Wednesday, November 27

‘खेला होबे’ की चर्चा के बीच नगर परिषद की स्थायी शशक्तिकरण समिति को सभापति उषा देवी ने किया भंग!

-नगर सभापति ने सशक्त स्थायी समिति को कर दी भंग

-रक्सौल एसडीओ को पत्र प्रेषित करने की सूचना

-पांच साल में चौथी बार अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी से माहौल गर्म

रक्सौल।(vor desk) ।’नगर परिषद रक्सौल में खेला होबे!’पश्चिम बंगाल के’ खेला होबे’ के तर्ज पर इस जुमले की चर्चा नगर में तेज है।सूत्रों की माने तो नगर परिषद की कुर्सी के लिए उठा पटक तेज हो गई है।अब सिर्फ एक साल ही कार्यकाल बचा है।लेकिन,यहां के पार्षद इस एक साल के मौके को अवसर में बदलने में कोई कोर कसर नही छोड़ते।तो,सत्ता के चार वर्ष का जवाब भी इसी अंदाज में देने की पिछले कुछ अर्से से परम्परा सी बन गई है।इसी बीच चर्चा है कि विक्षुब्ध गुट आगामी दिनों अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाला है।जिसकी तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है।बताते हैं कि मोर्चा बन्दी भी तेज है।शर्त भी रखी गई है कि कोई पार्षद यहां से ‘लॉक डाउन’में कही नही जाएगा,’अनलॉक’ यानी पहले की तरह धोखा की कोशिश हुई,तो,निपटा भी जाएगा!इस पूरकश किलेबंदी से सत्ता पक्ष में बेचैनी भी दिख रही है।कानूनी दावं पेंच की जुगत भी।बताते हैं कि इस खेल में ‘रक्सौल के सियासतदां’ भी शामिल है,जो ‘परिवर्तन होबे’ के मूल मंत्र पर चल रहे हैं।

नगर परिषद में कुर्सी की उठा पटक में शह मात के बीच अचानक से सोमवार को नगर परिषद के सशक्त स्थायी समिति को भंग कर देने की खबर तैरने लगी।

बताते हैं कि नगर सभापति उषा देवी ने इस समिति को भंग कर दिया है और इसकी जानकारी पत्र के माध्यम से अनुमंडल पदाधिकारी, रक्सौल को प्रेषित किया है। दिये गये पत्र में नगर सभापति उषा देवी ने बताया है कि वार्ड की कुल संख्या के आधार पर मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद के अलावा 3 वार्ड पार्षदों सहित कुल 5 सदस्यों को मिलाकर सशक्त स्थायी समिति कार्यरत है। उन्होंने बताया नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धारा 27 (ग) में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए तत्काल मुख्य पार्षद( सभापति ) उषा देवी एवं उप मुख्य पार्षद ( उप सभापति )रोहिणी साह को छोड़कर उपरोक्त तीनों वार्ड पार्षदों को सशक्त स्थायी समिति से हटाया जाता है। इस प्रकार तत्काल सशक्त स्थायी समिति भंग रहेगी। सभापति उषा देवी ने यह भी लिखा है कि जल्द ही नये सदस्यों को नामित कर इसकी सूचना उपलब्ध करा दी जायेगी।बताते चले कि इस समिति में नगर पार्षद गायत्री देवी,राजकिशोर प्रसाद ,व प्रेम चन्द्र कुशवाहा बतौर सदस्य शामिल थे।

सूत्रों का दावा है कि कुर्सी बचाने की जुगत के बीच इस बार खेल ‘ शेष फंड’के सदुपयोग की भी है।ताकि, रही सही कमाई हाथ से न निकल जाए।बताते हैं कि नगर परिषद के इस खेल के सिलसिले में अंतिम के पिछले दो बार के टर्म में क्रमशः स्व नत्थू प्रसाद रेणु देवी को मौका मिला था,जो सभापति बने।सूत्रों के दावों पर विश्वास करें तो नगर परिषद में बंदर और बिल्ली वाली खेल भी पुरानी है।इसमे नप के ‘तीन विभागीय तिलंगे’ ऐसे हैं,जो,इशारे पर सब कुछ नचाते हैं।और अंत समय मे ‘खेल’ कर देते हैं।फिर टेंडर के फंड से जुड़े एमबी बुक करने के साथ अन्य लाभ तो लेते ही है,पार्षदों की ‘कमाई’ यानी भी गटक जाते हैं,जिसकी चर्चा खूब होती रही है।और इधर कुर्सी पर बैठे लोग अंतिम समय में हाथ मलते रह जाते हैं।इस बार इस खेल से बचने के लिए सत्ता पक्ष सतर्क दिख रही है।वैसे इस तरह के किसी वाक्ये की पुष्टि या कुछ भी बोलने से सत्ता पक्ष का इनकार रहा है।

इधर यह भी चर्चा है कि अविश्वास प्रस्ताव आने पर उप सभापति को पावर मिल सकता है।लेकिन, स्थाई शशक्तिकरण समिति के भंग रहने से ऐसा नही हो सकेगा।वित्तिय कार्य नही हो सकेगा।विशेष परिस्थिति में ही उपसभापति बैठक बुला सकेंगी।गौरतलब है कि रोहिणी साह भी पूर्व में नप सभापति पद की उम्मीदवार रही थीं।

नगर परिषद पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेसक नुरुल्लाह खान का कहना है कि’मैच फिक्स’हो चुका है,किस्मत का गियर ही बचा सकता है।क्योंकि,विपक्ष के गोलबन्द पार्षदों की संख्या तकरीबन 18 पहुंच चुकी है।
खैर यह देखने की चिज है कि ऊंट किस करवट बैठता है।वैसे समय मे जब शहर वासी सैनिटाइज के लिए तड़प रहे हैं,मच्छड़ का प्रकोप सर चढ़ कर बोल रहा है,नाले बजबजा रहे हैं,कोरोना काल मे राहत की जरूरत है और बाढ़ का
खतरा सर पर है,तो,स्वाभाविक तौर पर यह खेला निराश ही करेगा।

बावजूद,नगर परिषद के पूर्व उप सभापति काशी नाथ प्रसाद को कुर्सी से हटाया जाना,बूचड़ खाना निर्माण के नाम पर घोटाला और विधान सभा चुनाव में नगर परिषद की सियासी भूमिका आने वाले दिनों में सियासत को गर्म रखेगी,यह तय सा है।

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