Monday, November 25

‘यास चक्रवात’ने खोल दी रक्सौल के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल,अभी तो मॉनसून का आगाज बाकी है…!

-वारिश से जहां टिकाकरण प्रभावित व अस्पताल परिसर में पानी से त्राहि त्राहि की स्थिति

रक्सौल।( vor desk )।यास चक्रवात के कारण लगातार हो रही आंधी पानी ने रक्सौल के स्वास्थ्य व्यवस्था का पोल खोल कर रख दिया।यह महज टेलर की तरह था, जो टल गया।मगर मॉनसून का आगाज अभी बाकी है।ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि कोविड से जंग कैसे जीतेंगे और बुनियादी स्वास्थ्य सेवा कैसे सुचारु रह सकेगी,इस पर मंथन जरूरी हो गया है।क्योंकि,इस स्थिति में खुद स्वास्थ्य कर्मी भी त्राहि त्राहि करते दिखे।

मॉनसून से पहले हुई इस बारिश से रक्सौल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,अस्थाई कोविड केयर सेंटर व केसीटीसी कॉलेज स्थित टिकाकरण केंद्र समेत डेडीकेटेड कोविड केयर सेंटर डंकन हॉस्पिटल जलप्लावित हो गया।इससे त्राहि त्राहि की स्थिति रही।

एक ओर  जहां कोविड टिकाकरण  बुरी तरह प्रभावित रहा।शुक्रवार को कुल 70 लोगों को ही टिका लग सका।वहीं, पीएचडी के ओपीडी में मरीजो की संख्या नगण्य रही।जबकि, कोविड जांच भी प्रभावित हुई।मात्र 7 लोगों की जांच की गई।इसी तरह शहर के हजारीमल हाई स्कूल स्थित अस्थाई कोविड केयर सेंटर परिसर व कोविड रूम में भी पानी घुस जाने से अफरा-तफरी रही।

केंद्र पर प्रतिनियुक्त चिकित्सक डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने स्वीकार किया कि यहां  एक मरीज को होम आईसोलेशन में भेज दिया गया,वहीं,एक महिला संक्रमित्त इलाजरत है,जिसे डंकन।अस्पताल रेफर कर दिया गया।।वार्ड में पानी घुस जाने से इलाज देख रेख में परेशानी हो रही थी, स्वास्थ्य कर्मी भी परेशान हो गए।

इसी तरह शहर के केसीटीसी कॉलेज स्थित टिकाकरण केंद्र के कक्ष  में वारिश का पानी घुसने व चुने से टिकाकरण प्रभावित रहा।लगातार बारिश के कारण टिकाकरण प्रभावित रहा।

महज 30 लोगों को वहां टिका लग सका।लाभुक वर्षाती व छाता ले कर टिका लेने पहुंचे थे।इस बीच राष्ट्रीय बाल कल्याण समिति के नोडल डॉ मनीष कुमार व यूनिसेफ के एसएमसी डॉ0 धर्मेंद्र कुमार,प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एसके सिंह,यूनिसेफ़ के बीएमसी अनिल कुमार आदि ने पहुंच कर टिकाकर्मी दल का हौसला बढ़ाया।

साथ ही वारिश में टिका एक्सप्रेस के तहत समिति व आंगनबाड़ी केंद्रों  पर किये जा रहे टिकाकरण का जायजा लिया और स्वास्थ्यकर्मियों की तारीफ की।हालांकि, उक्त दोनों टीम द्वारा महज 40 लोगों का ही टिकाकरण किया जा सका।लेकिन,इस हौसलाफजाई से मुसीबत या विपरीत हालात नही बदल जाता,क्योंकि, बारिश में यह समस्या और बढ़ने वाली है।जबकि कोविड से जंग तेज है।

इसी तरह, डंकन अस्पताल में भी वारिश के पानी के घुसने व जल जमाव से अफरातफरी रही।मरीज़ो व उनके परिजनों समेत मेडिकल टीम को भी परेशानी झेलनी पड़ी।इसी क्रम में वहां एक कोविड संक्रमित्त की मौत हो गई।स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने बताया कि शव को अस्पताल से ले जाने से ले कर अंतिम संस्कार करने तक  में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।

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