रक्सौल।( vor desk )।अम्बेडकर ज्ञान मंच के तत्वावधान में बुधवार को प्रखण्ड मुख्यालय स्थित सभागार में रविन्द्र कुमार की अध्यक्षता में संत शिरोमणि गुरु रैदास जी महाराज की जयंती आहुत हुई।इस पावन मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बीडीओ सुनील कुमार(आदापुर) ने उनके तैलीय चित्र पर पुष्पार्चन कर नमन किया तथा कहा कि संत गुरु रैदास अंधविश्वास,पाखण्ड व सामाजिक कुरीतियों पर आघात करते हुए मानव जीवन को मानवीय संवेदना के साथ जीने की प्रेरणा दी।उनके विचारों से प्रेरित होकर तत्कालीन राजाओं व विचारकों ने भी उनकी शिष्यता कबूल किया।श्री कुमार ने कहा कि गुरुजी वर्णाश्रम व्यवस्था व जात-पात का भी खंडन करते हुए कर्म को प्रधानता दिए तथा कहा कि ईश्वर की अगर चाह रखते हो तो इसके लिए मन चंगा व भेदभाव रहित रखने होंगे।ऐसे संत गुरुओं के कारण ही समाज में भाईचारा कायम है।हमें उनके विचारों को आत्मसात करने होंगे।वहीं, मंच के संस्थापक मुनेश राम ने कहा कि विषमतावादी व्यवस्था के बीच गुरु रैदास की वाणी सामाजिक परिवर्तन का आगाज करती है।उन्होंने तत्कालीन व्यवस्था के पाखंडियों को ललकारते हुए कहा था कि किसी जाति या वर्ण विशेष में जन्म लेने मात्र से कोई व्यक्ति पूजनीय नही हो जाता।उसे ज्ञान गुण से प्रवीण होने चाहिए,वैसा व्यक्ति ही पूजने(सम्मान) के योग्य है,क्योंकि जन्म से कोई ऊंच व नीच नही होता।श्री राम ने कहा कि मानव जीवन भेदभावमूलक व्यवस्था में जीवंत नही रह सकता।ऐसे संत गुरुओं व महापुरुषों के विचारों को अपनाकर ही सामाजिक विषमता का खात्मा किया जा सकता है,जिन्होंने आजीवन सामाजिक भाईचारा को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
जेएसएस मिथिलेश कुमार मेहता ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे तत्कालीन पाखण्डवादी व्यवस्था में भी अपने विचारों से संत शिरोमणि की उपाधि प्राप्त किया था तथा उस समय बनारस जैसे मनुवाद की गढ़ में जातिवादी मानसिकता पर कठोर आघात करने में सफल रहे।गुरु रैदास ने व्यवस्था परिवर्तन का आगाज चौदहवीं सदी में ही कर दिया था,जिसका नतीजा है कि सिक्खों के पवित्र पुस्तक गुरुग्रंथ साहिब में भी उनके 33 पद समाज को संदेश देते है।रविन्द्र कुमार कहा कि संत रैदास के विचारों व आदर्शो पर चलकर ही समतामूलक भाईचारे पर आधारित समाज की स्थापना की जा सकती है।मौके पर मंच के भाग्य नारायण साह,चन्द्रकिशोर पाल,शिक्षक संजीव कुमार,पवन कुमार,मोहन कुमार मण्डल,गौतम कुमार राम,कुंदन कुमार,बैधनाथ राम आदि ने भी उनके तैलीय चित्र पर बारी-बारी पुष्पांजलि अर्पित किया तथा संत की जीवनी से प्रेरणा लेने का संकल्प व्यक्त किया।