रक्सौल।( vor desk )। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में जो मौत का तांडव मचाया था उसी दरम्यान भारत सरकार तथा राज्य सरकारों ने टीकाकरण अभियान को युद्ध स्तर पर चलाया जो अभी भी जारी है।टीकाकरण की गति को तेज़ करने एवं सफलतापूर्वक निष्पादित करने के लिए बिहार सरकार ने हजारों नर्सों, वार्ड बॉय, डाटा ऑपरेटर्स इत्यादि की नियुक्ति तीन महीने के अनुबंध के आधार पर किया।टीकाकरण के शुरुआती दौर में लाभार्थियों में जागरूकता के अभाव के कारण टीकाकरण कार्य मन्द गति से चलता रहा परन्तु प्रशासन,स्वास्थ्यकर्मियों, समाजसेवी संगठनों एवं जनप्रतिनिधियों के सहयोग से जनता में टीकाकरण के प्रति जागरूकता आई तथा टीकाकरण महाअभियान के तहत युद्व स्तर पर टीकाकरण का कार्य चल रहा है,जिन स्वास्थ्यकर्मियों ने तीन महीने के अनुबंध के साथ सुबह से लेकर शाम तक तथा कभी-कभी रात्रि तक टीकाकरण में अपनी जान को ज़ोखिम में डालते हुए कार्यों का निपटारा किया उन्हें बिहार सरकार के द्वारा महज़ दो महीने की सेवा लेकर उनके अनुबंध को 26 जुलाई 2021 को समाप्त कर दिया गया,जबकि उन टीकाकर्मियों की उपयोगिता वर्तमान में पूर्व से भी अधिक महत्वपूर्ण है,जिस प्रकार से टीकाकरण केंद्रों पर जन सैलाब उमड़ कर आ रहा है तथा सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाई जा रही है, इन परिस्थितियों में टीकाकरण केंद्रों की संख्या बढ़ा कर भीड़ को कम किया जा सकता है परन्तु हज़ारों की संख्या में टीकाकर्मियों का अनुबंध समय से पूर्व ही समाप्त कर दिया गया।अब उन्हें बेरोज़गार कर दिया गया है।बताया गया है कि जिले के 181 नियुक्ति हुई थी,जिसमे 5 नर्स रक्सौल पीएचसी में कार्यरत थीं । यह स्थिति सरकार के अवसरवादी मानसिकता को दर्शाता है,हालांकि दो दिनों से जिला मुख्यालय में दो दिनों से लगतार विरोध प्रदर्शन जारी है।इसी बीच पूर्वी चम्पारण जिले में सेवा मुक्त टीकाकर्मियों ने मोतिहारी डीएम सहित सिविल सर्जन को एक ज्ञापन दिया है।इसके बाद पदाधिकारियों ने पीड़ितों की समस्याओं को राज्य स्तर तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है।
इस मामले को ले कर नरकटिया विधायक डॉ0 शमीम अहमद ने टीकाकर्मियों का दर्द महसूस करते हुए इस मुद्दे को विधान सभा में उठाने का आश्वासन दिया है।इस मुद्दे पर राजनेताओं, समाजसेवी संस्थाओं एवं बुद्धिजीवी वर्ग के व्यक्तियों के द्वारा सरकार के विरुद्ध रोष प्रकट किया गया है।