रक्सौल।( vor desk )।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह पश्चिम चंपारण के सांसद डॉ0 संजय जायसवाल ने चम्पारणवासियों की मुहिम ‘चंपारण मांगे एयरपोर्ट ‘ के छह घण्टे तक ट्रेंड करने और देश मे इसकी चर्चा शुरू होने के क्रम में अपनी चुप्पी तोड़ी है।
उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में चंपारण के रक्सौल एयरपोर्ट को चालू करने पर फोकस किया है।उन्होंने इस मामले में अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि- 2014 में हमारी सरकार बनने के साथ ही रक्सौल एयरपोर्ट के नवीकरण के लिए प्रधानमंत्री बिहार विशेष पैकेज के अंतर्गत ढाई सौ करोड़ रुपए मैंने रक्सौल हवाई अड्डे के लिए आवंटित करा लिए थे ।
फिर केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि हम उन्हीं एयरपोर्ट को बनाएंगे जहां हवाई कंपनियां जहाज उतारने का वादा करेंगी ।इन कम्पनीयों के बहुत सारे टैक्स भी माफ कर दिए जाएंगे ।अर्थात प्रति व्यक्ति उस हवाई कंपनी को 12 सौ रुपए की बचत होगी। इससे हवाई यात्रा सस्ती भी होगी और कंपनियां नए जगह से हवाई जहाज चलाने का जोखिम भी ले सकेंगी।
अप्रैल 2017 में जब उड़ान स्कीम शुरू की गई तो बिहार के पांच हवाई अड्डों को इसके नीलामी मे आमंत्रित किया गया ।वह जगह थे रक्सौल ,मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पूर्णिया और भागलपुर। इन पांच स्थानों में से उड़ान स्किम में केवल नीलामी दरभंगा के लिए आई और आज हम दरभंगा को नए रूप में देख रहे हैं ।
अभी उड़ान 4.1 चल रही है और इसमें भी नीलामी में रक्सौल मुजफ्फरपुर पूर्णिया और भागलपुर हवाई अड्डा है। पर अभी तक किसी कंपनी ने यहां जहाज उतारने को नहीं कहा है ।
3 वर्ष पहले मैं खुद नेपाल चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों के साथ उस समय के मंत्री जयंत सिन्हा जी से मिला था। उन्हें नेपाल के व्यवसायियों ने आश्वस्त किया कि आप रक्सौल हवाई अड्डा चलाएंगे तो इससे चंपारण सहित पूरे नेपाल को फायदा होगा क्योंकि अभी बीरगंज के लोग काठमांडू जाते हैं और वहां से दिल्ली जाकर विभिन्न स्थानों पर जाते हैं ।इस कारण इन्हें अंतर्राष्ट्रीय कर भी देना पड़ता है जो लगभग ढाई हजार के करीब है।
अगर रक्सौल से हवाई जहाज उड़ेगा तो 2500 रू की बचत हो जाएगी ।अभी भी मेरी लगातार बात नागरिक विमानन के ज्वाइंट सेक्रेट्री अम्बर दुबे जी से होते रहती है कि वह किसी एयरलाइन को रक्सौल के लिए तैयार करें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि जो भी एयरलाइन रक्सौल आएगी उसके लिए यह फायदे का सौदा होगा।
बेतिया और मोतिहारी एयरपोर्ट आरसीएस में शामिल हैं पर अभी ऐसा नहीं लग रहा है कि कोई हवाई जहाज की कंपनी यहां उतरेगी। किसी भी हवाई जहाज कंपनी को चाहे वह एक हवाई जहाज उतारे या 10 पर ग्राउंड स्टाफ के तौर पर 40 से ज्यादा लोगों को नौकरी देनी पड़ती है । इसीलिए जहां से एक या दो हवाई जहाज चलते हैं उनका किराया काफी महंगा होता है।
गोपालगंज हवाई अड्डे को अगले वर्ष नीलामी के लिए बाकी शहरों के साथ खोला जाएगा। इससे ज्यादा वहां कुछ नहीं है।
गोरखपुर वायु सेना हवाई अड्डे पर केवल 6 घंटे ही नागरिक विमान उतारने की सुविधा थी इसलिए मैंने और आरपीएन सिंह ने इतनी मेहनत से 2012 मे कुशीनगर हवाई अड्डे को पास कराया था। आज वहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन कर तैयार हैं। पर सभी सुविधा से युक्त होने के बावजूद आज भी कोई हवाई कंपनी यहां विमान उतारने को तैयार नहीं हो रही है।
उन्होंने चंपारण मांगे एयरपोर्ट के हैश टैग को अपने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए सबसे ऊपर लिखा और बताने की कोशिश किया की वे भी चम्पारण वासी हैं।