Monday, November 25

कोरोना काल मे सीमावर्ती सहयोग:सीमा क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों, पत्रकारों व प्रबुद्धजनों की भूमिका महत्वपूर्ण!

रक्सौल।(vor desk )।नेपाल -भारत खुला सीमा सम्वाद समूह द्वारा ‘कोरोना काल मे सीमावर्ती सहयोग ‘विषयक वेब गोष्ठी ‘आयोजित हुई।जिसमें खुली सीमा को सील करने की बजाय नागरिक आवाजाही के सहजीकरण, कोरोना काल मे एक दूसरे मे उपचार की सुविधा ,बॉर्डर पॉइंट पर हेल्प डेस्क स्थापित करने व रोजगार,तीर्थ,इलाज के क्रम में लॉक डाउन के कारण सीमा क्षेत्र में फंस गए लोगों को उनके घर भेजे जाने तथा उचित सहयोग की व्यवस्था पर जोर दिया गया।

मधुबनी से बीजेपी के एमएलसी घनश्याम ठाकुर ने कहा कि सीमा क्षेत्र के सम्बंध व स्थिति को काठमांडू व दिल्ली के नजरिये से देखने की बजाय जनस्तर पर देखा जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से सीमा सील होने से कठिनाइया बढ़ी है। शादी – सम्बन्ध प्रभावित हुए हैं।यह भारत-नेपाल के आदिकाल से चले आ रहे रिश्ते की आत्मा पर कुठाराघात है।उन्होंने आरोप किया कि नेपाल की सरकार दोराहे पर है।चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसकी नींद व नीति दोनो दूसरे के इशारे पर केंद्रित है।उन्होंने कहा कि इस सीमा के प्रहरी सैनिक नही,बल्कि,सीमा क्षेत्र का समाज है।इसका आधार भाईचारा,एकजुटता है।उन्होंने कहा कि सीमा की समस्या व सहजीकरण को ले कर भारत व बिहार सरकार का मजबूती से ध्यानाकर्षण किया जाएगा।

वहीं,नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक चन्द्र किशोर झा ने कहा कि इस हकीकत को स्वीकार करना होगा कि कोरोना का संवाहक चीन है,भारत व नेपाल ने एक दूसरे देश मे नही फैलाया है।पीएम मोदी ने पिछले वर्ष कोरोनाकाल में अपने पड़ोसियों से सम्वाद शुरू किया था।जिसे निरन्तरता दी जानी चाहिए,क्योंकि, पड़ोसी बदले नही जा सकते।उन्होंने कहा कि सीमा से लगे नेपाल के प्रदेश दो व बिहार की सरकार के बीच समन्वय -सहयोग की पहल होनी चाहिए,इससे कोरोना महामारी नियंत्रण में बल मिलेगा।उन्होंने भारत सरकार द्वारा दस लाख डोज वैक्सीन उपलब्ध कराने पर धन्यवाद देते हुए कहा कि दूसरे लहर में यह ध्यान रखना होगा कि एक दूसरे देश के नागरिक लॉक डाउन की वजह से सीमा क्षेत्र या अन्य हिस्से में न फंसे।उन्हें इलाज व सहयोग मिले।बॉर्डर पर सहज इन्ट्री मिले।एक दूसरे देश के लोगों को पटना -दिल्ली व काठमांडू- भरतपुर में इलाज मिले।।उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि दोनों ओर बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हो गया है।उन्होंने कहा कि प्रकृति व भूगोल ने हमे सामीप्य प्रदान किया है,इसे कोई बदल नही सकता।सीमाई जन के दुःख सुख एक दूसरे जैसा है,जो मिल कर रहना सिखाता है।यह इलाका पिछड़ा हुआ है सरकारों को चाहिए कि जमीनी आधार पर नीति बनाये, सीमा क्षेत्र के लोगों की बातों को सुनी व समझी जाए।सीमा क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों व पत्रकारो भी अपनी भूमिका समझनी होगी और मुखरता से आवाज उठानी होगी।राष्ट्रिय स्तर पर सीमा क्षेत्र के जन मुद्दों को फोकस नही मिल पाता, यह दुःखद है।


