रक्सौल।( vor desk )।रक्सौल नगर परिषद के बूचड़खाना जमीन खरीद व शेड निर्माण में घोटाले व अनियमितता के मामले में रक्सौल थाना में दो प्राथमिकी दर्ज की गई है।इसके बाद नगर में हड़कम्प है।आरोपित तत्कालीन सभापति,उप सभापति व पार्षद गण मुहं चुराते हुए भूमिगत हो गए हैं।बताया जा रहा है कि इस घोटाले व प्राथमिकी से रक्सौल नगर परिषद की छवि दागदार हुई है और न मिटने वाला काला धब्बा लग गया है।
इस मामले में 4 माह पहले ही तत्कालिन कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनन्द निलंबित हो चुके हैं।तत्कालीन सभापति उषा देवी की कुर्सी छीन चुकी है।अब डीएम शीर्षत कपिल अशोक के निर्देश पर इस मामले में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सतीश रंजन ने प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
बताया गया है कि रक्सौल थाना में ऊक्त मामला दर्ज कराया गया है।जिसमे पहली प्राथमिकी में तत्कालीन नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनन्द , तत्कालीन रजिस्टार मनीष कुमार सहित सभापति उषा देवी ,उप सभापति रोहिणी शाह एवं पूर्व सभापति काशी नाथ प्रसाद , स्टियरिंग कमिटी सदस्य प्रेम चन्द्र कुशवाहा, राजकिशोर प्रसाद व गायत्री देवी के अलावे बड़ा बाबू सह लेखापाल चंद्रशेखर सिंह ,चतुर्थ वर्गीय कार्यालय सहायक मृत्युंजय मृणाल समेत कुल 10 नाम शामिल बताया गया है।जबकि, दूसरे प्राथमिकी में नगर परिषद के दो कर्मचारियों का नाम सामने आ रहा है।जिसमे लेखा पाल चन्द्र शेखर सिंह व चतुर्थवर्गीय सहायक मृत्युंजय मृणाल शामिल हैं।इसमे पार्षदों के साधारण बोर्ड की कार्यवाही पुस्तिका,बूचड़खाना जमीन ख़रीदगी की मूल संचिका ,लैंड फील्ड साइट के जमीन क्रय संचिका व सम्बंधित कागजात के हेराफेरी व गायब करने का आरोप है।
बतलाया गया है कि डीएम द्वारा गठित कमिटी की जांच के बाद दी गई रिपोर्ट में घोटाले व अनियमितता की पुष्टि होने के बाद नगर विकास विभाग को कारवाई की अनुशंसा की गई।निर्देश मिलने पर ऊक्त प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
रक्सौल थाना में दो प्राथमिकी दर्ज किए जाने की पुष्टि एएसपी चन्द्र प्रकाश ने भी कर दी है।उन्होंने कहा कि रक्सौल पुलिस को इस मामले में आवश्यक कारवाई शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
बताया गया है उच्चस्तरीय निर्देश के बाद इस मामले में इंस्पेक्टर सह थानाध्यक्ष शशिभूषण ठाकुर ने जांच व अग्रतर कारवाई शुरू कर दी है।
इधर,सूत्रों का दावा है कि आरोपित जन प्रतिनिधि भूमिगत हो गए हैं।उनके नेपाल में छुपे होने की चर्चा तेज है।
क्या है मामला:
शहर में करीब 14 करोड़ के लागत से बूचड़खाना (पशु वधशाला) निर्माण के लिए जमीन खरीद में आवासीय जमीन को व्यवसायिक भूखंड दिखाकर पन्द्रहवें वित्त आयोग के तहत करोड़ों रुपये भुगतान कर बड़ा घोटाला किया गया है।नगर परिषद बोर्ड व अधिकारी सभी की भूमिका विवादित व दागदार दिख रही है।
