काठमांडू।( vor desk )।नेपाल भारत मैत्री समाज द्वारा बहुचर्चित पुस्तक ‘काठमांडू दुविधा:भारत-नेपाल रिश्ते को रिसेटिंग करना’ ‘(Kathmandu Dilemma Resetting India-Nepal Ties’ )पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।ऊक्त बहुचर्चित पुस्तक नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रंजित रे ने लिखी है ।श्री रंजित रे अब अवकास प्राप्त जीवन व्यतीत कर रहें हैं ।कर्यक्रम की अध्यक्षता समाज के अध्यक्ष श्री प्रेम लश्करी ने की। श्री लश्करी ने स्वागत मन्तव्य में कहा की श्री रे के समय में उनकी संस्था द्वारा नेपाल भारत सम्बन्ध को मजबूत करने के लिए कई योजनायें लाइ गई और उसे समय पर पूरा किया गया ।बतौर प्रमुख अतिथि पूर्व उप राष्ट्रपति परमानन्द झा ने इस पुस्तक प्रकाशन के लिए श्री रे को बधाई दी। प्रश्नों के जवाब में पूर्व राजदूत श्री रंजित रे ने कहा कि नेपाल-भारत सम्बन्ध पारदर्शी होना चाहिए ।उन्होंने कहा की नये जेनरेशन के लिए जरूरी है की उनको सारी बातों की जानकारी होनी चाहिए।श्री रे ने सीमा समस्या, लिपूलेक, जलश्रोत तथा अन्य मसलों पर बहुत सारी कारणों की जानकारी दी ।उन्होंने बताया की मैं चाहता हूँ की बॉर्डर खुला रहे ।भले ही सेक्युरिटी क्यों न बढाई जाए ।
समरोह में उनकी पुस्तक पर डा 0 जयराज आचार्य तथा डा सुंदर मणि दीक्षित ने विस्तार से अपनी बातें रखीं। उनसे प्रश्न रूपी जिज्ञासा रखने वाले में नेपाल के बुद्धजीवी अनिल केडिया, रामगोपाल यादव, बुद्धि बहादुर श्रेष्ठ , महेश अग्रवाल ,देवेश झा , सच्चिदानंद मिश्र व सीमा जागरण मंच के बिहार प्रान्त के प्रदेश अध्यक्ष महेश अग्रवाल प्रमुख रूप से शामिल थे।
कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र श्रेष्ठ ने किया। तथा धन्यवाद ज्ञापन डा0 लोक बहादुर थापा ने किया ।