वहीं,रक्सौल के युवा पत्रकार व नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स( इंडिया )के राज्य कार्यकारिणी सदस्य दीपक अग्निरथ ने मांग किया कि बॉर्डर पर कोविड की जांच कर नागरिको को एक दूसरे देश मे जाने आने दिया जाए,ताकि,लोग बेवजह परेशान न हों।उन्होंने कहा कि कोरोना काल मे रक्सौल -वीरगंज आईसीपी को पब्लिक के लिए सुचारू किया जाए,क्योंकि,वहां कोविड जांच व समान की जांच हो सकती है।उन्होंने कहा कि भारत ने भूकम्प हो या कोरोना,हमेशा नेपाल का साथ दिया, ऐसे में नेपाल सरकार को भारतीय नागरिकों को सहयोग व सुविधा में कोताही नही बरतनी चाहिए।बॉर्डर सील होने से खतरा और बढ़ जाता है,क्योंकि,नागरिक चोरी छिपे ग्रामीण रास्तों से आते जाते हैं।ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा होगा ।उन्होंने कहा कि नेपाल का रवैया कोरोना काल मे सकरात्मक नही रहा,क्योंकि,न केवल सीमा बन्द की गई,बल्कि, फस्ट फेज में भारतीय लोगों को स्वदेश लौटने पर मजबूर किया गया।कोरोना संक्रमितों का शव सेना ने बॉर्डर पर दफनाया।श्री अग्निरथ ने कहा कि बॉर्डर मीटिंग की तरह सीमा क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों ,पत्रकारों व प्रबुद्ध लोगों का फोरम बनना चाहिए और समय समय पर सम्वाद को बढ़ावा देना चाहिए,इससे गलतफहमियों को जगह नही मिलेगी, सहयोग-समन्वय बढ़ेगा।

वहीं,सप्तरी के तिलाठी के मेयर सतीश सिंह ने कहा कि हम लोग बॉर्डर पर फंसे व बीमार लोगों की मदद में आगे रहे हैं।लेकिन,सरकार की मंशा ठीक नही है।बार बार आवाज उठाने के बाद भी बॉर्डर नही खोला गया।डर है कि कोरोना काल के नाम पर बॉर्डर की इस स्थिति को ऑफिसियल बना दिया जाएगा।जिसका विरोध होना चाहिए।भारत सरकार की बॉर्डर को व्यवस्थित करने के नाम पर इस स्थिति को स्वीकार्यता दे रही है,जो,जन हित मे नही है।

वहीं,कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समूह के संस्थापक व कपड़ा बैंक(नेपाल ) के अध्यक्ष राजीव कुमार झा ने नेपाल के सुप्रीम कोर्ट द्वारा बॉर्डर का नियमन करने के लिए जारी परमादेश को पूर्वाग्रही फैसला बताते हुए कहा कि खुली सीमा को बन्द या सील करना गलत कदम है।खुली सीमा को समस्या नही समाधान मानने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि इपीजी कमिटी की रिपोर्ट भारत के मोदी सरकार ने मानने से इनकार कर दिया है।,जबकि, नेपाल सरकार इस रिपोर्ट को थोपने में जुटी हुई है।हरेक जिला में दो दो बॉर्डर को खोल कर खुली सीमा को कंट्रोल करने की साजिश हो रही है।परिचय पत्र सिस्टम व अनिवार्य इन्ट्री थोपने का प्लान है।उन्होंने आरोप किया कि इस कमिटी ने सीमा क्षेत्र की जन भावनाओ को जानने की कोशिश नही की। दोनो ओर से बॉर्डर के लोगों को प्रतिनिधित्व नही दिया गया।उन्होंने कहा कि हम नही चाहते कि कोरोना फैले।हम चाहते है कि बॉर्डर पर कोविड की जांच कर इन्ट्री मिलनी चाहिए।उन्होंने कहा कि आयात निर्यात के समान से कोरोना नही फैलता,तो शादी ब्याह के समान से कैसे फैल जाएगा।इसके लिए नीति व नियत में करेक्शन की जरूरत है।इस संगोष्ठी में जसपा के केंद्रीय सदस्य अनिल महासेठ, मनरवा सिसवा के मेयर संजय सिंह, समेत बिहार की ओर से पत्रकार ललित झा आदि शामिल हुए।

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