रक्सौल।(vor desk )।महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह आंदोलन को याद करते समय रक्सौल से जुड़े संदर्भों को याद करना भी जरूरी है। बीते 21 सितंबर 2021 को पीएमओ ने इस विषय को सरकार से संबंधित बताते हुए इसे पुनः डीएम मोतिहारी के संज्ञान में प्रेषित किया है। इस विषय को शिक्षाविद डॉ. स्वयंभू शलभ ने पीएमओ के समक्ष रखा था।
महात्मा गांधी की 152वीं जयंती की पूर्व संध्या पर डॉ. शलभ ने कहा कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में चंपारण की प्रमुख भूमिका रही है। इसी चंपारण की भूमि पर महात्मा गांधी ने सत्याग्रह का अनोखा प्रयोग किया जिसकी गूंज पूरे देश में फैली। इस आंदोलन में रक्सौल की मिट्टी का भी योगदान रहा है। इस विषय को केंद्र और राज्य के संबंधित मंत्रालयों और विभागों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। उम्मीद है कि सरकार द्वारा इस मामले में सकारात्मक कदम उठाया जाएगा।
डॉ. शलभ ने आगे कहा कि महात्मा गांधी जिन जिन स्थलों पर आए और जहां जहां प्रवास किया उन स्थलों को सरकार द्वारा गांधी सर्किट में जोड़ने की योजना बनाई गई लेकिन दुर्भाग्यवश रक्सौल इस योजना से अलग थलग पड़ा रहा। उनके तीन बार रक्सौल आगमन का ठीक से अध्ययन नहीं किया गया। उपलब्ध आलेखों, संदर्भ पुस्तकों और इतिहासकारों व विज्ञों की राय के आलोक में महात्मा गांधी के रक्सौल आगमन का अध्ययन कर राष्ट्रीय गांधी विद्यालय और हरदिया कोठी को संरक्षित और विकसित किये जाने की आवश्यकता है। रक्सौल में महात्मा गांधी स्मारक एवं द्वार बनाकर उनकी स्मृतियों को जीवित रखना जरूरी है। रक्सौल को गांधी सर्किट में जोड़कर इसे अपनी पहचान देना जरूरी है। रक्सौल संदर्भ को नजरअंदाज करने से आने वाली पीढ़ियां भी चंपारण सत्याग्रह के इतिहास को समग्रता से नहीं समझ पाएंगी।
ज्ञातव्य है कि हरदिया कोठी जहां महात्मा गांधी आये और गांधी विद्यालय जिसकी स्थापना महात्मा गांधी के आह्वान पर हुई इन दोनों स्थलों की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने और रक्सौल को गांधी सर्किट से जोड़कर विकसित किये जाने के डॉ. शलभ के प्रस्ताव के आलोक में गत 1 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा कैबिनेट सचिव एवं शिक्षा सचिव को तथा गत 16 अगस्त 2018 एवं 11 जनवरी 2019 को पर्यटन विभाग को भेजा गया था। इससे पूर्व मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस प्रस्ताव को गत 10 अप्रैल 2018 एवं 8 जून 2018 को शिक्षा विभाग को प्रेषित किया था।
वहीं इस विषय में पीएमओ द्वारा गत 4 अप्रैल 2018 एवं 1 फरवरी 2021 को डॉ. शलभ की अपील के आलोक में डीएम मोतिहारी को भी मेल भेजा गया था।
इन प्रयासों के बीच गत 12 जून 2018 को पटना में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी से मुलाकात कर डॉ. शलभ ने इस विषय से संबंधित दस्तावेज भी प्रस्तुत किये थे।
विश्व के सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप केसरिया को तथागत गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी(नेपाल) को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की जरूरत है और भारत-नेपाल की साझी विरासत को संजोने के लिए गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी,बीरगंज के भिस्वा(बीरगंज,नेपाल) व कर्मस्थली बोध(ज्ञान) स्थली बोधगया,वैशाली,निर्वाण स्थली कुशीनगर को बुद्ध सर्किट से जोड़ने होंगे।इसके लिए पर्यटन विभाग व रेल विभाग को पहल कर रेलवे स्टेशन पार्क में भगवान बुद्ध व संविधान निर्माता,वर्ल्ड सिंबल ऑफ़ नॉलेज भारतरत्न बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के प्रतिमा निर्माण तथा बुद्ध की स्मृतियों से जुड़े संग्रहालय के निर्माण के साथ ही रेलवे के विशाल तालाब का सौंदर्यीकरण कर उसे पक्षी अभयारण्य सहित मछली पालन करने और उक्त तालाब के बीचोबीच तथागत गौतम बुद्ध की विशाल ध्यानस्थ मुद्रा में प्रतिमा निर्माण व आईसीपी गेट के समीप अंतराष्ट्रीय गौतम बुद्ध द्वार के निर्माण होने से रक्सौल में पर्यटकीय विकास के चार चांद लग जाएंगे तथा रक्सौल अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर इंडो-नेपाल टूरिस्ट सेंटर के रूप में विकसित होगा,जिससे रक्सौल का चहुँमुखी विकास होगा तथा देशी-विदेशी पर्यटकों के बढ़ते रुझान इस शहर को अंतरराष्ट्रीय ख्याति देंगे और पर्यटकों के मांग के अनुरूप हवाई अड्डा भी विकसित होगा तथा हवाई उड़ाने भी होने लगेगी।इसके लिए स्थानीय सांसद सह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.संजय जायसवाल जी व भाजपा विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा कुशवाहा जी के सार्थक प्रयास अपेक्षित है।इसके लिए इंडो-नेपाल सीमाई क्षेत्र के व्यवसायी,बुद्धिजीवी,समाजसेवियों व युवा वर्गों की सकारात्मक पहल काफी कारगर होंगे।एक धक्का,जीत पक्का होगा,इसे एक मुहिम के रूप में शुरू करने होंगे।शुभकामनाओं सहित💐