Tuesday, November 26

नेपाल में भारतीय वाहनों की नही शुरू हुई इन्ट्री,क्या इसके पीछे नेपाली वाहन लॉबिंग का है दवाब ? चर्चा तेज!

रक्सौल।( vor desk )।भारतीय वाहनों की इन्ट्री गुरुवार को भी शुरू नही हो सकी।नेपाल कैबीनेट के बॉर्डर खोलने के निर्णय के कोई दस दिन बीतने के बावजूद स्थिति यथावत बनी हुई है।जबकि,कोरोना को ले कर डेढ़ वर्ष से बन्द सीमा को स्थल मार्ग से आवाजाही हेतु औपचारिक रूप से खोल दिया गया है।इस बीच,पर्सा जिला के जिलाधिकारी पीताम्बर घिमिरे का कहना है कि गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद स्थल मार्ग से आवाजाही सुचारू है।उनके मुताबिक, वीरगंज कस्टम को भी गृह मंत्रालय के निर्णय से अवगत करा दिया गया है।लेकिन,वीरगंज कस्टम चीफ हरिहर पौडेल का कहना है कि भारतीय मालवाहको की आवाजाही जारी है।लेकिन,निजी व टुरिस्ट वाहनों के इन्ट्री के लिए अर्थ मंत्रालय का निर्देश नही मिला है।जब तक निर्देश नही मिलता, हम कुछ नही कर सकते।

इस पूरे प्रकरण में एक ओर जहां बॉर्डर खुलने की सूचना पर भारतीय वाहनों से पहुंच रहे भारतीय पर्यटक-नागरिक बेवजह परेशान हो रहे हैं,वहीं,होटल एवं पर्यटक व्यवसायी संघ के वीरगंज इकाई अध्यक्ष हरि पंत का कहना है कि भारतीय वाहनों के प्रवेश नही मिलने से बॉर्डर के खुलने का कोई अर्थ ही नही रह जाता।हालांकि,वे आशान्वित हैं कि वीरगंज बॉर्डर से भारतीय वाहनों की आवाजाही एक दो दिन में शुरू हो सकती है।

इधर ,सूत्रों का दावा है कि कार-जीप जैसे चार पहिया भारतीय वाहनों के नेपाल में प्रवेश नही मिलने से नेपाली वाहन मालिकों-चालकों को सीधा फायदा पहुंच रहा है।यही कारण है कि नेपाल के छोटे-बड़े चार पहिया वाहनों व यात्री बस का सिंडिकेट व यूनियन का नेपाल कस्टम समेत सरकार पर दवाब है कि भारतीय वाहनों की इन्ट्री की अनुमति नही दी जाए।सूत्रों का दावा है कि इसके लिए करोड रुपये की डील हुई है,ताकि,इसे ज्यादा से ज्यादा दिन तक खिंचा जाए।यूनियन का तर्क है कि नेपाली वाहन मालिको व चालकों की भी स्थिति कोरोना के वजह से हुए लॉक डाउन में खराब हुई है।यूनियन के एक कद्दावर नेता का कहना है कि हम भारत की अपेक्षा दो- ढाई गुना कीमत पर एस्कार्पियो,सूमो जैसे वाहन खरीदते हैं ।उसका रोड टैक्स ,इन्सुरेंस ,बैंक कर्ज भरना पड़ता है।यदि भारतीय वाहनों को अनुमति दे दी गई तो नेपाली वाहन चालक की हालत खस्ताहाल हो जाएगी।जानकारों के मुताबिक,यूनियन में माओवादी व कम्युनिष्ट ट्रेड यूनियन नेताओं का दबदबा है।जिससे सरकार भी डरती है।बताते हैं कि भारतीय एस्कार्पियो-सूमो भाड़े पर लेने पर तेल छोड़ कर प्रति दिन दो हजार लगता है।लेकिन, नेपाल में नेपाली वाहन वीरगंज से काठमांडू छोड़ने के लिए भाड़े पर लेने पर एक रोज के लिए पांच- छह हजार रुपये लग जाते हैं।जबकि,दो चार दिनों के लिए टूर के हिसाब से लेने पर सूमो गोल्ड 25 सौ व एस्कार्पियो 35 सौ रुपये तकरीबन भारतीय मुद्रा में अदा करना पड़ता है।जबकि, तेल और ड्राइवर की खुराक व रहने का चार्ज अलग से लग जाता है।सूत्रों का कहना है कि यह लॉबिंग इतना मजबूत है कि निजी भारतीय वाहन के नेपाल में किसी दुर्घटना के शिकार होने या मामला फंसने पर उन्हें परेशान करने -कराने से नही चूकते।यही नही नेपाल पुलिस का रवैया भी सहयोगात्मक नही रहता।भारतीय पर्यटको-तीर्थ यात्रियों -नागरिको कदम कदम पर नगर पालिका टैक्स व रोक टोक,जांच के नाम पर परेशान किया जाता है।

हालांकि,इस बाबत वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि नेपाल सरकार राष्ट्रीय -अंतराष्ट्रीय परिपेक्ष्य व जनहित में कोई निर्णय लेती है।हो सकता है कि नेपाली वाहन लॉबिंग का दवाब हो,लेकिन,यह बहुत कारगर नही होगा।क्योंकि,भारतीय वाहनों के नही आने से घाटा नेपाल को भी है।पर्यटन व व्यवसाय प्रभावित है।वे कहते है कि देउबा कैबीनेट जल्द ही भारतीय वाहनों के प्रवेश की अनुमति दे सकती है।हम इसको ले कर आशान्वित हैं।

इधर,मीडिया फ़ॉर बॉर्डर हार्मोनी संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष प्रो0 उमा शंकर प्रसाद का कहना है कि भारत-नेपाल रिश्ते को किसी तीसरी शक्ति की नजर लग गई है,जो नही चाहती कि बॉर्डर पर आवाजाही सहज हो।बेटी -रोटी का रिश्ता कमजोर करने की साजिश हो रही है। विदेशी शक्तियों के इशारे पर नाचने वाले नेपाल के कुछ राजनीतिज्ञ व ब्यूरोक्रेट्स इस षड्यंत्र में शामिल हैं।उन्होंने कहा कि सभी जगह कोरोना खत्म हो चला है।लेकिन,नेपाल कोरोना के नाम पर शर्त रख रहा है।भारतीय नागरिको को सीसीएमसी का फॉर्म भरना,उसका प्रिंट रखना,कोविड जांच कराना जैसी जटिलता खड़ी की जा रही है।जबकि, नेपाली नागरिको व वाहनों के प्रवेश के लिए भारत सरकार ने ऐसा कोई नियम नही रखा है।उन्होंने कहा कि लोकल लोग ऐसे शर्त का अनुपालन नही कर पाएंगे।रोज की जरूरत है।इस नाम पर भारतीय नागरिक बेवजह परेशान होंगे।

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