रो0 रजनीश गुप्ता ने भी -पहले सौ बार इधर-उधर देखा है, तब तुझे एक नजर देखा है! और ‘तुम मेरे थे,तुम मेरे हो,दुनियां को क्या देखना’ जैसे प्रस्तुति से शमा बांध दिया और खूब तालियां लूटी। कुछ इसी आलम में देर रात तक महफिल जमी रही।
होली पर रंग बिरंगे माहौल में कवियों ने महफ़िल में ऐसा शमा बांधा कि श्रोता भाव विभोर हो गए।
श्रोता वन्स मोर -वन्स मोर की आवाज लगाते रहे।कभी श्रृंगार रस ,तो,कवि हास्य तो कभी व्यग्य में गोते लगाते श्रोता ठहाको व तालियों से महफ़िल को गुलजार किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्भावना के अध्यक्ष भरत प्रसाद गुप्त व मंच सञ्चालन रविन्द्र मिश्रा व कवि नजर इलाहाबादी ने संयुक्त रूप से किया।जबकि स्वागत सह अध्यक्ष शिवपूजन प्रसाद के नेतृत्व में आगत अतिथियों कस रंग गुलाल लगा कर किया गया।( रिपोर्ट:राकेश )