*गौतम आनन्द पर विभागीय कारवाई शुरू होने के बाद कार्यपालक पदाधिकारी का पद चल रहा है प्रभार में
*डीसीएलआर,लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी भी रह चुके है प्रभार में
रक्सौल।(vor desk)।करोड़ो के बूचड़ खाना घोटाला के बाद रक्सौल नगर परिषद सुर्खियों मे है।इस पर घोटाले का ऐसा काला धब्बा लगा है,जिसे मिटाना शायद सम्भव नही।इसके लपेटे में तत्कालीन चेयर मैन उषा देवी समेत डिप्टी चेयर मैन ,स्टीयरिंग कमिटी सदस्य के साथ ही नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी रहे गौतम आनन्द तक आ चुके हैं।डीएम शीर्षत कपिल अशोक लगातार नगर परिषद कार्यालय पर नजर रखे हुए है।वहीं,निगरानी व न्यायालय की नजर भी इस पर है।
जब से यह घोटाला सामने आया,डीएम ने जांच कमिटी गठित कर दी।तब से खुद श्री अशोक ही मोनिटरिंग कर रहे हैं।सीधे शब्दों में कहें,तो,वे-सख्त हैं।शायद यही कारण है कि लाख कोशिशों व पैरवी के बाद भी मामले में आरोपितों को कोई राहत नही मिल रही।वे फरार हो कर नेपाल में छुपे हुए है।पुलिस उन्हें लगातार तलाश कर रही है।
इस बीच,विभागीय कार्रवाई शुरू होते ही गौतम आनन्द नप गए।और नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर डीसीएलआर राम दुलार राम को प्रभार मिला।लेकिन, कुछ दिनों बाद यह प्रभार अनुमण्डलिय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सतीश रंजन को मिला।उन्होंने 20 दिसम्बर 2021 को पद भार ग्रहण किया।दोनो पद की दोहरी जिम्मेवारी को ले कर सवाल भी खड़े किए गए।दबाब में बिना आये,वे लगातार सक्रिय रहे।लेकिन,बीते दिनों बैठक के नाम पर उठा बवेला और नगर परिषद की किसी भी संचिका को कार्यालय से बाहर नही ले जाने के ‘आदेश’ का तकनीकी मामला व उठा पटक कथित तौर पर डीएम तक पहुंच गया।
इस बीच,’कालिख की कोठरी’ से बेदाग निकलने के कवायद के तहत श्री रंजन ने अपने को किनारा कर लिया।हालांकि,नगर परिषद बूचड़खाना घोटाले के मामले में उनके कार्यकाल में ही रक्सौल थाना में प्राथमिकी हुई।हालांकि,वे फूंक फूंक कर कदम उठाते रहे ।
सूत्रों ने बताया कि श्री रंजन ने डीएम से विशेष अनुरोध किया कि उन्हें प्रभार से मुक्त किया जाए, जिसके तहत उन्हें मंगलवार को प्रभार मुक्त कर दिया गया।
इस बीच,डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने एक पत्र जारी करते हुए रक्सौल के अवर निर्वाचन पदाधिकारी सह मजिस्ट्रेट संतोष कुमार सिंह को रक्सौल नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।
हमेशा एक्टिव रहने वाले तेज तर्रार कार्यपालक दण्डाधिकारी सह अवर निर्वाची पदाधिकारी सन्तोष कुमार सिंह को यह नई जिम्मेवारी मिलने पर सकारात्मक लेते हुए स्वागत किया जा रहा है,वहीं,दूसरी ओर यह कहा जा रहा है कि श्री सिंह के लिए यह पद भार ‘कांटो भरा ताज’साबित होगा।उन्हें एक साथ कई चुनौतियों से जूझना होगा।
आने वाले समय मे नगर परिषद का चुनाव भी होना है।वहीं, इस घोटाले को ले कर भी नगर परिषद में अस्त व्यस्त स्थिति है।तो,बोर्ड की बैठक,योजनाओं का कार्यान्वयन और उसमें ‘मनमानी पर रोक ‘लगाते हुए दायित्व का निर्वहन वास्तव में जटिल चुनौती होगी।क्योंकि,अक्सर नगर परिषद में काम फाइलों पर होता रहा और। सबो की ‘मिली भगत’से घोटाला भी खूब हुआ।इस समय ‘चूहे बिल्ली का खेल जारी है,उसमें ‘कुर्सी के लिए किये गए इन्वेस्टमेंट की रिकवरी की चिंता कुछ सत्तासीनों को ‘खाये जा रही है।