सूत्रों के मुताबिक,नगरपरिषद के कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनंद ने दो लोगों से जमीन खरीद के लिए महादानामा का एग्रीमेन्ट बनाया और बिना रजिस्ट्री कराए तीन किश्तों मे 5 करोड़ 91 लाख 36 हजार 154 रुपए का भुगतान कर दिया। वो भी इस शर्त पर की एग्रीमेंट के 14 महीने के भीतर कुल भुगतान करके जमीन का रजिस्ट्री करा लेंगे, नही तो एडवांस के रूप में अग्रिम भुगतान द्वितीय पक्ष ( जमीन मालिक) का होगा। इसके अलावा द्वितीय पक्ष कोर्ट में जाकर 11% ब्याज के साथ अतिरिक्त रुपए भी वसूल कर सकता है। इससे साफ है कि एग्रीमेन्ट का रुपए नहीं देने पर नगर परिषद की 6 करोड़ रुपया जमीन मालिक की हो जाने के साथ ही 11 % अतिरिक्त ब्याज लेने का अधिकार भी जमीन मालिक को दे दिया गया।
बता दें कि पहला एग्रीमेंट में दस्तावेज संख्या 2852 है, जिसका जमीन मालिक नीलम सिंह, खाता 24, खेसरा 1627 एवं रकवा 5 . 68 डिसमिल, इसी दस्तावेज में दूसरा खाता नंबर 52, खेसरा नंबर 1628 एवं रकवा 31.28 डिसमिल है। दोनों जमीन मिलाकर कुल 36.96 डिसमिल है।दूसरा एग्रीमेंट का दस्तावेज संख्या 2853 है।इसमें जमीन मालिक नीरज कुमार और निवेदिता कुमारी हैं। इसका खाता नंबर 107, खेसरा नंबर 1622 एवं रकवा 3 .23 डिसमिल है।पहला एग्रीमेंट वाला 36.96 डिसमिल जमीन चौहदी एवं दस्तावेज के हिसाब से नहरी रोड में है, जोकि एक घरेलू जमीन है।
दूसरा एग्रीमेंट कि 3.23 डिसमिल जमीन पंकज चौक के करीब मेन रोड में है, लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी ने दोनों जमीन के खाता, खेसरा, रकवा एवं चौहदी अलग अलग होने के बावजूद व्यवसाई मूल्य में जमीन खरीदने का एग्रीमेंट कर लिया।निबंधन विभाग के अनुसार नहरी रोड के जमीन अधिकतम 9 लाख प्रति डिसमिल एवं मेन रोड की जमीन 35 लाख प्रति डिसमिल रेट निर्धारित है, परंतु नगरपरिषद एवं निबंधन विभाग की मिली भगत से सभी जमीन को 35 लाख प्रति डिसमिल से खरीदने का एग्रीमेंट कर लिया, जो जमीन 9 लाख रुपए के रेट से 3 करोड़ 32 लाख 64 हजार में होती है, उसे 12 करोड़ 93 लाख 60 हजार में खरिदने का एग्रीमेंट किया गया और जानबूझकर एग्रीमेंट में ऐसा शर्त लगा दिया गया की कार्यपालक पदाधिकरी सहित अन्य को सीधा लाभ मिल सके।
जानकारी के अनुसार एग्रीमेंट के अग्रिम भुगतान के 50 लाख रुपया कमीशन के रूप में कार्यपालक पदाधिकारी के मुजफरपुर स्थित रिश्तेदार के होटल में पहुंचाया गया था, बाकि रुपए का बंदरबांट हुआ है।
*तीन सदस्यीय टीम ने की थी जांच
रक्सौल नगर परिषद् द्वारा बूचड़खाना जमीन के खरीदारी मामले में रक्सौल नप क्षेत्र के वार्ड नंबर-7 के रहने वाले चीनी राम और अन्य सात व्यक्तियों द्वारा समर्पित परिवार पत्र पर डीएम ने संज्ञान लिया था और डीएम ने बूचड़खाना की जमीन खरीद की जांच कराई थी।डीएम द्वारा आपदा प्रबंधन के अपर समाहर्ता अनिल कुमार के नेतृत्व में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी एवं रक्सौल के भूमि सुधार उप समाहर्ता की गठित टीम ने भूमि खरीद की जांच की थी।मजे की बात यह है आवेदक व मामले को उठाने वाले पूर्व उप सभापति काशी नाथ प्रसाद भी कार्रवाई की जद में आ गये हैं।उप सभापति रोहिणी शाह भी वंचित नही हैं।