रक्सौल।(vor desk )।रक्सौल नगरपरिषद की मुख्य पार्षद उषा देवी के द्वारा सशक्त स्थायी समिति को भंग करने की अनुशंसा से स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है।एक ओर गुटबाजी साफ़ दिख रही है,तो,दूसरी ओर अब उप मुख्य पार्षद रोहिणी साह ने भी तलवार खींच ली है।इससे आने वाले दिनों में निश्चय ही उठा पटक तेज होने के संकेत मिले हैं।
बता दे कि उप मुख्य पार्षद रोहिणी साह ने रक्सौल नगरपरिषद के कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनन्द को एक आवेदन पत्र सौंपा है, जिसमे मुख्य पार्षद उषा देवी पर यह आरोप हैं कि मुख्य पार्षद सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुलाने में असफल रहती हैं ।ज्ञात हो को विगत कुछ माह से मुख्य पार्षद के द्वारा सशक्त स्थायी समिति की बैठक नही कराई जा रही है । जिसको लेकर दिनांक 29 मई 2021 को उप मुख्य पार्षद के साथ साथ सशक्त स्थायी समिति के दो अन्य सदस्यों के द्वारा लिखित रूप में विगत बैठकों में लिए गए निर्णयों पर पूर्णविचार हेतु बैठक कराने का अनुरोध किया गया था ।लेकिन लिखित रूप में किये गये अनुरोध पर मुख्य पार्षद के द्वारा कोई प्रतिक्रिया नही मिली।रोहिणी साह के आवेदन के मुताबिक, रक्सौल नगरपरिषद में इस कोरोना महामारी के दौर में कार्यालय के अति आवश्यक कार्य के साथ साथ अन्य आवश्यक निर्णय लेने में कठिनाई हो रही हैं, जिसका कुप्रभाव आम जनता पर पड़ रहा है,जो कि अत्यंत ही खेदजनक हैं ।उपर्युक्त विषय के सम्बंध में सूचित करना है कि बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के धारा 27अ(3)तहत नगरपालिका पदाधिकारी के द्वारा सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुलाई जाय जिसमें रक्सौल नगरपालिका के आम जनता समस्याओं के लिए निर्णय लिया जा सके।
बताते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने की चर्चा के बीच 29 मई के इस आवेदन के बाद सभापति गुट सकते में आ गया।और आनन फानन में 31 मई को समिति को भंग करने की अनुसंशा एसडीओ से कर दी।इधर, उप मुख्य पार्षद रोहणी साह ने इसे अधिकार व कर्तव्य का हनन मानते हुए कार्यपालक पदाधिकारी से उचित कदम उठाने की मांग की है।जिसके बाद कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनन्द ने इस पर वरीय अधिकारियों से दिशा निर्देश मांगा है।इधर,पूरे मामले पर अनुमंडल पदाधिकारी आरती की भी नजर बनी हुई है।जबकि, रोहीणी साह का कहना है कि विशेष परिस्थिति में उप सभापति को बैठक बुलाने का अधिकार है।जब आवेदन दिया गया था,तो,बैठक को आहूत करने की जरूरत थी,न की समिति को भंग करने की अनुशंसा करने की जरूरत थी।यह जन हित से परे है।जबकि इस समिति में उप मुख्य पार्षद भी पदेन सदस्य हैं।उन्होंने कहा कि लगता है कि मुख्य पार्षद ने अब समिति सदस्यों का भी विश्वास खो दिया है,शायद यही कारण है कि फिर से नए सदस्यों को नामित करने की चर्चा की गई है।जबकि, कोरोना काल के इस संकट में उन्हें सबको ले कर चलने की जरूरत है।( रिपोर्ट:राकेश कुमार )